जादूगरनी साधना -
यह साधना अपने आप में एक बहुत शक्तिशाली साधना है
यह साधना अधिकतर विदेशों में प्रयोग की जाती है ।
हमारे देश भारत में इसको बहुत ही कम लोग जानते हैं ।
विदेशी तंत्रों में अधिकतर जादूगरनियां हुआ करती हैं और उनके साथ जादूगर भी होते हैं जिसे जोकर भी कहा जाता है।
विदेशों में इनको सिद्ध करने के अलग-अलग मंत्र होते हैं और यह हर कार्य को सिद्ध करके देते हैं जितना तीव्रता के साथ काम करना होता है उतनी तीव्रता के साथ इनको इनका भोग दिया जाता है और कार्य तुरंत होता है ।यह भोग श्मशान घाट में कब्रिस्तान में या ग्रेव्यार्ड में दिया जाता है ।
शमशान से जादूगरनी सिद्ध करनी है तो कर सकते हैं
कब्रिस्तान से जादूगरनी सिद्ध करनी है तो कर सकते हैं और ग्रेव्यार्ड से जादूगरनी सिद्ध करनी है तो कर सकते हैं जादूगरनी का स्वरूप मंत्र के अनुसार हिंदू मुस्लिम ईसाई धर्म में अलग अलग होता है जादूगरनी एक शक्तिशाली आत्मा होती है जो प्रबल वशीकरण सम्मोहन और हर कार्य अपने साधक की इच्छा अनुसार उसके अनुकूल कर देती है किंतु यह कार्य तभी करती है जब चारों तरफ से कोई रास्ता नहीं बचता है और बिल्कुल आखिरी समय में यह जादूगरनी काम करती हैं। असंभव कार्य को संभव करना जादूगरनी के बाएं हाथ का खेल है और जादूगरनी को सिद्ध करने वाले साधक चाहे तो इसको अपने घर में रहकर भी सिद्ध कर सकते हैं और चाहे तो घर से बाहर शमशान कब्रिस्तान या ग्रेव्यार्ड में जाकर सिद्ध कर सकते हैं साधना में ब्रह्मचर्य का पालन करना जरूरी नहीं होता इस साधना में सभी तरीके से साधक को अपवित्र रूप में रहकर सिद्धि करनी होती है
यहां पर आपको काले इलम की जादूगरनी का सिद्धि विधान बताया जाएगा इसको बंगाल की जादूगरनी भी कहा जाता है।
हमारे भारतीय तंत्र में जादू करने की जो आत्मा होती है इनको तामसिक चंडी के रूप में प्रस्तुत किया गया है जो किसी भी कार्य को पलक झपकते सिद्ध कर देती हैं।
जादूगरनी का स्वरूप एक बूढ़ी स्त्री की तरह होता है जो कमर झुकाकर चलती है और इसके दाहिने हाथ में एक त्रिशूल होता है छोटा सा।
इस जादूगरनी के साथ खूब सारी आत्माएं होती हैं जो अच्छे कार्य और बुरे कार्य दोनों करते हैं कुल मिलाकर कहा जाए तो इस जादूगरनी के साथ एक बहुत बड़ा अखाड़ा होता है जिसमें सभी तरह की प्रेत पिशाच आदि आत्माएं शामिल होती हैं जो साधक सिद्ध कर लेता है उस साधक के आगे भविष्य में कभी भी कोई ऐसा कार्य आ जाता है जो जायज है और असंभव भी है तब साधक अपने गंतव्य स्थान पर सांयकाल पहुंचकर वहां जादूगरनी का भोग लगा कर प्रार्थना करता है कि इस कार्य को करना है और कौन सी ऐसी शक्तिशाली आत्मा है देवी अखाड़े में है जो इसको कर सकती है ।
कृपया आए और अपना भोग बताएं और इस कार्य को करके अपना भोग ले जाए फिर उस शमशान से उस कब्रिस्तान से उस ग्रेव्यार्ड से शक्तिशाली आत्मा प्रकट होती है और साधक को दर्शन देकर उस कार्य को करके दिखाती है और करने से पहले अपना भोग साधक को बताती है उसको भोग में क्या चाहिए।
साधक उस बात पर सहमत हो जाता है और कार्य सिद्ध होने के बाद उस कार्य को करने का वचन देता है ।
साधक का कार्य तुरंत हो जाता है कार्य चाहे देश का हो या विदेश का सिद्ध होता है।
दूसरी तरफ इस जादूगरनी को सिद्ध करते समय साधक को 11 दिन का समय लगता है इन 11 दिन में साधक को मंत्र जाप करते टाइम खड़े रहना होता है ।
साधक की आंखें बंद होनी चाहिए साधक को डरना नहीं चाहिए क्योंकि सिद्धि के समय श्मशान में सबसे पहले चुड़ेले आकर साधक के आसपास घूमती हैं कुछ शादीशुदा दुल्हन के जोड़े में होती हैं कुछ ग्रामीण स्त्रियों के लिबास में होती हैं कभी-कभी शमशान से मगरमच्छ दिखाई देते हैं कभी-कभी नर पिशाच उड़ते हुए दिखाई देते हैं कभी-कभी सांप आते हैं कभी-कभी खूब सारे पक्षी उड़ते हुए आते हैं कभी-कभी बिच्छू आते हैं कभी-कभी मधुमक्खियां आती हैं इसी तरह से अजीबोगरीब तरह के प्राणी छिपकली या कीड़े मकोड़े दुनिया भर के झाड़ियां सभी आती है और साधक के शरीर में प्रवेश करती जाती हैं ।
इन चीजों से साधक को डरना नहीं चाहिए और बिना सुरक्षा चक्र के यह सभी चीजों को अपने शरीर में प्रवेश कराते रहना चाहिए।
साधना के दौरान साधक के पास खूब सारी डाइनो का, चुड़ैलों का दर्शन होता है और साधक को चाहिए कि उनसे मानसिक रूप से बात ना करें अपना मंत्र जाप करता रहे और साधना के आखिरी दिन में जो शक्ति सामने आती है उस से वचन ले ले इसमें दो कंडीशन होती हैं एक कंडीशन में जादूगरनी नहीं आती है या तो साधक से स्वयं विवाह करती है दूसरी कंडीशन ये होती है अपने अखाड़े की सबसे सुंदर चुड़ैल को, डायन को साधक के साथ विवाह करा देती है और हमेशा साधक की सुरक्षा करती है पूरे का पूरा अखाड़ा जादूगरनी का साधक के आंतो से जुड़ा होता है।
इन सभी शक्तियों का वास साधक के पेट में होता है और साधक के पेट में अजीबोगरीब आवाज आने लगती हैं ।
सिद्धि के टाइम साधक के बाए हाथ में एक जादूगरनी कुछ उर्दू में भाषा में लिखा हुआ एक किताब देती है जिससे साधक के अंदर शक्ति प्रवेश कर जाती है और यह घटना लगभग 5वे दिन होती है और 11वे दिन साधक के वचन हो जाते हैं जिसमें त्रिशूल लिए हुए एक बूढ़ी स्त्री सामने आती है जिसे जादूगरनी भी कहा जाता है इसके द्वारा साधक के वचन होते हैं और इसके साथ पूरा का पूरा अखाड़ा होता है। इस के अखाड़े में कितनी संख्या में आत्माएं होती है कुछ नहीं कहा जा सकता उनकी कोई गिनती नहीं होती है ।
साधक को घबराना नहीं चाहिए और सभी आत्माओं से साक्षात्कार करना चाहिए और इस कार्य में महारत हासिल करना चाहिए।
किसी भी शुक्रवार से साधना को शुरू किया जा सकता है किसी भी ग्रहण काल से शुरू किया जा सकता है या किसी भी अमावस्या से शुरू किया जा सकता है साधना शुरू करने के बाद इसे बीच में छोड़कर नहीं जाना चाहिए अन्यथा साधक को घातक हानि भी हो सकती है।
इस साधना में रुद्राक्ष की एक माला अनिवार्य है साधक के वस्त्र लाल रंग के हो तो काफी अच्छा है अन्यथा किसी भी तरह के वस्त्रों में साधना को कर सकते हैं दूसरी तरफ जादूगरनी के भोग में कुछ विशेष प्रकार के फूल कुछ विशेष प्रकार की सुगंध कुछ विशेष प्रकार के पदार्थ खाने वाले रखे जाते हैं इसमें पेय पदार्थ भी रखे जाते हैं इस को सिद्ध करने पर साधक साधक के चेहरे का रंग थोड़ा कालापन लिए हो जाता है जैसा मंत्र में कहा गया है उसी तरह से रंग हो जाता है चेहरे का यह सबसे बड़ा प्रतीक है कि आप ने जादूगरनी को सिद्ध कर लिया है इसके बाद जब भी साधक इस क्रिया को छोड़ना चाहे उसको अलग किया जा सकता है और साधक अपना रंग पहले जैसा चेहरे का प्राप्त कर सकता है यह एक तरह का जादू ही होता है इस सिद्धि को करने पर साधक का रंग बदल जाता है चेहरे का अतः जिनका रंग पहले से काला है या सावला है वह इसको कर सकते हैं उन पर इतना इसका प्रभाव नहीं दिखेगा किंतु जिन का रंग गोरा है साफ है वह इसको ना करें तो ही अच्छा है अन्यथा उनका रंग सांवला पड़ जाएगा कलर चेहरे का बदल जाएगा यह एक विशेषता है इस साधना की अब जादूगरनी की उत्पत्ति कैसे होती है इसको आप यहां बताया जाएगा जब कोई स्त्री शादीशुदा मर जाती है विवाह होने के 6 माह के अंदर तो इस तरह उसकी आत्मा जादूगरनी के रूप में बदल जाती है जो पूर्ण रूप से शक्तिशाली आत्मा होती है और उसके वश में लगभग लगभग पूरा शमशान होता है कब्रिस्तान होता है ग्रेव्यार्ड होता है।
साधना का मंत्र नीचे दिया जा रहा है और यह साधना का वर्णन सिर्फ जानकारी हेतु दिया गया है यह जादूगरनी प्रत्येक कार्य को सिद्ध करने में वशीकरण करने में विद्वेषण करने में बीमारी देने में प्रबल है।
मंत्र चंडी चंडी महापुर चंडी आठवां पहर फिरने नू खंडी, मैं हूं कौम बंगाला इलम का पर काला ।
जिसके पीछे लग जाए वह काम मेरे हाथ आए शब्द सांचा पिंड कांचा दिखाएं चंडी अपने गुरु के इलम का तमाशा।
इसको सम्मोहिनी जादूगरनी भी कहा जा सकता है यह सभी कार्य जब साधक सिद्ध करता है तो बंद आंखों में आज्ञा चक्र के माध्यम से साधक के साथ सभी घटनाएं घटित होती हैं और मानसिक रूप से साधक को आत्माओं से साक्षात्कार होता है जादूगरनी से साक्षात्कार होता है। इस मंत्र के द्वारा किसी को भी मिठाई मांस मदिरा मंत्र से अभिमंत्रित करके खिलाई जा सकती है और मनचाहा कार्य सिद्ध करवाया जा सकता है यह साधना पूर्ण सिद्ध और परीक्षित है।
कृपया यह साधना सोच विचार कर ही करें यदि आप यह साधना करते हैं और आपको कोई भी अनुभव नहीं होता है तो भी आपको यह मंत्र सिद्ध होता है क्योंकि आपका जो चेहरा का रंग है वह धीरे-धीरे काला पड़ जाएगा किंतु आप का यदि साक्षात्कार नहीं हुआ तो कहीं ना कहीं कुछ ना कुछ कमी रह जाती है इसलिए इस मंत्र का बिना किसी उद्देश्य के उपयोग ना करें और बिना गुरु के यह साधना ना करें।
गुरुदेव अशोक कुमार चंद्रा
Helpline 00917669101100
00918868035065
00919997107192
Showing posts with label Sorceress how to talk?.. Show all posts
Showing posts with label Sorceress how to talk?.. Show all posts
Wednesday, January 5, 2022
शैतान वशीकरण साधना-यह साधना बहुत ही प्राचीन विद्या है, इस साधना के अंतर्गत साधक या साधिका को एक शक्तिशाली शैतानी जिन्नात सिद्ध होता है। इसक...