गंधर्व विवाह मन्त्र साधना
यह साधना अत्यंत पुरानी है और वर्तमान में लुप्त हो चुकी है,अतः इस साधना को पुनः मानव भलाई के लिए विधि विधान से प्रस्तुत कर रहा हूँ।
यह सिद्धि रामबाण है कन्या को वर प्राप्ति करने में ।
जो लड़के लडकिया,प्रेमी प्रेमिका एक दूसरे से प्रेम करते है किन्तु उनकी शादी में उनके परिवार वाले नही मान रहे है,तब यह साधना संपन्न करे।इसी कारण यह साधना गंधर्व विवाह कहलाती है,यह साधना पूर्ण सिद्ध होने के बाद ही आपको प्रदान की जा रही है,योग्य स्त्री सिद्ध करके इस साधना से हमेशा के लिये अपने प्रेमी को पति रूप में वरण कर लेती है और आजीवन प्रेम विवाह बना रहता है ।
यह साधना किसी भी पूर्णिमा से शुरू करे,,लालवस्त्र धारण करे,सिंदूर का तिलक लगाये,लाल चन्दन की माला से जप करे,लाल आसन, दिशा उत्तर,बन्द आँखों से जप करे,गंधर्व दीक्षा ग्रहण करे,10 माला मन्त्र जाप रात्रि 10 बजे से शुरू करे।
दाहिने हाथ के अंगूठे और मध्यमा से जप करे।
अपने सामने कांसे की थाली में भगवान शिव का फ़ोटो अथवा गन्धर्व देव का फ़ोटो लगाये,देशी घी का दिया,धूपवत्ति,लाल गुलाब के फूल,मौसमी फल, मावे की मिठाई रखे,
अब प्रेमी अथवा प्रेमिका जो भी साधना कर रहा है,विवाह के लिए,अपने सामने ताँबे के कलश से जल लेकर दाहिने हाथ में शरीर पवित्रीकरण करे,सामग्री पवित्री करण करे,नेऋत्य दिशा में वास्तु दोष पूजन करे,1 माला गुरु पूजन,शिव पूजन,गणेश पूजन,विष्णु पूजन करे।
सुरक्षा मन्त्र करे,
संकल्प ले,गंधर्व देव पूजन करे,दोनों हाथ जोड़कर ध्यान मन्त्र बोले,फिर 10 माला मूल मन्त्र जप करे।जप के बाद सो जाय और सुबह को फल,मिठाई फूल मंदिर या पीपल या बहते दरिया में रख दे,लौटे का जल पीपल या तुलसी पर चढ़ा दे।रोज ऐसे ही कार्य करना है।
11 वे दिन हवन करे।आम की लकड़ी में अग्नि जलाये, उसमे 1 हजार आहुति गुगुल, विल्बपत्र,घी से करे।
उत्तर दिशा में,इसके बाद उसी दिन 100 मन्त्रो से तर्पण करे इसमें एक थाली में 1 लीटर कच्चे दूध को डालकर उसमे थोड़ी चीनी,जल,दुर्बा घास,शहद डाले,,दोनों हाथो से थाली में से दूध को अंजुली में भर कर अपने मुँह तक ऊपर उठाये और मन्त्र बोले,इसमें मन्त्र के अंतिम शब्द में स्वाहा की जगह तर्पयामि कहे और दूध भरी अंजुली थाली में गिरा दे पुनः ऐसी ही क्रिया करे ।
अब मार्जन के लिए दुर्बा घास ले और दूध मिश्रित जल में डुबोकर दाहिने हाथ से अपने सिर पर छिड़के और उसके बाद पुरे शरीर पर,यह क्रिया 10 बार करे और तर्पयामि की जगह मार्जयामी कहे।इसके बाद एक ब्राह्मण को भोजन वस्त्र,दक्षिणा दे।मन्त्र सिद्धि पाठ पूर्ण होकर देव कृपा से विवाह पूर्ण होगा।माता पार्बति जी ने भी शिव जी पति रूप में प्राप्त करने के लिये कठिन साधना की थी।अतः स्त्रियों को भी ऐसे ही होना चाहिए।
गंधर्वराज देव ध्यान मन्त्र
कन्यावृक्ष समा सीन उद्यदा दित्यसंनिभम ।
अंकस्थ कन्या गंधर्व विश्वा व सुप्रभुम् स्मरेत्। ।
सिद्धि मन्त्र
ॐ क्लीम् विश्वाशु नाम गन्धर्व ह कन्या नामधिपतिह लभामि देवदत्ताम् कन्याम् सुरुपाम सालनकाराम तस्मै विश्वावसवे स्वाहा ।
गुरु अशोक कुमार चन्द्रा
हरिद्वार,उत्तराखंड
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