हनुमान (बाहुबली)चमत्कारी मन्त्र सिद्धि-
यह साधना 21 दिन में सिद्ध की जाती है।साधक को धर्मयुद्ध के लिये हनुमानजी से बल माँगना चाहिये।
यह सिद्धि किसी भी पूर्णिमा या शुक्ल पक्ष के मंगलवार ,शनिवार या किसी ग्रहण या नवरात्रि या त्यौहार से या श्रावण माह में सिद्ध कर सकते है।
साधना के लिये साधक के पास एक कमरा होना चाहिए।केवल साधक ही आ जा सके।
हनुमानजी सम्बन्धी सभी नियमो का पालन अनिवार्य है।
सिद्धि से पूर्व साधक को हनुमानजी की पूजा मंदिर में जाकर देनी चाहिये और प्रार्थना करे कि निर्विघ्न साधना सम्पन्न हो।यह साधना निःस्वार्थ ,धर्मयुद्ध के लिये कर रहा हूँ।
पूजा सामग्री में चन्दन की धूप,अगरबत्ती,2 फल,2 बूंदी के लड्डू, लाल गुलाब की माला,चन्दन का इत्र छोटी शीशी,देशी घी का दिया, लंगोट कपड़े का,चमेली का तेल और लाल सिंदूर का चोला,एक जोड़ी खड़ाऊ, कपड़े लाल रंग के ,पानी का नारियल,एक हरा पान ,2 इलायची( कोई भी) चढ़ाए।
मंगलवार शनिवार को बन्दरो को केले,चने ,गुड़ खिलाए।यह कर्म तब तक करे जब तक सिद्धि प्राप्त न हो जाय।
सिद्धि के लिये साधक को सबसे पहले अपने कमरे में चन्दन का सेंट छिड़क देना चाहिये फर्श पर और 2 मीटर की ऊंचाई तक चारो दीवारों पर।
उसके बाद साधक को सभी सामग्री के साथ कमरे में होना चाहिये।आसन कुशा का रखे उसके ऊपर लाल आसन रखे।
10 मीटर लाल कपड़े के 3 भाग करें।
एक भाग डेढ़ मीटर का आसन पर रखे।
दूसरा भाग डेढ़ मीटर का बाजोट या चौकी पर रखे।
तीसरा भाग 7 मीटर का पहनकर साधना करे।
माथे पर लाल चंदन का तिलक लगाएं।
माला रूद्राक्ष की होनी चाहिए।माला को जल में डुबोकर लालसिंदूर सभी दानों पर रगड़ें और माला गोमुखी में रख दे।
अब पूजा की चौकी पर जल का कलश रखें।
थाली में हनुमानजी की मूर्ति स्थापित करे और चन्दन के सेंट या इत्र से स्नान कराए।
देशी घी का अखण्ड दिया जलाए।
चन्दन की धूपबत्ती, अगर बत्ती जलाए।
भोग में गुड़ रखे,मीठा रामरोट भी बनाए।
फल ,मिठाई का भोग रखे।
फूलों की माला चढ़ाए।
थाली में थोड़ा सिंदूर,चावल भी रखे।
साधक सबसे पहले पवित्रीकरण अपने शरीर का करे।
उसके बाद सामग्री का
उसके बाद वास्तु दोष पूजन करे।गुरुमन्त्र एक माला जप करे।
संकल्प ले। सुरक्षा साधन करे।
हनुमान जी का ध्यान कर मन्त्र सिद्धि शुरू करे।
मन्त्र जाप के बाद हनुमान चालीसा का एक पाठ,आरती करें।
क्षमा याचना कर वही सो जाय।
यह साधना होने पर हनुमानजी साधक को आज्ञा चक्र में प्रकट होकर वरदान देते है।
इसमे साधक को बल माँगना चाहिए।
यह बल साधक के शरीर मे आने में 2 से 10 साल का समय लग जाता है।
पूर्ण श्रद्धा और विश्वास रखे।
मन्त्र-
ॐ नमः हनुमंताय आवेशाय आवेशय स्वाहा।।
गुरु अशोक कुमार चन्द्रा
हरिद्वार उत्तराखंड
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Tuesday, July 10, 2018
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