मृत आत्मा आह्वान सिद्धि-
यह साधना 3 दिन की होती है।
इसमे साधक को कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को श्मशान जाकर साधना सिद्ध करनी होती है और अमावस्या को पूर्ण सिद्धि प्राप्त हो जाती है।
इस साधना में साधक एक आत्मा को सिद्ध करता है।
आत्मा किसी भी योनि में हो सकती है जैसे प्रेत ,भूत,चुडेल,डायन आदि।
रात को 12 बजे श्मशान में नहा धोकर जाये।
किसी चिता की तलाश कर जो जली हो।
अगर एक्सीडेंट की जली चिता मिल जाय तो बहुत अच्छा होता है।
साधक माथे पर सिंदूर का तिलक लगाए।
चिता के चारो तरफ 5 परिक्रमा करें, उसके बाद चिता को प्रणाम करके दोनों हाथ जोड़कर बोले-★【"हे आलौकिक शक्ति तुम मेरे वश में हो 】★ इतना कहकर साधक चिता की एक अधजली एक अंगुल की लकड़ी उठा ले और उसे उत्तर दिशा में भगवान शिव का नाम लेकर 2 फ़ीट गहरे गड्ढे में दबा दे।
इस क्रिया के बाद साधक वापस घर आ जाय।
अगले दिन पुनः साधक रात्रि 12 बजे जाए,लकड़ी को खोदकर निकाले ।
पंचोपचार पूजन करके वापस बंद कर दे।
तीसरे दिन अमावस्या को जाकर साधक लकड़ी ले आये।
यह क्रिया भी अर्धरात्रि को करनी चाहिए।
3 दिन की क्रिया में यदि श्मशान में कोई आवाज,दृश्य आदि की अनुभूति हो तो साधक डरे नही।
लकड़ी को साधक अपने बंद कमरे में रखे,उसके साथ प्रेत आत्मा भी आ जाती है जो साधक को दिखाई देती है।
जब सिद्धि का प्रयोग सिद्ध करना हो साधक को तब लकड़ी को आसन के नीचे रखकर उस आत्मा का आह्वान करना चाहिए तब साधक को बंद आँखो में आज्ञा चक्र में एक प्रेत दिखाई देगा जिसके माध्यम से साधक अपने सभी कार्य सिद्ध कर सकता है।मृत आत्मा से साधक बात मानसिक रूप से करता है ।
यह सिद्धि वशीकरण का एक उग्र अस्त्र है।जिस किसी पर प्रयोग करे साधक के वशीभूत हो जाता है।यह आत्मा साधक की प्रत्येक आज्ञा का पालन करती है।अच्छे बुरे दोनों कार्य करती है।डरपोक ,भीरू ,कायर ,लालची लोग साधना के पात्र नही है।इस साधना में मन्त्र की आवश्यकता नही होतीहै।
तंत्र मात्र से आत्मा सिध्दि प्राप्त होती है।यह साधना जानकारी हेतु दी गयी है।
बिना गुरु यह सिद्धि न करे।
गुरुदेव अशोक कुमार चन्द्रा
हरिद्वार उत्तराखण्ड
हेल्पलाइन-00917669101100
email id-vishnuavtar8@gmail.com
यह साधना 3 दिन की होती है।
इसमे साधक को कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को श्मशान जाकर साधना सिद्ध करनी होती है और अमावस्या को पूर्ण सिद्धि प्राप्त हो जाती है।
इस साधना में साधक एक आत्मा को सिद्ध करता है।
आत्मा किसी भी योनि में हो सकती है जैसे प्रेत ,भूत,चुडेल,डायन आदि।
रात को 12 बजे श्मशान में नहा धोकर जाये।
किसी चिता की तलाश कर जो जली हो।
अगर एक्सीडेंट की जली चिता मिल जाय तो बहुत अच्छा होता है।
साधक माथे पर सिंदूर का तिलक लगाए।
चिता के चारो तरफ 5 परिक्रमा करें, उसके बाद चिता को प्रणाम करके दोनों हाथ जोड़कर बोले-★【"हे आलौकिक शक्ति तुम मेरे वश में हो 】★ इतना कहकर साधक चिता की एक अधजली एक अंगुल की लकड़ी उठा ले और उसे उत्तर दिशा में भगवान शिव का नाम लेकर 2 फ़ीट गहरे गड्ढे में दबा दे।
इस क्रिया के बाद साधक वापस घर आ जाय।
अगले दिन पुनः साधक रात्रि 12 बजे जाए,लकड़ी को खोदकर निकाले ।
पंचोपचार पूजन करके वापस बंद कर दे।
तीसरे दिन अमावस्या को जाकर साधक लकड़ी ले आये।
यह क्रिया भी अर्धरात्रि को करनी चाहिए।
3 दिन की क्रिया में यदि श्मशान में कोई आवाज,दृश्य आदि की अनुभूति हो तो साधक डरे नही।
लकड़ी को साधक अपने बंद कमरे में रखे,उसके साथ प्रेत आत्मा भी आ जाती है जो साधक को दिखाई देती है।
जब सिद्धि का प्रयोग सिद्ध करना हो साधक को तब लकड़ी को आसन के नीचे रखकर उस आत्मा का आह्वान करना चाहिए तब साधक को बंद आँखो में आज्ञा चक्र में एक प्रेत दिखाई देगा जिसके माध्यम से साधक अपने सभी कार्य सिद्ध कर सकता है।मृत आत्मा से साधक बात मानसिक रूप से करता है ।
यह सिद्धि वशीकरण का एक उग्र अस्त्र है।जिस किसी पर प्रयोग करे साधक के वशीभूत हो जाता है।यह आत्मा साधक की प्रत्येक आज्ञा का पालन करती है।अच्छे बुरे दोनों कार्य करती है।डरपोक ,भीरू ,कायर ,लालची लोग साधना के पात्र नही है।इस साधना में मन्त्र की आवश्यकता नही होतीहै।
तंत्र मात्र से आत्मा सिध्दि प्राप्त होती है।यह साधना जानकारी हेतु दी गयी है।
बिना गुरु यह सिद्धि न करे।
गुरुदेव अशोक कुमार चन्द्रा
हरिद्वार उत्तराखण्ड
हेल्पलाइन-00917669101100
email id-vishnuavtar8@gmail.com