@महाकृत्या मन्त्र साधना@
यह साधना अत्यंत गोपनीय,दुर्लभ और प्राचीन है।यह कृत्या शरीर से उत्पन्न होती है।यह वशीकरण ,मोहन,मारण,उच्चाटन का प्रबल अस्त्र है।जब भगवान् शिव को क्रोध आया और उनके सैनिक परास्त होकर आ गए थे तब उन्होंने अपने शरीर से कृत्या का निर्माण किया था और यज्ञ का नाश किया था,बड़े बड़े ऋषि मुनियो के तंत्र मन्त्र भी कृत्या शक्ति के आगे काम नही कर पाये अर्थात फैल हो गए।कृत्या मानव शरीर से उत्पन्न एक देवी शक्ति है।जिस तरह मनुष्य अपने शरीर से मन्त्र साधना से अपने तीन हमजाद सिद्धि करता है उसी तरह कृत्या सिद्ध हो जाती है।
मन्त्र की कृत्या तंत्र की कृत्या से 100 गुना ज्यादा तीव्र कार्य करती है।कुछ ही सेकंडो में मात्र।
प्राचीन काल में महा कृत्या गुरुदेव शुक्राचार्य जी को सिद्ध थी।यह कृत्या तीनो लोको के कार्य संपन्न करती है।अगर साधक अपने दोनों हाथ ऊपर की तरफ आकाश में करके कृत्या का मन्त्र जप कर कार्य कहे तो स्वर्ग में हा हा कार हो जाय, पृथ्वी पर करे तो मानव में हलचल हो जाये,भूमि की तरफ देखकर करे तो पाताल लोक में।
अर्थात कृत्या साधक किसी भी देव देवी ,अप्सराआदि को वशीभूत कर सकता है।घर बैठे उनको दण्डित कर सकता है,इतर योनि को मारण कर सकता है।इसी शक्ति मन्त्र के बल पर रावण ने लंका में बैठे हुए ही स्वर्गलोक में नृत्य करने वाली अप्सरा का शक्ति उच्चाटन किया था जिससे वह बेहोश होकर गिर गयी थी।
जब कृत्या देवी आती है तब मारण के लिये तो भूत प्रेत,ब्रह्म राक्षस ,पिशाच,जिन,कर्णपिशाचिनी आदि शक्तियाँ भाग जाती है नही तो कृत्या कालग्रास बना देती है सबको और एक बबूले अर्थात बवंडर में लपेटकर सबको अंतरिक्ष में विलीन हो जाती हैं।
कृत्या सिद्ध होने पर साधक मन्त्र से जल पड़कर रोगी को पिलाय तो रोगी रोगमुक्त हो जाता है।कोई तंत्र साधक को हानि नही पहुंचा सकता है।साधक मन में असीम बल धारण कर लेता है।चार कर्म सिध्द हो जाते हैं।वर्तमान में 26 योग्य साधको को कृत्या प्रदान करायी गयी है।जो सफलता पूर्वक मानव भलाई के कार्य कर रहे हैं।
कृत्या एक सात्विक साधना है।मांस मदिरा का सेवन वर्जित है।
कृत्या साधना गुरुकृपा ,शिवकृपा से ही प्राप्त होती है।कृत्या साधना का पूर्ण विधान यहाँ नही दिया गया है,केवल साधको के ज्ञानार्थ है।
कृत्या सिद्धि किसी भी मंगलवार या अमावस्या से शुरू की जा सकती है।काले वस्त्र धारण करके तेल का दिया जलाकर सिद्ध की जाती है,इसमें सभी कर्म बांये हाथ से करने होते है जैसे
दिशाबन्धन,देह रक्षा आदि।
कृत्या सिद्ध साधक सेकड़ो अधर्मी तांत्रिको पर भारी पड़ जाता है।(यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब कोई मारण ,बन्धन,तांत्रिक परयोग का शिकार आदमी हमारे पास आता है और इलाज के लिये बोलता है,तब ऑनलाइन माध्यम से उस का फ़ोटो ,माता का नाम पिता का नाम,पूरा पता लिया जाता है,,तब पीड़ित को आत्मिक रूप से संपर्क करके यदि उसके ऊपर तांत्रिक प्रयोग होता है तो उसको उच्चाटन कर दिया जाता है।किसी भी तरह की आत्मा होती है तो उसका मारण या मुक्ति कर दिया जाता है या कोई चोकी लाट देवी या देवता की होती है तो उसको वापस् उठा कर उसके स्थान पर भेज दिया जाता है जिससे रोगी के प्राण बच जाते है।अपना शेष जीवन व्यतीत करता है ।उस तांत्रिक को शक्तिहीन कर दिया जाता है बन्धन से ,,यदि वो अपने गुरुओ के पास जाता है और उनके गुरु भी उसकी गलती नही मानते ,उसकी हेल्प करते है तो उनको भी बंधन कर दिया जाता है।)
मन्त्र
ॐ ब्रह्मसूत्रसमस्त मम देह आवद्ध आवद्ध वज्र देह फट्
ॐ ऐम् क्लीम् ह्रीम् क्रीम ॐ फट
ॐ शिवकृत्या प्रयोगाय दस दिशा बंधाये क्रीम क्रोम फट्
ॐ रम् देहत्व रक्षा य फट्।
गुरु अशोक कुमार चन्द्रा
हरिद्वार उत्तराखण्ड
हेल्पलाइन
00917669101100
Showing posts with label कृत्या मन्त्र. Show all posts
Showing posts with label कृत्या मन्त्र. Show all posts
Thursday, February 16, 2017
शैतान वशीकरण साधना-यह साधना बहुत ही प्राचीन विद्या है, इस साधना के अंतर्गत साधक या साधिका को एक शक्तिशाली शैतानी जिन्नात सिद्ध होता है। इसक...