पाताल भैरवी साधना--
यह साधना 40 दिन की होती है।इसको श्मशान की अंतिम चिता के ऊपर बैठकर सिद्ध किया जाता है।
इस साधना को अमावस्या या त्रयोदशी से शुरू करते है।
साधक को सफेद वस्त्र ,दिशा उत्तर,सिद्ध कणिका माला से ,सिंदूर का तिलक लगाना चाहिए।
भोग में सफेद बर्फी,चावल,मदिरा ,आधा किलो माँस बकरे का देना चाहिए।
सिद्धि के समय अनेक उपद्रव होते है। श्मशान की जमीन का अचानक फटना,बड़े बड़े डरावने ब्रह्मराक्षस ,दैत्य,नरमुंड आदि दिखाई देना आदि होते है।
40 वे दिन भूमि फाड़ कर पाताल भैरवी ऊपर आती है।
साधक यदि डरा नही तो वचन देकर षट्कर्म करती है।
यदि साधक भयभीत हो गया तो उस समय साधक पाताल भैरवी का महा भयानक रूप देखकर पागल हो सकता है।
मन्त्र- ॐ पाताल भैरवी त्रिकाल कल्प ॐ तरु तरु स्वाहा ॐ कल्प कल्प स्वाहा।।
Saturday, March 9, 2019
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