ब्रह्मचक्र -महाशिवरात्रि के इस पर्व पर लगभग 108 ब्रह्मचक्र को तैयार किया जायेगा।
इस सुरक्षा चक्र में काली देवी लक्ष्मी देवी सरस्वती देवी,त्रिदेव शक्ति ब्रह्मा विष्णु महेश को मन्त्र अनुष्ठान के माध्यम से चक्र में सभी शक्तियो को प्रवेश कराकर सिद्ध ब्रह्मचक्र का निर्माण किया जाता है।
इस चक्र में भूत दाना,प्रेतदाना,चुडेल दाना ,आदि शक्तियो से सिद्ध किया जाता है।
सिद्ध होने के बाद चक्र जाग्रत अवस्था में आ जाता है जिसे गले में काले धागे में धारण किया जाता है।
ब्रह्मचक्र धारणकर्ता की पर्याप्त सुरक्षा होती है।उसको कोई भी वाह्य शक्ति नुकसान नही कर सकती है।
भूत,प्रेत,भटकती आत्माए,इतर योनियाँ,काला जादू,तांत्रिक मुठकरनी, चौकी, लाट, जिन,जिब्राएल,परी दोष,गढ़ंत दोष,पिशाच,ब्रह्मराक्षस,डाकिनी,शाकिनी,ओपरे,नजर आदि हवाएँ इस चक्र से ट कराकर वापस चली जाती है और धारणकर्ता से दूर हो जाती है।
जिन साधको को मन्त्र जाप के समय सुरक्षा का भय बना रहता है ,इसको धारण कर सकते है , किन्तु सिद्धि के समय उनको आवाजे सुनाई दे सकती है या कोई दृश्य दिख सकता है किन्तु डरे नही ,वह आपसे दूर होगी ।
जिन लोगो को शारीरिक बीमारी जो रहस्यमय तरीके की होती है जिनको डॉक्टर भी नही बता पाते और ठीक नही कर सकते ,ऐसे लोग भी इसको धारण कर सकते है और जो भी शक्ति उनके शरीर को बीमार कर रही है ,वह इस चक्र के धारण कर्ता को छोड़कर भाग जाती है।इससे उनके शरीर की रहस्यमय बीमारी ठीक हो जाती है।
इन आत्माओ जनित बीमारी में मुख्य रूप से रात को नींद न आना ,अचानक नींद टूट जाना,शरीर में दर्द रहना,काम में मन न लगना, घर में ही रहना,बुखार लगातार रहना,भूख न लगना या लगातार खूब सारा खाना खा लेना ,अकेले में अपने आप से बात करना आदि प्रमुख है।
इसको धारण करके साधक साधना में पूर्ण सफल होते है और तांत्रिक बन्धनों से मुक्त होते है।
साधक की पर्याप्त सुरक्षा होती है।
जो लोग घर में अकेले रहते है या उनको आत्माओ से डर लगता है इसको धारण कर सकते है।
रात को कमरे में किसी अदृश्य शक्ति का आभास होना,पैरों की आहट सुनाई देना,आवाज सुनकर नींद टूटना,सोते समय मुँह से आवाज़ न निकलना,खूब चिल्लाना पर कोई फर्क न पड़े,अदृश्य शक्ति का हमला ,सोते समय दम घुटना आदि।
गुरु अशोक कुमार चन्द्रा
हरिद्वार उत्तराखण्ड
हेल्पलाइन
00917669101100
00918868035065
00919997107192
emailid
vishnuavtar8@gmal.com
इस सुरक्षा चक्र में काली देवी लक्ष्मी देवी सरस्वती देवी,त्रिदेव शक्ति ब्रह्मा विष्णु महेश को मन्त्र अनुष्ठान के माध्यम से चक्र में सभी शक्तियो को प्रवेश कराकर सिद्ध ब्रह्मचक्र का निर्माण किया जाता है।
इस चक्र में भूत दाना,प्रेतदाना,चुडेल दाना ,आदि शक्तियो से सिद्ध किया जाता है।
सिद्ध होने के बाद चक्र जाग्रत अवस्था में आ जाता है जिसे गले में काले धागे में धारण किया जाता है।
ब्रह्मचक्र धारणकर्ता की पर्याप्त सुरक्षा होती है।उसको कोई भी वाह्य शक्ति नुकसान नही कर सकती है।
भूत,प्रेत,भटकती आत्माए,इतर योनियाँ,काला जादू,तांत्रिक मुठकरनी, चौकी, लाट, जिन,जिब्राएल,परी दोष,गढ़ंत दोष,पिशाच,ब्रह्मराक्षस,डाकिनी,शाकिनी,ओपरे,नजर आदि हवाएँ इस चक्र से ट कराकर वापस चली जाती है और धारणकर्ता से दूर हो जाती है।
जिन साधको को मन्त्र जाप के समय सुरक्षा का भय बना रहता है ,इसको धारण कर सकते है , किन्तु सिद्धि के समय उनको आवाजे सुनाई दे सकती है या कोई दृश्य दिख सकता है किन्तु डरे नही ,वह आपसे दूर होगी ।
जिन लोगो को शारीरिक बीमारी जो रहस्यमय तरीके की होती है जिनको डॉक्टर भी नही बता पाते और ठीक नही कर सकते ,ऐसे लोग भी इसको धारण कर सकते है और जो भी शक्ति उनके शरीर को बीमार कर रही है ,वह इस चक्र के धारण कर्ता को छोड़कर भाग जाती है।इससे उनके शरीर की रहस्यमय बीमारी ठीक हो जाती है।
इन आत्माओ जनित बीमारी में मुख्य रूप से रात को नींद न आना ,अचानक नींद टूट जाना,शरीर में दर्द रहना,काम में मन न लगना, घर में ही रहना,बुखार लगातार रहना,भूख न लगना या लगातार खूब सारा खाना खा लेना ,अकेले में अपने आप से बात करना आदि प्रमुख है।
इसको धारण करके साधक साधना में पूर्ण सफल होते है और तांत्रिक बन्धनों से मुक्त होते है।
साधक की पर्याप्त सुरक्षा होती है।
जो लोग घर में अकेले रहते है या उनको आत्माओ से डर लगता है इसको धारण कर सकते है।
रात को कमरे में किसी अदृश्य शक्ति का आभास होना,पैरों की आहट सुनाई देना,आवाज सुनकर नींद टूटना,सोते समय मुँह से आवाज़ न निकलना,खूब चिल्लाना पर कोई फर्क न पड़े,अदृश्य शक्ति का हमला ,सोते समय दम घुटना आदि।
गुरु अशोक कुमार चन्द्रा
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