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Sunday, November 8, 2020

देवी माता महालक्ष्मी धनचक्र विद्या

धन वर्षा महालक्ष्मी धन चक्र साधना यह साधना अत्यंत दुर्लभ और प्राचीन विद्या है ।इसके माध्यम से साधक अपने आने वाले भविष्य में हमेशा धन से परिपूर्ण रहता है। उसको कभी भी भविष्य में धन की हानि होने की संभावना लगभग शून्य होती है। शत्रु भी उसको धन हानि पहुंचाना चाहे तो भी नहीं पहुंचा सकते । इसमें दो मार्ग होते हैं प्रथम मार्ग में साधना सिद्ध की जा सकती है जिसमें लगभग 6 महीने का समय होता है और 6 महीने मैं सिद्ध होने के बाद साधक के चारों ओर एक प्रकार से धन चक्र बन जाता है जो समाज में रह रहे साधक को कहीं ना कहीं से धन उपलब्ध कराता रहता है साधक को किसी भी माध्यम से कुछ ना कुछ धन उपलब्ध होता रहता है। साधना का दूसरा मार्ग यह होता है जब साधक लगभग साधना के 1 वर्ष पूर्ण हो जाता है तब साधक के अंदर यह शक्ति उत्पन्न हो जाती है कि वह अपनी शक्ति को दूसरे व्यक्ति को भी उपलब्ध करा सकता है अर्थात देवी माता महालक्ष्मी को धनहीन व्यक्ति के ऊपर सहस्त्र धार चक्र में स्थापित कर सकता है स्थापित करने के बाद उस व्यक्ति का स्तर आर्थिक स्थिति धन से संबंधित समस्याएं सब बदलती जाती हैं व्यक्ति को धन का अभाव धीरे-धीरे कम लगने लगता है और धन की उपलब्धता होने लगती है जिस कार्य को भी करने की सोचते हैं या कोई कार्य किया जाता है ,उसमें धन प्राप्ति के शत-प्रतिशत योग बनते हैं । देवी महालक्ष्मी शक्ति स्थापना 1 वर्ष के लिए साधक में विराजमान की जाती है इसके लिए शुभ मुहूर्त जैसे कोई त्यौहार ग्रहण नवरात्रि शुभ तिथि होते हैं। इसमें जिस किसी व्यक्ति को यह शक्ति प्राप्त करनी होती है उसके दो मार्ग होते हैं एक अपने आप ६ माह की साधना से सिद्ध करें. यदि वर्तमान में साधक के पास समय नहीं है 6 माह तो साधक सिद्ध साधक से ऊर्जा स्थानांतरण भी करवा सकते हैं यहां पर दीपावली के शुभ अवसर पर जो यह शक्ति स्थानांतरण रूप में चाहते हैं उनको प्रदान की जा सकती है एक बार देवी माता महालक्ष्मी साधक के सहस्त्रधारा चक्र में विराजमान हो गई तो साधक को भविष्य में धन का कोई कमी नहीं रहेगा। मन एकदम साधक का शांत रहेगा। धन की कोई चिंता नहीं होगी ।धन योग अपने आप बनते जाते हैं। साधक के चारों तरफ से पॉजिटिव ऊर्जा का प्रवाह होने लगता है जो भी व्यक्ति साधक के संपर्क में आता है उससे साधक को कुछ ना कुछ लाभ अवश्य प्राप्त होता है। जिन साधक के ऊपर पहले से कोई तांत्रिक बंधन है कोई नेगेटिव शक्ति साधक के सहस्त्रधारा चक्र में विराजमान है ऐसे साधकों को ऊर्जा स्थानांतरण एक बार में नहीं किया जाएगा पहले उनका नेगेटिव एनर्जी हटाया जाएगा उसके बाद शक्ति की स्थापना सहस्त्र धार चक्र में की जाती है। जब साधक के सहस्त्रार चक्र में देवी माता विराजमान हो जाती है तब साधक के चारों तरफ धन आकर्षित चक्र बन जाता है जो सभी दिशाओं से धन योग बनाता है यह धनचक्र हमेशा साधक के साथ रहता है ,कभी भी सा धक को धन हानि नहीं होने देता। शक्ति ट्रांसफर शुल्क// 501// गुरुदेव अशोक कुमार चंद्रा हरिद्वार उत्तराखंड भारत 00917669101100 00918868035065 00919997107192

Friday, July 3, 2020

CORONA VIRUS ONLINE TREATMENT

CORONA VIRUS HISTORY,HEALING AND TREATMENT
- यह वायरस नंबर 666 है,जो शैतानी शक्तियों का प्रतिनिधित्व करता है।इसको देवी देवताओं की दिव्य ऊर्जा शक्ति से पूर्णतः समाप्त किया जाता है। जिन लोगो के पास वचन सिद्धि बीमारी से सम्बन्धित होती है,वो ही इसको ठीक कर सकते है। करोना वायरस मुख्य रूप से गले में चिपक जाता है ,फिर फेफड़ों में, wbc,rbc,plateslets ,ऑक्सीजन बॉडी में कम होने लगती है,जिस कारण रोगी के दम घुटने से मृत्यु हो जाती है।इस शैतानी वायरस से प्राचीन काल में बड़ी बड़ी सभ्यता समाप्त कर दी गई थी। वर्तमान में भी यही क्रम शुरू हो रहा है। इसकी रोकथाम दिव्य सिद्धि के माध्यम से या उपचार से सम्भव है।यह वायरस अंतरिक्ष के एक विशेष एलियन जाति के द्वारा फैलाया फैलाया गया था। यह वायरस मिस्त्र देश में उपस्थित था वहां से इस वायरस को छोड़ा गया था इससे पीड़ित व्यक्ति दुबई का था जब मिस्त्र के किसी प्रोफेसर डॉक्टर को उस वायरस के विषय में जानकारी दी गई और उस डॉक्टर ने उस वायरस का अध्ययन किया तो उसको कोरोनावायरस नाम से संबोधित किया गया।उसका इलाज काफी लंबे समय तक किया गया वहां पर इस वायरस की पहचान हुई थी उसके बाद इस वायरस का सैंपल नीदरलैंड लैब में भेजा गया कुछ समझ में जब नहीं आया तो कनाडा लैब में भेजा गया वहां पर चाइनीस साइंटिस्ट भी काम कर रहे थे उन्होंने इसका परीक्षण किया और चोरी करके इस वायरस को चाइना ले आए और इस वायरस को और अच्छे तरीके से डीएनए परिवर्तन करके विकसित कर दिया किंतु दुर्भाग्यवश यह कोरोनावायरस किसी आकस्मिक घटना के कारण लीक हो गया और पूरी दुनिया में फैल गया जिस तरह पूरी मानव जाति को समाप्त करने के लिए एक बोतल टूलेेरियम वायरस काफी है उसी तरह यह वायरस भी काफी घातक है। दूसरी तरफ एक और नई चीज सामने आई है यूएफओ इन के माध्यम से भी इस वायरस को बढ़ावा दिया गया है। अमेरिका,चीन, रूस, फ्रांस,ब्रिटेन इन 5देशों को मुख्य रूप से निशाना बनाया गया है।यह वायरस यू एफ ओ के माध्यम से वायुमंडल में छोड़ा गया है। मिस्त्र के पिरामिड के भूमिगत शैतानी शक्तियों का यह मुख्य अस्त्र है कोरोनावायरस। इसके अलावा मिस्त्र के ही क्षेत्र से टिड्डियों का आक्रमण पूरे विश्व में इसके बाद मिस्त्र के ही क्षेत्र से धूल भरी आंधी का आक्रमण पूरे विश्व में कोरोनावायरस का आक्रमण मिस्र देश के ही क्षेत्र से पूरे विश्व में फैल गया है। कोरोनावायरस दिव्य शक्तियों के माध्यम से 11 से 21 मिनट में पीड़ित व्यक्ति के शरीर से बाहर निकल जाता है यह वायरस पीड़ित व्यक्ति के गले फेफड़ों में परत जमा कर चिपका रहता है वॉइस थेरेपी के माध्यम से तीन मुख्य शक्तियां शिव शक्ति हनुमान शक्ति देवी विंध्यवासिनी शक्ति को मिलाकर इस वायरस को गले फेफड़ों के अंदर नष्ट करके मुंह के माध्यम से बाहर निकाला जाता है इसमें पीड़ित व्यक्ति के मुंह से कोरोनावायरस हीलिंग के टाइम 11 से 21 मिनट के अंदर सारा का सारा जमा हुआ बलगम मुंह से बाहर निकल जाता है। जब यह बलगम थूक के माध्यम से बाहर निकलता है तो रोगी को सांस लेने में जो प्रॉब्लम होती थी वह धीरे-धीरे खत्म होने लगती है और रोगी पूर्ण रूप से सांस लेना शुरू कर देता है फिर उसके सांस लेने में कोई बांधा नहीं आती और रोगी कोरोनावायरस से हमेशा के लिए मुक्त हो जाता है। यह कोरोनावायरस हीलिंग ट्रीटमेंट कहलाता है प्राचीन काल में इसी ट्रीटमेंट के माध्यम से वायरस से पीड़ित लोगों को ठीक किया जाता था और वर्तमान में भी इसी के माध्यम से ठीक किया जाता है इस क्रिया को जब शुरू करते हैं तो सबसे पहले जो रोगी कोरोनावायरस से पीड़ित होता है वॉइस थेरेपी के माध्यम से साधक के थर्ड आई पर कोरोनावायरस फैलाने वाला शैतानी चेहरा सामने आता है इसके दो लंबे सींग होते हैं और इसका चेहरा बकरे या भैंसे के जैसा होता है इससे ज्ञात होता है की आज्ञा चक्र के माध्यम से जो फेस दिखाई देता है वह शैतानी है। इसका अंक 666 होता है कोरोना अंकों का टोटल योग 6 और अल्फाबेट के अलग-अलग अंगों का टोटल योग 66 होता है इस प्रकार यह 666 बनता है और अगर इसको उल्टा कर दिया जाए तो 999 अर्थात मॉन्स्टर बनता है यह तीन स्क्रैच होते हैं जो ऊपर से नीचे की ओर होते हैं यह ट्रिपल नाइन होता है इस प्रकार यह कोरोनावायरस पूर्ण तय मानव जाति का दुश्मन होता है और शैतानी शक्तियों के द्वारा भेजा गया उनका मुख्य अस्त्र होता है। आज कोरोनावायरस से पूरा विश्व त्राहि-त्राहि कर रहा है अस्पतालों में मरीजों को भर्ती करने की जगह भी उपलब्ध नहीं हो पा रही है। पूरे विश्व के लिए यह एक विकट समस्या है किंतु देवी देवताओं की शक्ति के आगे यह समस्या शून्य है। वॉइस थेरेपी के माध्यम से कैसा भी कोरोनावायरस से पीड़ित रोगी हो 11 से 21 मिनट में ठीक प्रकार से सांस लेने लगता है उसको ऑक्सीजन पर निर्भर नहीं रहना पड़ता अपने खुद के शरीर से ऑक्सीजन को ग्रहण करता है और कोरोनावायरस हमेशा के लिए उसके शरीर से नष्ट हो जाता है। कोरोनावायरस थेरेपी देश और विदेश में काम करती है कैसा भी पीड़ित व्यक्ति हो कोरोनावायरस से उसको ठीक करती है और भविष्य में कभी भी उसको कोरोनावायरस नहीं होता हो सकता है क्योंकि उसके शरीर में दिव्य ऊर्जा वास कर जाती है जिस कारण कोरोनावायरस द्वारा उसको नुकसान नहीं हो सकता किंतु जो साधारण उपचार से ठीक होते हैं उनको हमेशा खतरा बना रहता है कि कहीं उनको दोबारा कोरोनावायरस ना हो जाए। अमेरिका ब्रिटेन रसिया फ्रांस कनाडा जर्मनी इटली स्पेन ऑस्ट्रेलिया आदि देशों के विदेशी नागरिक भी फोन के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं और कोरोनावायरस से मुक्त हो सकते हैं यह कार्य तभी करें जब आपको लगे कि आप डॉक्टर ट्रीटमेंट से ठीक नहीं हो सकते और मृत्यु आपके सामने हैं या आपको हॉस्पिटल में बेड नहीं मिल पा रहा है और आपको घर पर ही बीमारी में मरने के लिए छोड़ दिया गया है या किसी भी दवाई का असर नहीं हो पा रहा है तभी आप इस कोरोना वॉइस थेरेपी फोन पर संपर्क करें। कोरोना वॉइस हीलिंग थेरेपी से पूर्ण रूप से रोगी 4 दिन में ठीक हो जाता है उसके फेफड़े गले के अंदर से सभी इनफेक्टेड कोरोना लिक्विड बलगम बाहर निकल जाता है और रोगी पूर्ण स्वस्थ हो जाता है। सभी कार्य ऑनलाइन वॉयस थेरेपी के माध्यम से किए जाएंगे फोन कॉल के जरिए विदेशी लोग संपर्क कर सकते हैं जिनको कोरोनावायरस हो चुका है और डॉक्टर ट्रीटमेंट से सही नहीं हो पा रहे हैं। अगर विश्व के किसी भी देश की सरकार अपने देश से पूर्णतया corona वायरस का समाप्त करना चाहती है तो हमसे हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क कर सकती है ,उस देश के वातावरण में फैले कोरोनावायरस को शिव विष ग्रहण शक्ति की सिद्धि से समाप्त करके हमेशा के लिए कोरोनावायरस का प्रकोप खत्म कर दिया जाएगा,उस देश के सभी लोग अपने आप स्वस्थ हो जाएंगे और भविष्य में कभी भी इस बीमारी से पीड़ित नहीं होंगे।अगर किसी भी देश की सरकार अपनी जनता को बचाना चाहती है तो हमसे संपर्क कर सकती है। शक्ति के प्रभाव से 11 दिन में कोरोनावायरस केस उस देश में कम होने लगेंगे और कुछ ही दिनों में लगभग शून्य हो जाएंगे।। (All services are paid). गुरु अशोक कुमार चंद्रा हरिद्वार उत्तराखंड इंडिया 00917669101100 00919997107192 00918868035065 email id- vishnuavtar8@gmail.com

Thursday, July 2, 2020

डाकिनी देवी ट्रांसफर साधना

डाकिनी ट्रांसफर साधना- इस विद्या में डाकिनी को साधक के शरीर में प्रवेश कराया जाता है जिसके माध्यम से डाकिनी साधक की सभी इच्छाएं पूर्ण करती है। साधक के चारों तरफ पॉजिटिव ऊर्जा का प्रवाह होने लगता है । साधक के सभी कार्य धीरे-धीरे उन्नति की ओर होते हैं। डाकिनी ट्रांसफर में 10 से 11 मिनट का समय लगता है , जिनके पास दिव्य दृष्टि होती है वे दिव्य दृष्टि के माध्यम से डाकिनी से वार्ता कर सकते हैं । जिनके पास दिव्य दृष्टि नहीं होती वे अलौकिक रूप से अनुभव कर सकते हैं । डाकिनी देवी को हमेशा अमावस्या को सूर्यास्त के बाद ट्रांसफर किया जाता है। जो साधक या साधिका देवी डाकिनी को अपने शरीर में प्रवेश करवाते हैं उनके लिए अमावस्या की रात्रि को दाहिने पांव पर खड़ा होना होता है उसके बाद सामने पूजा की थाली में देसी घी का दीया जलाना होता है , चमेली की धूप बत्ती जलानी होती है , सफेद बर्फी के पांच पीस रखने होते हैं। एक प्याले में मदिरा विलायती , एक पान का पत्ता उसके ऊपर दो लौंग,एक सुपारी साबुत रखनी होती है । उसके बाद चमेली के तेल की शीशी का थोड़ा सा तेल दीये में और थाली में लगाना होता है। मोगरा इत्र की शीशी रखनी होती है सिंदूर की एक ढे री बनानी होती है । माथे पर सिंदूर का तिलक लगाना होता है । अगर दाहिने पांव पर खड़ा ना हो या जा सके तो साधक या साधिका स्टूल या कुर्सी पर बैठकर भी दाहिने पैर को जमीन पर रख सकते हैं। डाकिनी ट्रांसफर होने में 10 से 11 मिनट के समय अंतराल में साधक के शरीर में अजीब से परिवर्तन होते हैं उससे साधक को घबराना नहीं चाहिए यह परिवर्तन डाकिनी देवी की जो ऊर्जा है,साधक या साधिका के शरीर में प्रवेश करती है । साधक के शरीर में धीरे धीरे वाइब्रेशन ,कंपन आदि लक्षण सामने आते हैं । यदि साधक के शरीर में पहले से कोई नेगेटिव एनर्जी है तो उसको भी बाहर निकाला जाता है इसके बाद साधक अपने सभी तरह के कार्य पूर्ण कर सकता है इसके बाद साधक को प्रत्येक अमावस्या को डाकिनी देवी का पूजन इसी तरह से करना होता है जब भी उसको कोई कार्य करवाना है पूजन करके साधक को एक गुप्त मंत्र दिया जाता है जो डाकिनी देवी का पूर्ण मंत्र होता है। उस मंत्र का साधक एक माला जाप करता है और जो भी कार्य होते हैं उसके लिए प्रार्थना करता है। यह वशीकरण की उग्र शक्ति है इन के माध्यम से प्रबल वशीकरण किया जाता है। देवी अपने साधक को हमेशा दिव्य दृष्टि यदि साधक के पास है तो अनेक प्रकार की भयानक स्त्रियों के रूप में दर्शन देती हैं यहां देवी का रूप स्थिर नहीं होता कभी दुल्हन बनकर कवि भयानक चुड़ैल के रूप में कभी डरावनी शक्ल लेकर कभी बूढ़ी औरत बन कर आदि आदि रूपों में साधक को दिव्य दृष्टि में दिखाई देती है इसके बाद इन सभी में एक विशेषता होती है देवी डाकिनी जितने भी रूपों में आती है उन सब में उसकी आंखें सफेद पत्थर की तरह चमकदार होती हैं उसी से साधक पहचान कर लेता है की यही देवी डाकिनी है। जिनके पास दिव्य दृष्टि नहीं है उनको देवी सपने के माध्यम से दिखाई देती है ,पूजा कमरे में किसी के आने ,चलने फिरने का आभास होता है। साधक के आज्ञा चक्र को विकसित करने में इस ऊर्जा का बहुत महत्वपूर्ण हाथ होता है। भविष्य की जितनी भी साधना में साधक पूजा पाठ करता है उसमें साधक को उन्नति प्राप्त होती है सफलता हासिल होती है। देवी डा किनी अच्छे और बुरे दोनों कर्म करने में समर्थ होती है। डाकिनी transfer online माध्यम से ही किया जाता है। देवी डाकिनी दीक्षा -2100 एकांत जगह होनी चाहिए। सिद्ध साधक के सभी कार्यों के रिज़ल्ट हमेशा पॉजिटिव आते है देवी डा किनी की कृपा से।। गुरुदेव अशोक कुमार चंद्रा हरिद्वार उत्तराखंड भारत हेल्पलाइन 00917669101100 00919997107192 00918868035065

Thursday, February 6, 2020

अमृत कुंडलिनी शक्तिपात साधना

शक्तिपात दीक्षा (अमृत कुंडलिनी )साधना= इस शक्ति के माध्यम से मनुष्य के शरीर के सभी चक्रों में अपार ऊर्जा का संचार होता है सबसे पहले मूलाधार चक्र से अमृत को उठाकर सहस्त्र धार चक्र की ओर ले जाया जाता है इसके बाद अमृत अर्थात वीर्य सहस्रार चक्र में पहुंचकर अमृत रूपी रसायन में बदल जाता है इसके बाद अमृत रूपी रसायन इडा पिंगला सुषुम्ना नाड़ी में प्रवाहित होता है इन तीनों नाडि यो से 12 नाडियो में प्रवाहित होता है इसके बाद 108 नाड़ियों में अमृत रूपी रसायन प्रवाहित होता है! 108 नाड़ीयो में प्रवाहित होने के बाद इसको 72000 नाड़ीयो में पहुंचाया जाता है इसी तरह मूलाधार से विशुद्ध चक्र में प्रवाहित किया जाता है इसी तरह मूलाधार से अनाहत चक्र हृदय चक्र में प्रवाहित किया जाता है इसी तरह मूलाधार से मणिपुर चक्र में प्रवाहित किया जाता है इसी तरह मूलाधार से स्वाधिष्ठान चक्र में प्रवाहित किया जाता है इन सभी चक्रों का संबंध इडा पिंगला सुषुम्ना नाड़ी ओं से होता है सभी चक्रों द्वारा अमृत स्त्राव 72000 नाडियो के माध्यम से संपूर्ण शरीर में पहुंच जाता है इसके द्वारा शरीर में उत्पन्न सभी बीमारियां समाप्त हो जाती हैं चेहरे पर सुंदरता आ जाती है चेहरा एक तेज में हो जाता है साधक के शरीर के सभी अंगों में नए सेल्स का जन्म होता है इससे साधक की आयु बढ़ जाती है सामान्य मनुष्य में नए सेल्स का जन्म नहीं होता है उसकी एक समय सीमा होती है लगभग 100 वर्ष की आयु में शरीर निर्जर हो जाता है शरीर में अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते हैं जब सही से कार्य नहीं करते हैं अंग! जिनको चक्रसिद्ध होते हैं वह अपनी आयु को जितना चाहे उतना बड़ा सकते हैं प्रत्येक चक्र का संबंध शरीर के विशेष अंगों से होता है इस क्रिया को शक्तिपात के द्वारा भी सिद्ध कराया जाता है जब सभी चक्रों में पूर्ण रुप से अमृत गतिमान हो जाता है तब साधक में सूर्य के समान तेज आ जाता है साधक के शरीर में कभी भी कोई बीमारी नहीं होती चाहे कितना ही भयंकर कोई जीव हो वायरस हो साधक के शरीर को बीमारी नहीं पहुंचा सकता इस क्रिया के परिणाम स्वरूप साधक को कोई भी विशेष साधना मंत्र साधना करने की आवश्यकता नहीं होती है जिससे अपने शरीर की चमक को बढ़ाएं शक्तिपात क्रिया से साधक की आंतरिक उर्जा बढ़ जाती है और मात्र 5 मिनट के पूजा करने से साधक अपने शरीर के सभी चक्रों में इस अमृत को चढ़ाने में सक्षम होता है साधक मानसिक कल्पना के आधार पर यह क्रिया करता है जब शक्तिपात कर दिया जाता है तो धीरे-धीरे यह क्रिया साधक के सभी चक्रों में रीढ की हड्डी के माध्यम से अपने आप होने लगती है जब भी साधक चाहेगा ! इसी अमृत से भ्रूण का निर्माण होता है जो लगभग मनुष्य जन्म में 100 वर्ष जीता है सभी चक्र अमृत रूपी स्त्राव करते हैं और साधक इस क्रिया के माध्यम से हजारों वर्ष तक जीवित रहता है इस क्रिया से साधक में एक असीम शक्ति उत्पन्न हो जाती है आकर्षण शक्ति बढ़ जाती है शक्तिपात क्रिया से साधक के सभी चक्रों में गति उत्पन्न हो जाती है और साधक अमृत को सभी चक्रों के माध्यम से पूरे शरीर में 72000 नाडियो के द्वारा संपूर्ण शरीर में फैला देता है. अमृत स्त्राव शक्तिपात से सबसे बड़ा फायदा यह होता है किस साधक का अमृत कुंड मूलाधार में हमेशा सूखा रहता है, साधक अपना अमृत मूलाधार के माध्यम से सभी चक्रों में प्रवाहित करता रहता है इसलिए साधक को कभी भी कामवासना नहीं सता सकती! मूलाधार से सहस्रार तक मूलाधार से आज्ञा चक्र तक मूलाधार से विशुद्ध चक्र तक मूलाधार से अनाहत चक्र तक मूलाधार से मणिपुर चक्र तक मूलाधार से स्वाधिष्ठान चक्र तक मूलाधार एक मोटर पंप का कार्य करता है मूलाधार से अमृत रूपी रसायन को सभी चक्रों में छोड़ा जाता है सभी चक्रों के कार्य अलग-अलग होते हैं! सहस्त्रधारा अमृत स्त्राव दीक्षा शक्तिपात=501 आज्ञा चक्र अमृत स्त्राव दीक्षा शक्तिपात=501 विशुद्ध चक्र अमृत स्त्राव दीक्षा शक्तिपात=501 अनाहत चक्र हृदय चक्र अमृत स्त्राव दीक्षा शक्तिपात=501 मणिपुर चक्र अमृत स्त्राव दीक्षा शक्तिपात=501 स्वाधिष्ठान चक्र अमृत स्त्राव दीक्षा शक्तिपात=501 सहस्त्र धार चक्र कुंडलिनी दीक्षा शक्तिपात=501 आज्ञा चक्र कुंडलिनी दीक्षा शक्तिपात=501 विशुद्ध चक्र कुंडलिनी दीक्षा शक्तिपात=501 अनाहत चक्र (हृदय चक्र) कुंडलिनी दीक्षा शक्ति पात=501 मणिपुर चक्र कुंडलिनी दीक्षा शक्तिपात=501 स्वाधिष्ठान चक्र कुंडलिनी दीक्षा शक्तिपात=501 यह शक्तिपात किसी भी स्त्री-पुरुष पर हो सकता है किसी भी जीव जंतु पर हो सकता है कम आयु के बच्चों पर भी हो सकता है इसमें बच्चे ऐसे होने चाहिए जिनको कुछ समस्या हो जैसे कोई बीमारी है या रोग है. जो हमेशा परोपकारी हैं सज्जन व्यक्ति हैं दूसरों का भला चाहते हैं ऐसे व्यक्तियों पर शक्तिपात तुरंत प्रभावी होता है. सभी शक्तिपात केवल मंगलवार को ही किए जाएंगे. सूर्यास्त के बाद यह शक्तिपात कार्य किया जाता है. विदेशों में रहने वाले व्यक्ति भी फोन कॉल्स के माध्यम से शक्तिपात दीक्षा ले सकते हैं. शक्तिपात के लिए विदेशों के व्यक्ति संपर्क कर सकते हैं. गुरुदेव अशोक कुमार चंद्रा हरिद्वार उत्तराखंड भारत हेल्पलाइन- 00917669101100 00918868035065 00919997107192 vishnuavtar8@gmail.com

Saturday, January 11, 2020

त्रिजटा सिद्धि

त्रिजटा अघोरनी सिद्धि यह साधना 21 दिनों की होती है।
साधक को साधना काल में सफेद वस्त्र धारण करने चाहिए। सफेद आसन प्रयोग करना चाहिए। अपने सामने कांसे की थाली में भगवान शिव का फोटो स्थापित करें। फोटो पर गेंदे के फूलों की माला स्थापित करे। चन्दन का इत्र ,चमेली का इत्र,उद का इत्र चढ़ाय। लाल सिंदूर का तिलक साधक स्वयं और शिवजी को लगाए। शुद्ध देशी घी का दीया जलाय जो कम से कम 3घंटे जल सके। यह साधना शनिश्चरी अमावस्या से शुरू करे। रात्रि 10बजे से बन्द कमरे में करे।चमेली,मोगरा,चन्दन ,गुलाब का धूप जलाए। कमरे में फर्श और दीवारों पर सुगन्धित सेंट चमेली,मोगरा,गुलाब का छिड़काव करें। थाली में सफेद मिठाई,बताशे,फल रखे। सिन्दूर और चावल रखे। मंत्र जाप के समय साधक को बन्द आंखों से थर्ड आई अर्थात् आज्ञा चक्र पर श्मशान की आत्माएं दिखनी शुरू हो जाती है।आवाजे आनी शुरू हो जाती है।कमरे के अंदर मुर्दे के जलने की बदबू आने लगती है। आज्ञा चक्र के माध्यम से साधक त्रिजटा अघोरनी से वार्ता और वचन करता है। मंत्र जप में रुद्राक्ष की माला या काली हकीक माला उत्तम है। पवित्रीकरण,वास्तुदोष पूजन,गुरुपूजन,संकल्प लेकर साधना शुरू करे। सिद्ध होने के बाद साधक कोई भी षटकर्म करने में समर्थ हो जाता है।यह साधना प्रतिदिन 3 घंटे करनी होती है। मंत्र अत्यंत तीव्र और खतरनाक प्रभाव पूर्ण है, समयानुसार योग्य साधक को ही सिद्ध कराया जाएगा। गुरुदेव अशोक कुमार चंद्रा हरिद्वार उत्तराखंड भारत हेल्पलाइन 00917669101100

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