@@ब्रह्मचर्य खंडित से बचाव हेतु तांत्रिक प्रयोग@@
अक्सर यह देखा गया है जब भी कोई साधक साधना करता है तो साधना काल में उनका ब्रह्मचर्य खंडित हो जाता है और साधना सिद्धि असफल रहती है ।
बड़े बड़े बाबा लंगोटधारी भी इस से नही बच पाते।
वर्तमान में जिन साधको को इस समस्या का सामना करना पड़ा है उनके लिये यह प्रयोग दे रहा हूँ जिससे बिना किसी डर के साधना सम्पन्न कर सकेंगे और स्वप्नदोष जैसे घातक रोग जो आत्माओ से संपन्न होते है बच जायेगे और सफलता प्राप्त करेंगे।
साधना से 11 दिन पहले 125 ग्राम मूँग की दाल रात को पानी में भिगोकर रख दे और सुबह खा जाये।
रात को सोते समय पानी के गिलास में 2 जायफल डालकर अपने सिर के ऊपर से सोते समय 5 बार उतार कर सवा हाथ गहरे गड्ढे में डाल दे ,,यह क्रिया 11 दिन करे। अंतिम दिन गिलास से पानी और जायफल डालकर उस गड्ढे को बंद कर दे।
फिर साधना शुरू करे।
साधना में सफलता प्राप्त होगी और ब्रह्मचर्य खण्डित नही होगा।
यह योगियो का सिद्ध तांत्रिक प्रयोग है।
गुरु अशोक कुमार चन्द्रा
हरिद्वार उत्तराखण्ड
हेल्पलाइन
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