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Tuesday, February 7, 2017

पशुओ का दूध बढ़ाने का तंत्र

@@गाय भैंसो का दूध दुगुना करने का तंत्र साधना@@
इस क्रिया से दूध देने वाले पशु का दूध दुगुना हो जाता है।
किसी भी दिन ऊँट की लीद को गधे के मूत्र में मिलाकर गूगल की धूप दे और इंद्रजाल मन्त्र का एक माला जप करे।।
ॐ नमोनारायनाय विश्वम्भराय इंद्रजाल कौतुक निदर्शय दर्शय सिद्धि कुरु स्वाहा।
यह तंत्र आपका सिद्ध हो जायेगा और इसको किसी लाल वस्त्र में लपेटकर दूध देने वाले पशु के गले में बांध दे 24 घण्टे बाद दूध बढ़ता चला जायेगा।।
भस्म की पोटली खोल दी तो पहले की तरह दूध हो जायेगा।
गुरु अशोक कुमार चन्द्रा
हरिद्वार उत्तराखण्ड
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Sunday, February 5, 2017

वशीकरण साधनाये

@@इंद्रजाल श्मशानी देवी(धुलेश्वरी देवी) स्त्री वशीकरण मन्त्र सिद्धि@@
बहुत कम साधको ही इस बारे में मालूम है की श्मशान देवी धूलेश्वरी स्त्री वशीकरण का अमोघ अस्त्र है।जितनी भी स्त्री वशीकरण की क्रियाये श्मशान में मुर्दे की राख से की जाती है उनमे धूलेश्वरी देवी प्रथम है।
इस क्रिया में साधक श्मशान से चिता की राख लेकर आते आते है और घर पर उसका पूजन करते है,मन्त्र सिद्धि होने के बाद साधक उसी राख से अमुक स्त्री को वशीभूत करता है।यह वशीकरण क्रिया मुस्लिम क्रिया शिपली इलम से भी 100 गुना ज्यादा ताकतवर होती है,,अगर स्त्री पर शिपली इल्म है तो उसके ऊपर इस राख का प्रयोग उसका पति कर दे तो इल्म टूट जाता है और इल्म का जिन्नाथ स्त्री को छोड़कर भाग जाता है।जब स्त्री के सिर पर अभिमन्त्रित राख साधक डालते है तो स्त्री की गति धीमी हो जाती है,उसके चेहरे पर सूजन आ जाती है कुछ घण्टो के लिये।उसके बाद उसका दिमाग,दिल साधक की और आकर्षित होता है और हमेशा रहता है।यह सब कुछ ही घण्टो में हो जाता है ।स्त्री अपने ऊपर से अपना कण्ट्रोल खो देती है और साधक को तन मन धन से चाहती है,किन्तु साधक को इस विद्या का दुरूपयोग नही करना चाहिये।
यह राख शनिवार या रविवार को मसान से लायी जाती है।शनिवार को लाये तो स्त्री की चिता की राख हो और रविवार को लाये तो पुरुष की चिता की राख हो।
यह सिद्धि किसी भी ग्रहण से शुरू की जा सकती है और रविवार को मसान से राख 3 मुट्ठी ले आये।इस राख को पूजन फल फूल नैवेद्य दीया अगरबत्ती से करे और मन्त्र जप भी करे।21 दिन में साधक को सिद्धि प्राप्त हो जायेगी।इसके बाद साधक इस शक्ति का प्रयोग ऐसी जगह करे जहाँ स्त्री अपने परिवार को छोड़कर पराये पुरुष के साथ सम्बन्धो में हो,,मन्त्र से अभिमंत्रित करके इस राख को 5 चुटकी ले और उसके पति को दे जिससे वह अपनी पति को पुनः प्राप्त कर सके।जैसे ही उसका पति राख उसके सिर पर डालेगा उसको अपने पति से प्रेम उत्पन्न हो जायेगा और पर पुरुष से स्त्री नफरत करने लगेगी।
यहां सिद्धि का पूर्ण विधान नही दिया जायेगा,,योग्य साधक को ही यह सिध्दियां प्रदान की जाती है।
राख हमेशा मुर्दे की पैरो वाली जगह से उठायी जाती है ।पहले चिता को नमस्कार करे फिर आज्ञा लेकर मसान से राख ले आये।
यह सिध्दियां पूर्ण परीक्षित और प्रमाणिक है।इस मन्त्र साधना को साधक किसी योग्य गुरु से सीख  कर मानव भलाई कर सकते है या हमारे संपर्क से भी सीखकर मानव भलाई कर सकते है।
मन्त्र।
ॐ नमो धूलि धूलेश्वरी
धूलि मातेश्वरी जहाँ लागे
अमुकी जागे।
साधना से पूर्व गुरु मन्त्र,सुरक्षा मन्त्र अनिवार्य है।
गुरु अशोक कुमार चन्द्रा
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दाँत किटकिटाने की बीमारी से दूर होने की साधना

@@रात को सोते हुये दाँतों को चबाने,किटकिटाने की बीमारी से मुक्ति हेतु मन्त्र साधना@@
यह साधना किसी भी ग्रहण को,नवरात्रो को,होली या दीपावली को या पूर्णिमा को रात्रि 10 बजे से शुरू की  जा सकती   है।
साधक माथे पर सिंदूर का तिलक लगाये,सफ़ेद वस्त्र पहने,कुशासन् पर बैठे,रुद्राक्ष की माला से ,दाहिने हाथ की मध्यमा और अंगूठे से जप करे।
21 माला जप एक ही दिन करके सिद्धि प्राप्त करे अथवा 1 माला रोज करके 21 दिन में मन्त्र सिद्ध करे।
यह सिद्धि अगर योग रविवार को हो तो उत्तम है।
पवित्रीकरण,वास्तुदोष पूजन,गुरु पूजन ,गणेश पूजन,शिव पूजन,विष्णु पूजन,संकल्प ,मन्त्र सिद्धि करे।अंतिम दिन 2 माला हवन करे।आम की लकडियो में देशी घी की आहुति दे।
21 मन्त्रो से तर्पण और 3 मन्त्रो से मार्जन करे।सिद्ध होने पर रविवार के दिन 21 सुपारी के ऊपर की छिलके लेकर 108 बार अभिमन्त्रित करके
दाँत किटकिटाने वाले को खिला दे तो दाँत किटकिटाना बंद कर देगा।
या रविवार को ही।।।।।।
यदि रात को गंगा जी की रेत् बालू को 108 बार अभिमन्त्रित करके सोते हुये आदमी के मुँह में डाले जब वह दाँत किटकिटाय।
इस मन्त्र सिद्धि प्रयोग से हमेशा के लिये रात को दांत  किटकिटाना बंद हो जाता है।
मन्त्र
ॐ हरह् हरह् भ्रमर् भ्रमर् रक्ष स्वाहा ।
भगवान् शिव की पूजा करे।थाली में मिठाई,फल, फूल ,सुगन्धित अगरबत्ती ,शुद्ध देशी घी का दिया जलाये।
(आजकल धूपबाती में 60 प्रतिशत रबर टायर कार्बन की मात्रा आ रही है,जो सिद्धि के समय सांस के माध्यम से खून में घुलकर मन्त्र सिद्धि में बाँधा उत्पन्न कर रही हैं,बीमारी भी पैदा कर रही हैं।ऐसी धूपबत्ती निर्माता कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही हो)
गुरु अशोक कुमार चन्द्रा
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Saturday, February 4, 2017

गंधर्व विवाह साधना

��गंधर्व विवाह मन्त्र साधना��
यह साधना अत्यंत पुरानी है और वर्तमान में लुप्त हो चुकी है,अतः इस साधना को पुनः मानव भलाई के लिए विधि विधान से प्रस्तुत कर रहा हूँ।
यह सिद्धि रामबाण है कन्या को वर प्राप्ति करने में ।
जो लड़के लडकिया,प्रेमी प्रेमिका एक दूसरे से प्रेम करते है किन्तु उनकी शादी में उनके परिवार वाले नही मान रहे है,तब यह साधना संपन्न करे।इसी कारण यह साधना गंधर्व विवाह कहलाती है,यह साधना पूर्ण सिद्ध होने के बाद ही आपको प्रदान की जा रही है,योग्य स्त्री सिद्ध करके इस साधना से हमेशा के लिये अपने प्रेमी को पति रूप में वरण कर लेती है और आजीवन प्रेम विवाह बना रहता है ।
यह साधना किसी भी पूर्णिमा से शुरू करे,,लालवस्त्र धारण करे,सिंदूर का तिलक लगाये,लाल चन्दन की माला से जप करे,लाल आसन, दिशा उत्तर,बन्द आँखों से जप करे,गंधर्व दीक्षा ग्रहण करे,10 माला मन्त्र जाप रात्रि 10 बजे से शुरू करे।
दाहिने हाथ के अंगूठे और मध्यमा से जप करे।
अपने सामने कांसे की थाली में भगवान शिव का फ़ोटो अथवा गन्धर्व देव का फ़ोटो लगाये,देशी घी का दिया,धूपवत्ति,लाल गुलाब के फूल,मौसमी फल, मावे की मिठाई रखे,
अब प्रेमी अथवा प्रेमिका जो भी साधना कर रहा है,विवाह के लिए,अपने सामने ताँबे के कलश से जल लेकर दाहिने हाथ में शरीर पवित्रीकरण करे,सामग्री पवित्री करण करे,नेऋत्य दिशा में वास्तु दोष पूजन करे,1 माला गुरु पूजन,शिव पूजन,गणेश पूजन,विष्णु पूजन करे।
सुरक्षा मन्त्र करे,
संकल्प ले,गंधर्व देव पूजन करे,दोनों हाथ जोड़कर ध्यान मन्त्र बोले,फिर 10 माला मूल मन्त्र जप करे।जप के बाद सो जाय और सुबह को फल,मिठाई फूल मंदिर या पीपल या बहते दरिया में रख दे,लौटे का जल पीपल या तुलसी पर चढ़ा दे।रोज ऐसे ही कार्य करना है।
11 वे दिन हवन करे।आम की लकड़ी में अग्नि जलाये, उसमे 1 हजार आहुति गुगुल, विल्बपत्र,घी से करे।
उत्तर दिशा में,इसके बाद उसी दिन 100 मन्त्रो से तर्पण करे इसमें एक थाली में 1 लीटर कच्चे दूध को डालकर उसमे थोड़ी चीनी,जल,दुर्बा घास,शहद डाले,,दोनों हाथो से थाली में से दूध को अंजुली में भर कर अपने मुँह तक ऊपर उठाये और मन्त्र बोले,इसमें मन्त्र के अंतिम शब्द में स्वाहा की जगह तर्पयामि कहे और दूध भरी अंजुली थाली में गिरा दे पुनः ऐसी ही क्रिया करे ।
अब मार्जन के लिए दुर्बा घास ले और दूध मिश्रित जल में डुबोकर दाहिने हाथ से अपने सिर पर छिड़के और उसके बाद पुरे शरीर पर,यह क्रिया 10 बार करे और तर्पयामि की जगह मार्जयामी कहे।इसके बाद एक ब्राह्मण को भोजन वस्त्र,दक्षिणा दे।मन्त्र सिद्धि पाठ पूर्ण होकर देव कृपा से विवाह पूर्ण होगा।माता पार्बति जी ने भी शिव जी पति रूप में प्राप्त करने के लिये कठिन साधना की थी।अतः स्त्रियों को भी ऐसे ही होना चाहिए।
गंधर्वराज देव ध्यान मन्त्र
कन्यावृक्ष समा सीन उद्यदा दित्यसंनिभम  ।
अंकस्थ कन्या गंधर्व विश्वा व सुप्रभुम् स्मरेत्। ।

सिद्धि मन्त्र
ॐ क्लीम् विश्वाशु नाम गन्धर्व ह कन्या नामधिपतिह लभामि देवदत्ताम् कन्याम् सुरुपाम सालनकाराम तस्मै विश्वावसवे स्वाहा ।
गुरु अशोक कुमार चन्द्रा
हरिद्वार,उत्तराखंड
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धर्मयोद्धा परशुराम साधना

@@श्री परशुराम आशीर्वाद मन्त्र सिद्धि @@
यह सिद्धि विधान 21 दिन का है।किसी भी पूर्णिमा को साधक रात्रि 11 बजे से यह साधना महेन्द्रगिरि पर्वत की ओर मुख करके दोनों भुजाओ को आकाश में फैलाकर एक भुजा में माला से जप करते हुए ,,एक पैर पर खड़ा होकर 11 माला रोज रात्रि को करे।।
अपने सामने थाली में धूप, फल, फूल,मिठाई और ताम्र कलश में जल रखे।
साधना में साधक को लाल वस्त्र धारण करने चाहिए। माथे पर सिंदूर का तिलक और क्रोध अवस्था में मन्त्र जाप करना चाहिये,,इस तरह साधना पूर्ण होने पर स्वप्न में परशुराम जी आकर साधक को आशीर्वाद प्रदान करते है और किसी भी समस्या से लड़ने के लिये असीम साहस,बल,मनोबल और मन की दृढ़ शक्ति प्रदान करते है,,जिससे साधक जो एक बार संकल्प लेकर करता है उसे पूरा ही करता है चाहे प्राण ही क्यों न चले जाये।ऐसी शक्ति परशुराम जी प्रदान करते है।
यह विधान स्वयं हमारे माध्यम से आप के सामने प्रस्तुत किया गया है,,इसको परशुराम जी ने स्वयं हमे प्रदान किया है।मन्त्र आपको किसी भी पुस्तक से मिल सकता है किन्तु सिद्धि विधान आपको हमारे माध्यम से ही प्राप्त होगा।।
जैसा मन्त्र कहा है वैसे ही जाप करे,,गुरु पूजन,पवित्रीकरण,वास्तु दोष पूजन,शिव पूजन,गणेश पूजन,विष्णु पूजन ,सुरक्षा मन्त्र,संकल्प अनिवार्य है।
मन्त्र
ॐ राम राम ॐ राम राम ॐ परशुहस्ताय नमह् ।।
गुरु अशोक कुमार चन्द्रा
हरिद्वार उत्तराखण्ड
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भगवान शिव शक्ति साधना

@@महा शिवरात्रि शिव अर्ध नारेश्वरी दिव्य दृष्टी भूत वर्तमान भविष्य साधना@@
यह साधना 22 दिनों की है।
21 दिन साधक को मन्त्र जाप पूरे करने होते है।
22 वे दिन साधक को दशांश हवन ,तर्पण,मार्जन करना होता है।
सिद्ध होने पर साधक किसी भी व्यक्ति का भूत भविष्य वर्तमान बंद आँखों से देखता
है और शिव शक्ति उसके कानो में आवाज देकर कर्ण पिशाचिनी की तरह साधक के सभी प्रश्नो के उत्तर देती है।
इस साधना से साधक त्रिकाल दर्शी बन जाता है।
भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओ से बचा जा सकता है।
इस साधना को रात्रि 11 बजे से संपन्न किया जाता है।
मन्त्र जाप के बाद साधक को साधना स्थल पर ही सोना होता है।
ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य है।साधनाकाल में ब्रह्मचर्य खण्डित हो गया तो साधना फलीभूत नही होगी अर्थात सिद्धि पूर्ण नही होगी।
सबसे पहले नहा धोकर अपने माथे पर लाल चन्दन का तिलक लगाय,  सफ़ेद आसन
पर बैठे,अपने सामने शिवजी का फ़ोटो रखे,फल,फूल,मिठाई रखे,ताम्र कलश में जल रखे,रुद्राक्ष माला को पवित्र करके दाहिने हाथ की मध्यमा और अंगूठे से मन्त्र जाप करे ,देशी घी का दिया जलाये, धूपबत्ती ,अगरबत्ती जलाये।चमेली के फूल चढाये।
इस साधना में साधक को चमेली के 400 फूल अनिवार्य है जिनको 21 दिन प्रयोग करना है,22 वे दिन हवन में अनिवार्य होंगे।खीर का भोजन करे।
माँस मदिरा लहसुन प्याज वर्जित है।
साधना के पहले रात्रि को साधक को अजीबोगरीब सपने दिखाई देंगे।
यह सिलसिला 8 दिनों तक चलता है,साधक जितनी बार सोयेगा उसको उतनी ही बार सपने आयेंगे।
9 वे दिन से साधक के सिर के ऊपर भयँकर तनाव आता है कभी कभी साधको को ऐसा लगता है की माथा फट् जायेगा किन्तु ऐसा नही होता क्योंकि वह मन्त्र शक्ति साधक की सुप्त नाड़ियो को जाग्रत करती है।,कुछ डरपोक साधक इस डर के कारण साधना को बीच में ही छोड़ देते है।सपने,तनाव यह क्रिया 15 वे दिन तक चलते है इसके बाद जब 16 ,17 ,18,19 ,20,21 वा दिन होता है तो इसमें एक शक्ति भगवान् शिव की और जुड़ जाती है जो मानसिक रूप से आवाज देकर कुछ बता रही हो,साधक साधना के बाद जब भी सोने को जाता है तो उसे सोते वक्त पहले यह आवाज सुनाई देगी किन्तु क्लियर नही होगी उसके बाद सपने और तनाव रहेगा।यह कार्य साधक को सुबह के समय भी महसूस होगा साधनाकाल में जैसे किसी से बात कर रहा हो किन्तु जैसे ही उससे बात करना चाहेगा तुरुन्त साधक की आँख खुल जायेगी।
22 दिन पूरे होने पर साधक 23 वा दिन छोड़कर शिवजी की शक्ति का प्रयोग जनकल्याण में कर सकते है।
इस साधना की सबसे बड़ी बात यह है की इसे पारिवारिक लोग कर सकते है।स्त्री पुरुष दोनों।
सिद्ध साधको को देवी स्वप्न के माध्यम से होने वाली दिन की घटना दिखा देती है जिससे साधक सावधान हो जाता है।
लालची लोभी को कभी सिद्धि नही मिलती,,,यदि किसी को सिद्धि लेकर लालच मन में आ जाये और दुरुपयोग करने लगे तो सिद्धि कार्य करना बंद कर देगी। देव सिद्धियां अच्छे कार्य करती है गलत कार्य नही।
 1 पवित्रीकरण शरीर का
2 पवित्रीकरण सामग्री का
3 वास्तुदोष पूजन
4 गुरु मन्त्र 1 माला
5 गणेश मन्त्र 1 माला
6 शिवजी मन्त्र 1 माला
7 विष्णु जी मन्त्र 1 माला
8 सुरक्षा मन्त्र 9 बार बोलना है
9 संकल्प पहले दिन लेना है
10 देवता  देवी सिद्धि ध्यान
11 सिद्धि मन्त्र शुरू
12 देवी देवता की आरती
13 क्षमा माँगना
14 सो जाना
15 सुबह उठकर फूल फल मिठाई मंदिर या पीपल पेड़ पर चढाये ,,ताम्बे के लौटे का जल तुलसी या पीपल पर चढाये।
16 रोज यही कार्य रहेगा।
17 खाने में सुबह 11 बजे से 1बजे के बीच चावल दाल,दलीया ,खीर,फल ,मिठाई खाये।
शाम को 5 बजे से 7 बजे के बीच हल्का खाना खाये।
मन्त्र ॐ ह्रीम् नमो ऐम् नमो अर्धनरीश्वरी शिवशक्ति स्वाहा ।

गुरु अशोक कुमार चन्द्रा
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ब्रह्मचर्य उपाय

@@ब्रह्मचर्य खंडित से बचाव हेतु तांत्रिक प्रयोग@@
अक्सर यह देखा गया है जब भी कोई साधक साधना करता है तो साधना काल में उनका ब्रह्मचर्य खंडित हो जाता है और साधना सिद्धि असफल रहती है ।
बड़े बड़े बाबा लंगोटधारी भी इस से नही बच पाते।
वर्तमान में जिन साधको को इस समस्या का सामना करना पड़ा है उनके लिये यह प्रयोग दे रहा हूँ जिससे बिना किसी डर के साधना सम्पन्न कर सकेंगे और स्वप्नदोष जैसे घातक रोग जो आत्माओ से संपन्न होते है बच जायेगे और सफलता प्राप्त करेंगे।

साधना से 11 दिन पहले 125 ग्राम मूँग की दाल रात को पानी में भिगोकर रख दे और सुबह खा जाये।
रात को सोते समय पानी के गिलास में 2 जायफल डालकर अपने सिर के ऊपर से सोते समय 5 बार उतार कर सवा हाथ गहरे गड्ढे में डाल दे ,,यह क्रिया 11 दिन करे। अंतिम दिन गिलास से पानी और जायफल डालकर उस गड्ढे को बंद कर दे।
फिर साधना शुरू करे।
साधना में सफलता प्राप्त होगी और ब्रह्मचर्य खण्डित नही होगा।
यह योगियो का सिद्ध तांत्रिक प्रयोग है।
गुरु अशोक कुमार चन्द्रा
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प्रेम विवाह

प्रेमी-प्रेमिका विवाह-
अक्सर यह देखा गया है की प्रेम संबंधो में या तो प्रेमी प्रेमिका को छोड़ देता है या प्रेमिका प्रेमी को छोड़ देती है।यह एक खतरनाक समय दोनों के लिये होता है।इनके कुछ कारण होते है जैसे-
1 किसी दूसरे के कारण एक दूसरे को छोड़ना
2 तांत्रिक क्रिया से आपसी मनमुटाव करना
3 परिवार की इज्जत बचाने के लिये प्रेमी अथवा प्रेमिका का त्याग करना।

हमारा सुझाव-ऐसे नए और पुराने प्रेमी प्रेमिकाओं को सबसे पहले कोर्ट मैरिज के कागज तैयार करके कोर्ट में शादी करनी चाहिए।उसके बाद प्रेमिका को अपने प्रेमी के साथ रहना चाहिये,सभी तरह के सम्बन्ध रखने चाहिए,
जो प्रेमिका ऐसा नही करती उसका प्रेमी उसे 100 प्रतिशत धोखा देते है और उनकी हालात जानवरो जैसे हो जाते है।आज एक तो कल दूसरा।
सबसे पहले कोर्ट मैरिज करे उसके बाद सभी कार्य करे इस स्थिति में प्रेमी प्रेमिका का छोड़कर नही जा सकता अगर जाता है और दूसरी शादी करता है तो प्रेमिका पुलिस केस दर्ज कराकर उसको सजा दिला सकती है।
जब आप माँ बाप की चोरी से प्रेम कर सकते है तो कोर्ट मैरिज क्यों नही।
अतः आज ही कसम खाय सबसे पहले कोर्ट मैरिज उसके बाद और काम।।
जब प्रेमिका अपने प्रेमी के आगे ये प्रस्ताव शुरू में रखेगी तो प्रेमी का सब पता चल जायेगा।
अगर वो उससे froud ,चीट,धोखा कर रहा है तो मना कर देगा कौर्ट मैरिज के लिये।
और सच्चा प्रेम करेगा तो आँख बंदकर कागजो पर हस्ताक्षर कर देगा।
इस उपाय से आप अपने लिये सही जीवन साथी का चुनाव कर लेते है ।
यही बात प्रेमी के लिये लागू होती है।
अधिक जानकारी हेतु आप हमारे ब्लॉग पर भी follow कर सकते है,
ब्लॉग पर अनेक साधनाये दी गयी है और भविष्य में भी पोस्ट होगी जिनके माध्यम से आप अपने खोय हुये प्रेम को वापस ला सकते है।
गुरु अशोक कुमार चन्द्रा
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Wednesday, February 1, 2017

विवाह साधना


@@विवाह साधना मन्त्र@@
जब कन्या या कन्ने  का विवाह प्रस्ताब आये किन्तु काम न बने और हरवार विवाह वाले मना कर दे,,
अर्थात जब लड़की को देखने वाले आये और बाद में मना कर दे यही सिलसिला जारी रहे अथवा लड़के को देखने वाले आये मना कर दे तब यह साधना लड़का,लड़की सम्पन करे तो नवरात्रि तक उनके विवाह का योग सिध्द होता है माता भुवनेश्वरी की कृपा से।
यह साधना किसी भी पूर्णिमा से करे और 10 हजार मन्त्र जाप पूरा करके हवन करे,तर्पण करे,मार्जन करे,ब्राह्मण को भोजन कराये।पवित्रीकरण,गुरुपूजन,वास्तुदोष पूजन,सुरक्षा मन्त्र,गणेश पूजन,शिव पूजन,विष्णु पूजन ,संकल्प,माता भुवनेश्वरी पूजन ध्यान करके मूल मन्त्र सिद्धि हेतु जपे।
  भुवनेश्वरी ध्यानम्
उद्याद्दिनेश द्युति मिन्दु किरीट तुंगकुचाम नयन त्रय युक्ताम् ।
स्मेरमुखीम् वरदाम् कुश पाशाम भोजकराम
प्रभजे भुबनेशिम ।।
सिद्धि मन्त्र ।।
ॐ ह्रीम् योगिनी योगिनी योगेश्वरी योगेश्वरी योगभयंकारी सकलस्थावर जंगमनस्य मुखम् ह्रदयम् मम् वशम् आकर्षय आकर्षय स्वाहा ।।
यदि विवाह सम्पन होना है और विवाह कार्य में कोई बाँधा न आये तो देवी का ध्यान कर निम्न मन्त्र का 11000 जप करे विधिनुसार,,
मन्त्र
ॐ वहिन् प्रेयसि स्वाहा ।।
विजय सुंदरी मन्त्र साधना विधान ।।
अगर वर या कन्या इस मन्त्र को विधिनुसार 7 दिन तक 1000 मन्त्र जाप करे तो उनके विवाह का योग बनता है।
मन्त्र
ॐ विजय सुन्दरीम क्लीम् ।
अथवा
कुमार मन्त्र साधना ।।
यदि किसी कन्या को कोई वर प्राप्त करना है अथवा किसी वर को कोई कन्या प्राप्त करनी है तो इस मन्त्र का विधिनुसार 11000 मन्त्र जाप करे तो उनको अभीष्ट की प्राप्ति होती है।
मन्त्र ॐ ह्रीम् कुमाराय् नमः स्वाहा ।।
गुरु अशोक कुमार चन्द्रा
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