डाकिनी ट्रांसफर साधना-
इस विद्या में डाकिनी को साधक के शरीर में प्रवेश कराया जाता है जिसके माध्यम से डाकिनी साधक की सभी इच्छाएं पूर्ण करती है। साधक के चारों तरफ पॉजिटिव ऊर्जा का प्रवाह होने लगता है ।
साधक के सभी कार्य धीरे-धीरे उन्नति की ओर होते हैं।
डाकिनी ट्रांसफर में 10 से 11 मिनट का समय लगता है , जिनके पास दिव्य दृष्टि होती है वे दिव्य दृष्टि के माध्यम से डाकिनी से वार्ता कर सकते हैं ।
जिनके पास दिव्य दृष्टि नहीं होती वे अलौकिक रूप से अनुभव कर सकते हैं ।
डाकिनी देवी को हमेशा अमावस्या को सूर्यास्त के बाद ट्रांसफर किया जाता है। जो साधक या साधिका देवी डाकिनी को अपने शरीर में प्रवेश करवाते हैं उनके लिए अमावस्या की रात्रि को दाहिने पांव पर खड़ा होना होता है उसके बाद सामने पूजा की थाली में देसी घी का दीया जलाना होता है ,
चमेली की धूप बत्ती जलानी होती है ,
सफेद बर्फी के पांच पीस रखने होते हैं।
एक प्याले में मदिरा विलायती , एक पान का पत्ता उसके ऊपर दो लौंग,एक सुपारी साबुत रखनी होती है ।
उसके बाद चमेली के तेल की शीशी का थोड़ा सा तेल दीये में और थाली में लगाना होता है।
मोगरा इत्र की शीशी रखनी होती है सिंदूर की एक ढे री बनानी होती है ।
माथे पर सिंदूर का तिलक लगाना होता है ।
अगर दाहिने पांव पर खड़ा ना हो या जा सके तो साधक या साधिका स्टूल या कुर्सी पर बैठकर भी दाहिने पैर को जमीन पर रख सकते हैं।
डाकिनी ट्रांसफर होने में 10 से 11 मिनट के समय अंतराल में साधक के शरीर में अजीब से परिवर्तन होते हैं उससे साधक को घबराना नहीं चाहिए यह परिवर्तन डाकिनी देवी की जो ऊर्जा है,साधक या साधिका के शरीर में प्रवेश करती है ।
साधक के शरीर में धीरे धीरे वाइब्रेशन ,कंपन आदि लक्षण सामने आते हैं ।
यदि साधक के शरीर में पहले से कोई नेगेटिव एनर्जी है तो उसको भी बाहर निकाला जाता है इसके बाद साधक अपने सभी तरह के कार्य पूर्ण कर सकता है इसके बाद साधक को प्रत्येक अमावस्या को डाकिनी देवी का पूजन इसी तरह से करना होता है जब भी उसको कोई कार्य करवाना है पूजन करके साधक को एक गुप्त मंत्र दिया जाता है जो डाकिनी देवी का पूर्ण मंत्र होता है।
उस मंत्र का साधक एक माला जाप करता है और जो भी कार्य होते हैं उसके लिए प्रार्थना करता है।
यह वशीकरण की उग्र शक्ति है इन के माध्यम से प्रबल वशीकरण किया जाता है। देवी अपने साधक को हमेशा दिव्य दृष्टि यदि साधक के पास है तो अनेक प्रकार की भयानक स्त्रियों के रूप में दर्शन देती हैं यहां देवी का रूप स्थिर नहीं होता कभी दुल्हन बनकर कवि भयानक चुड़ैल के रूप में कभी डरावनी शक्ल लेकर कभी बूढ़ी औरत बन कर आदि आदि रूपों में साधक को दिव्य दृष्टि में दिखाई देती है इसके बाद इन सभी में एक विशेषता होती है देवी डाकिनी जितने भी रूपों में आती है उन सब में उसकी आंखें सफेद पत्थर की तरह चमकदार होती हैं उसी से साधक पहचान कर लेता है की यही देवी डाकिनी है। जिनके पास दिव्य दृष्टि नहीं है उनको देवी सपने के माध्यम से दिखाई देती है ,पूजा कमरे में किसी के आने ,चलने फिरने का आभास होता है।
साधक के आज्ञा चक्र को विकसित करने में इस ऊर्जा का बहुत महत्वपूर्ण हाथ होता है।
भविष्य की जितनी भी साधना में साधक पूजा पाठ करता है उसमें साधक को उन्नति प्राप्त होती है सफलता हासिल होती है।
देवी डा किनी अच्छे और बुरे दोनों कर्म करने में समर्थ होती है।
डाकिनी transfer online माध्यम से ही किया जाता है।
देवी डाकिनी दीक्षा -2100
एकांत जगह होनी चाहिए।
सिद्ध साधक के सभी कार्यों के रिज़ल्ट हमेशा पॉजिटिव आते है देवी डा किनी की कृपा से।।
गुरुदेव अशोक कुमार चंद्रा
हरिद्वार उत्तराखंड भारत
हेल्पलाइन 00917669101100
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Thursday, July 2, 2020
शैतान वशीकरण साधना-यह साधना बहुत ही प्राचीन विद्या है, इस साधना के अंतर्गत साधक या साधिका को एक शक्तिशाली शैतानी जिन्नात सिद्ध होता है। इसक...