शव साधन(वीर साधन)- यह साधन 1 दिन से लेकर 40 दिन तक होता है।यह साधक के ऊपर निर्भर करता है कि साधक कितने दिनों की साधना सिद्ध करना चाहता है।
यह सिद्धि कृष्ण पक्ष की अष्टमी या शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी से शुरू की जाती है।
सबसे पहले साधक को श्मशान में जाकर अपने पूजा की सामग्री जमा लेनी चाहिए उसके बाद शव की स्थापना करनी चाहिए।
शव की स्थापना (यदि साधक अनेक सिद्धियों से पूर्ण है तो आटे का शव बनाकर उसमें किसी भी आत्मा को मन्त्र शक्ति के बल से प्राण प्रतिष्ठा करके पुतले में प्राण फूंके)
यदि ऐसा न हो तो अप्राकृतिक तरीके से मृत शव को भी प्रयोग कर सकते है।साधन में केवल मेल शव ही मान्य होता है,फीमेल शव नही।
शव को किसी भी तरह से बीमारीमुक्त होना चाहिये।
साधक को सबसे पहले श्मशान में संकल्प लेना चाहिये
ॐ अध्येत्यादी अमुक गोत्र श्री अमुक देवशर्मा अमुक मन्त्र सिद्धि काम ह श्मशान साधन महम करिष्ये।
उसके बाद साधक को गुरु पूजन,गणेश,योगिनी,बटुक,मार्तगन पूजन करना चाहिये।
इसके बाद पूर्व में श्मसानाधिपति,दक्षिण में भैरव,पश्चिम में कालभैरव,उत्तर में महाकाल भैरव की पूजा बलि देनी चाहिये।
सभी बलि सामिष अन्न की होनी चाहिये
जैसे -अन्न,गुड़ ,सुरा,खीर,अनेक प्रकार के फल,नैवेद्य ,विविध देवताओं की पूजा में विविध द्रव्य।
शमशान में 4 पात्र चारो दिशाओं में रखकर 3 मध्य में रखे और कालिका देवी,भूतनाथ,सर्वगणनाथ की पूजा बलि दे।
इसके बाद लोहे की कीले हाथ मे लेकर वीरार्दन मन्त्र बोलकर सभी दिशाओं में फेंक दे।
हुम हुम ह्रीम ह्रीम कालिके घोरदंष्ट्रे प्रचन्डै चंड़े नाइके दाँवण्ड्रॉए हन हन शवशरीरे महाविघ्नं छेदय छेदय स्वाहा हुम फट//
जप की 11 माला पर सिद्धि प्राप्त होती है।
ॐ फट मन्त्र से शव का पूजन करे।ॐ मृतकाय नमः फट से शव को स्नान कराकर फूल ,सुगंध आदि लगाय,फिर शव को कमर से उठाकर पूजा स्थान पर कुशा के बिस्तर पर लिटाए।
शव के मुख में इलायची,लोंग, कपूर,कत्था(खेर) ,अदरक,ताम्बूल,जायफल डालकर शव को अधोमुख करे।
शव की पीठ पर बाहुमूल से कटी तक यंत्र बनाय।एक मंडल बनाकर आठ पत्तियां बनाए।सभी मे ॐ ह्रीम फट लिखे।मंडल में अघोर सुदर्शन मन्त्र लिखे।
अब साधक पीठ पर कंबल डालकर एकाग्र मन से बैठ जाये।
शव के चारो और 10 दिशाओं में 12 अंगुल पीपल के लकड़ियां भूमि में गाड़े।मन्त्र जाप शुरू करे यदि शव बोल जाय तो डरे नही ।आसन बंधन करे।
मन्त्र जाप के समय यदि आकाश से आवाज आये तो वचन ले, बलि के समय आटे का बकरा या मुर्गा दे।ऐसा करने से साधन को मनचाहा वरदान प्राप्त होता है।यह साधन अनिवार्य रूप से गुरु की देखरेख में ही करे।वीर साधन प्राचीन काल की तंत्र शाखा की ही एक सिद्धि है जो वर्तमान में भी जीवित है।
यहाँ साधना का पूर्ण वर्णन नही किया गया है केवल 2 प्रतिशत ही बताया गया है।यह साधना केवल जानकारी हेतु है।
गुरु अशोक कुमार चन्द्रा
हरिद्वार उत्तराखण्ड
हेल्पलाइन 00917669101100
Monday, March 12, 2018
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