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Sunday, October 22, 2017

देवी माँ अम्बिका साधना-


अम्बिका देवी साधना-
यह साधना 21 दिन की है।
22वे दिन हवन किया जाता है।
सिद्धि प्राप्त होने के बाद साधक को दिव्य दृष्टि प्राप्त हो जाती है।
किसी भी प्राणी का भूत भविष्य वर्तमान देख सकता है।
देवी अम्बिका साधक को ध्वनि तरंगों के माध्यम से आवाज देकर वार्ता करती है।
यह साधना सात्विक है।
साधना सामग्री-
चमेली (जूही) के फूल
सफेद वस्त्र
सफेद आसन
तुलसी माला
ताम्र कलश
देवी माँ अम्बिका का फ्रेम फ़ोटो
चमेली की माला
चमेली की धूपबत्ती, अगरबत्ती
देशी घी का दिया
फल
सफेद रंग की मिठाई
साधना सम्पन्न होने पर 22वे दिन हवन किया जाता है जिसमे देशी घी में चमेली के फूलों की आहुति दी जाती है।
अनुष्ठान पूरा होने पर यह साधना सिद्ध हो जाती है और देवी माँ अम्बे साधक के सभी मनोरथ,कामनाये पूर्ण करती है।यह साधन गृहस्थ साधक कर सकते है।यह साधना बन्द कमरे में होती है।

गुरुदेव अशोक कुमार चन्द्रा हरिद्वार उत्तराखण्ड
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Tuesday, September 26, 2017

दीपावली 2017 सिद्धियाँ

@@ 19 अक्टूबर दीपावली 2017 साधना सिद्ध करने हेतु अनेक चमत्कारी सिद्धियां@@

जब साधक साधना सिद्ध करते है किंतु सिद्धि नही मिल पाती  तब साधक का आज्ञाचक्र ,ध्यान विकसित नही होता है।दोनों में कोई भी कमी होती है तो सिद्धि नही मिलती और साधना के छोटे मोटे अनुभव ही मिल पाते है जैसे कमरे  में किसी की उपस्थिति का आभास होना,किसी का पास बैठना आदि।।
कुछ सिद्धियां गृहस्थ साधको की होती है तो कुछ श्मसान में रहने वालों के लिये।यहाँ कुछ सिद्धियों के बारे में बताया जा रहा है जिनको पिछले 15 सालों से वर्तमान में सिद्ध करके सभी तरह के कार्य करके पीड़ितों की भलाई की जा रही है।सभी साधनाए सिद्ध है और फलीभूत भी होती है।जो निम्न है-
1- माता विंध्यवासिनी साधना 21 दिन 2 घण्टे प्रतिदिन मन्त्र जाप
फल- सिद्धि प्राप्त होने पर भूत भविष्य वर्तमान देखने की शक्ति के साथ साथ आज्ञा चक्र का विकसित होना जिसके माध्यम से साधक बड़ी से बड़ी साधना कर सकता है और  बन्द आँखो से आज्ञा चक्र के माध्यम से आगामी शक्ति को देख सकता है ,उनसे वार्ता आदि कर सकता है।
वर्तमान में यह साधना 50 से ज्यादा साधको को सिद्ध करायी जा चुकी है,इनमे मुख्यतः उत्तर प्रदेश,उत्तराखण्ड,महाराष्ट्र,राजस्थान,पंजाब,हिमाचल प्रदेश राज्य है।
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2-तामसिक कर्ण पिशाचिनी साधना-यह साधना 3 दिन की होती है।27 माला रोज होती है।
इस साधना को अपवित्र अवस्था में किया जाता है।अमावस्या से 2 दिन पहले रात्रि में शुरू की जाती है।
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3-)काली कपालिनी श्मशान साधना-यह साधना 7 दिवसीय है,रोज रात्रि 12 बजे से श्मसान में सिद्ध की जाती है।
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4- सात्विक कर्ण पिशाचिनी साधना- यह साधना 7 दिवसीय नवरात्रों में और 21 दिवसीय किसी भी पर्व पर सिद्ध की जा सकती है।यह भी कानो में आवाज देती है।
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5-सुग्रीव साधना-यह साधना भी सिद्ध होने पर साधक की मनोकामनाए पूर्ण करती है।
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6-हनुमान साधना- इस साधना में वचनसिद्धि होती है।हनुमानजी वरदान देते है।21 दिवसीय 3 घण्टे प्रतिदिन
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7-मसान साधना-यह साधना मसान में सिद्ध की जाती है।दीपावली पर इस साधना को सिद्ध किया जा सकता है। 4 घण्टे मन्त्र जाप में मसान सिद्ध हो जाता है।
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8-वीर सिद्धि-एक दिवसीय
इस साधना में वीर एक ही रात में साधक के सामने आकर सिद्ध हो जाता है।साधक के सभी कार्य करता है। दीपावली पर यह सिद्ध की जा सकती है।
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9-यक्षणी सिद्धि-यह साधना 21 दिवसीय है।भूत भविष्य वर्तमान दिखाती है।
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10-हनुमान वचनसिद्धि-यह साधना 40 दिवसीय है।
अंतिम दिन आकाश से सिंहासन उतरता है जिस पर हनुमानजी विराजमान होते है,साधक को वर देते है।
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11-शोहा वीर साधना-यह साधना 21 दिवसीय है।सिद्ध होने पर साधक के सभी कार्य करते है।
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12-कृत्या साधना--यह साधना भी चमत्कारी है इसमें सिद्ध साधक किसी भी शक्ति से लड़ सकता है और उसका विनाश कर सकता है।
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13--भैरव सिद्धि--यह साधना 40 दिवसीय है।वचनसिद्धि है।सभी कार्य होते है।लाटरी ,सट्टे के अंक भी प्राप्त होते है।
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14--देवी चक्रे गमालिनी शिवशक्ति सिद्धि-यह साधना 21 दिवसीय है ,इसमे साधक को भूत भविष्य वर्तमान देखने और देवी से वार्ता करने की शक्ति प्राप्त होती है।
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15-हमजाद साधना-यह साधना 40 दिवसीय है।सिद्ध होने पर वचनोनुसार कार्य हमजाद करता है।
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16--जिन सिद्धि-यह साधना 40 दिवसीय है।सिद्ध होने पर वचनानुसार जिन साधक के कार्य करता है।
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17--बावन वीर सिद्धि-इस सिद्धि में साधक को सभी 52 वीर सिद्ध होते है और वचनोनुसार कार्य करते है।यह 21 दिवसीय साधना है।
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18--महा काली साधना-यह साधन 40 दिवसीय है।
सिद्ध होने पर वचनोनुसार देवी साधक के सभी कार्य अच्छे बुरे करती है।
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19-श्मसान काली साधना-यह साधना 40 दिवसीय है।इस सिद्धि के बाद साधक श्मसान की कोई भी सिद्धि प्रथम बार मे सिद्ध कर लेता है।
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20--तिलोत्तमा  अप्सरा सिद्धि-यह साधना 40 दिवसीय है।सिद्ध होने पर अप्सरा साधक का वचनोनुसार कार्य करती है।
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21-हनुमान शक्ति साधना-यह साधना एक दिवसीय है,इसमे साधक उडद के दाने पढकर अपने शत्रुओ का संहार करता है।
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सभी साधनाए कलयुग में सिद्ध है और वर्तमान में भी इन सिद्ध साधनाओ से कार्य किया जा रहा है।

गुरुदेव अशोक कुमार चन्द्रा
हरिद्वार उत्तराखण्ड
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Monday, September 11, 2017

स्वर्ण देहा कर्ण पिशाचिनी साधना

कर्ण पिशाचिनी सूर्योदयास्त साधना-----
यह साधना 21 दिनों की होती है किंतु पूर्ण सिद्धि 41 दिन में प्राप्त होती है ।
इस साधना का समय सूर्योदय के समय 11 माला और सूर्यास्त के समय 11 माला है।
सिद्धि होने पर देवी साधक को कानो में आवाज भी देती है और भूत भविष्य वर्तमान का सही सही पता बता देती है।
साधना सामग्री-
1 लाल वस्त्र या काले वस्त्र
2 आसन लाल या काला
3 रुद्राक्ष माला तांत्रिक क्रिया से शुद्ध की गई।
4 लाल चंदन का तिलक
5कर्णपिशाचिनी का भोग जिस पर आकर्षित होकर देवी साधक को सिद्धि प्रदान करती है।।
6 ग्वार पाठे अर्थात घी कवार अर्थात घृत कुमारी का टुकड़ा
7 तेल का अखण्ड दिया बन्द कमरे में जले
8 फल, फूल चमेली या मोगरा या लाल गुलाब
9 चमेली इत्र, अगरबत्तियां कमरे में छिड़कने के लिये।
जब साधक साधना शुरू करता है तो साधक को मन्त्र जाप के समय अनेक तरह की अनुभूतियां होती है।
जैसे कोई आवाज देती है या सफेद रंग का प्रकाश पूरे कमरे में हो जाता है।
साधक को अनेक स्त्रियों के सपने भी आते है ।
जब साधक विधि विधान से सिद्धि करता है तो भोग को साधक छत पर रख दे ,उसे जल चढ़ाए।
शाम को जब भोजन करे तो भोजन से एक रोटी और कुछ सब्जी जल के साथ छत पर रख दे।
जब देवी को नित्य अपना भोग मिलता है तो देवी साधक को सिध्द होती है और बात होती है वचन होते है।
देवी साधक के कानों में बाते कहती है और दृश्य भी दिखाती है।
पिशाचिनी का भोग विशेष तरह के द्रव्यों को मिलाकर तैयार किया जाता है ,इसमे कुछ पदार्थ,अन्न आदि मिलाय जाते है जिससे आकर्षित होकर पिशाचिनी साधक को सिद्ध हो जाती है।
अगर देवी साधना के समय उग्र है तो घी क्वार अपने एक हाथ मे रखे दूसरे से मन्त्र जाप करे।इससे देवी शांत होती है।मन्त्र जाप के समय आसन के नीचे रखे।
नारियल की स्थापना करे।जब यह देवी साधक के साथ शयन करके जाती है तो उसको कुछ स्वर्ण भी कभी कभी प्राप्त होता है।

इस भोग को ग्रहण किये बिना देवी सिद्धि प्रदान नही करती है।
यह सिद्धि स्वार्थी साधको को सिद्ध नही होती।
इसमे दिशा उत्तर हो।
सिद्ध करते समय साधक का कमरा अपना हो,कोई दूसरा न आये।
मन्त्र--ॐ ह्रीम चह चह कम्बलके गृहण पिंडम ; पिशाचिके स्वाहा।
गुरुदेव अशोक कुमार चन्द्रा
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Friday, September 8, 2017

बेताल साधना

बेताल साधना--यह साधना एक दिवसीय है।
यह साधना मसान में सिद्ध होती है।
मसान सुनसान और वीराने में होना चाहिये।
साधक अमावस्या का चयन करें।
रात्रि 12 बजे यह साधना शुरू की जाती है।
मन्त्र जाप शुरू होते ही मसान जाग्रत होने लगता है,सोये हुए मुर्दे जमीन फाड़ कर बाहर निकलते हुये,  हा हा कर मचाते हुये साधक को भयभीत करते है।अनेक यक्ष यक्षिणी के दर्शन भी हो सकते है।साधक मन्त्र जाप करते हुए मन को एकाग्र रखे। साधना स्थल से उठकर साधक को नही भागना चाहिए किसी भयानक दृश्य को देखकर।
गुरु की देखरेख में ही साधना सम्पन्न करे।
सामग्री
कुशासन,रुद्राक्ष माला,सफेद वस्त्र,सिंदूर
जब बेताल प्रकट होकर वार्ता करे तब साधक बेताल से वचन ले और सूर्योदय से पहले घर आ जाये।
मन्त्र--
ॐ तुरुह ॐ गुरूह ॐ हरह ॐ हिलि ह
महा घोर रावे काली बैतालाय हुम फट स्वाहा।
गुरुदेव अशोक कुमार चन्द्रा
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Friday, August 25, 2017

लौंग वशीकरण

Online long vashikaran _ऑनलाइन लौंग वशीकरण---
यह वशीकरण मंत्र से सिद्ध लौंग जो भी प्राणी खाते है,वह पूर्णतया खिलाने वाले स्त्री या पुरुष के वश में हो जाते है।यह प्राणी तन मन धन प्राण से बशीभूत हो जाता है अर्थात मोहित हो जाता है।
यह लौंग विशेष मन्त्र साधना के बल पर सिद्ध कर तैयार की जाती है।
अगर किसी स्त्री का पति किसी दूसरी स्त्री के साथ हो या किसी पुरुष की स्त्री दूसरे पुरुष के साथ हो तो उसको यह लोंग खिलाने पर नाजायज सम्बन्ध टूट जाते है और परिवार में पहले जैसी खुशहाली आ जाती है।
तंत्र मंत्र की दुनिया मे ऐसे सिद्ध लौंग को ''लौंग शाबरी मोहिनी ''कहा जाता है।जिन लोगो की शादी में बांधा होती है अगर वे इस लौंग को खिलाएं तो शादी तय हो जाती है।
पति पत्नी में अगर छोटी छोटी बातों पर अक्सर लड़ाई झगड़े होते है तो इसका प्रयोग करने लड़ाई झगड़े शांत हो जाते है।
यह लोंग वशीकरण सुविधा विदेशों में भी उपलब्ध है।
इस का प्रभाव खाने वाले स्त्री पुरुष पर आजीवन रहता है,इसमे कामाख्या मन्त्र को सम्पुटित करके सिद्ध किया जाता है।

प्रयोगकर्ता इसको ऑनलाइन आर्डर कर सकते है।
गुरु अशोक कुमार चन्द्रा
हरिद्वार उत्तराखंड भारत
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Wednesday, August 23, 2017

भूत सिद्धि

@ भैरव भूत सिद्धि @
यह अत्यंत प्राचीन साधना है।यह एक दिन की साधना है।इस साधना का योग कई सालो में वर्ष में 2 बार बनता है। वर्ष 2017 में यह योग 16 सितंबर शनिवार ,को आ रहा है।जब रवि या शनि में पुष्य नक्षत्र हो तब यह भूत सिद्धि होती है।
यह साधना बन्द कमरे में साधक करता है तो उसके चारो तरफ का वातावरण शांत होना चाहिए।
अगर घर पर सुविधा नही है तो किसी सुनसान खण्डहर या नदी के किनारे कर सकता है।
यह एक शक्तिशाली भैरव भूत अर्थात गण है।सावधान होकर ही इसकी सिद्धि करे।
11 माला मन्त्र जाप करना है।
माला रुद्राक्ष की होनी चाहिए।इसको गोमुखी में रखे।
दाहिने हाथ के अंगूठा और बीच की ऊँगली से मन्त्र जाप करे।यह एक उग्र भूत है।गुरु कृपा और आशीर्वाद से ही इसको प्राप्त किया जाता है।
कुशासन या लाल कम्बल का आसन लगाए और सुखासन में बैठे।
यह सिद्धि पूर्व दिशा में होती है।
सबसे पहले लोबान की धूप जलाये और तेल का चिराग जो कम से कम 8 घण्टे जल सके।उग्र भैरव रूप की मूर्ति स्थापित करे।उस पर तेल कड़वा और सिंदूर चढाये।दाहिनी तरफ जल का पात्र रखे।
माथे पर सिंदूर का तिलक लगाए।
लाल वस्त्र धारण करे।यह तीव्र साबर मन्त्र है।
सबसे पहले पवित्रीकरण,वास्तुदोष पूजन,गुरुपूजन करे ।इसके बाद भैरव पूजन कर भूत सिद्धि का मन्त्र जाप शुरू करे। जब साधक की 11 वी माला शुरू होती है तो साधक के सामने एक धुँए की आकृति से धीरे धीरे भूत का निर्माण होता है,तब साधक मन्त्र जाप पूरा करके उससे वचन, बिना भयभीत और डर के ले ले।भूत साधक को वचन दे देता है।
जैसे ही भूत साधक को वचन दे दे तो साधक को उसके तुरंत बाद जलपात्र से थोडा सा जल हाथ में लेकर भूत के ऊपर फ़ेंक दे,इस विधि से भूत साधक के पूर्ण रूप से वश में हो जाता है।
जब भी साधक भूत को कोई कार्य देता है उसको भूत तुरंत कर साधक को सुचना देता है।यह भूत वशीकरण,मारण आदि कार्यो को करने में निपुण होता है।
अतः साधक इसका गलत प्रयोग न करे।
यह योग इस वर्ष रविवार और शनिवार को पुष्य नक्षत्र के होने से बन रहा है।
।।।।।मन्त्र।।।।।।
काली काली महाकाली
इंद्र की पुत्री ब्रह्मा की माली
मरे मसानों दे ताली
चाकले खाय,काला काली का जाय
कीले चार खूंट के भूत
कीला हुआ भूत हुआ निराला,पड़े चाकले खाय काला।
मसानिया वीर वज्र की काया,जिह करन नरसिंह धाया
अपनी चौकी बैठाया
शब्द साँचा पिण्ड वाचा
चलो मन्त्र ईश्वरो वाचा
गुरु अशोक कुमार चंद्रा
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Tuesday, August 22, 2017

देवी सरस्वती साधना

देवी सरस्वती साधना--यह साधना 11 दिन की है।साधक इस साधना में 11 माला जप रोज करे।
यह मन्त्र स्वयं सिद्ध है।
दिशा पूर्व,वस्त्र ,आसन ,माला सफेद रंग की हो।
यह साधना किसी भी समय साधक सुबह को शुरू कर सकते है।
सिद्ध होने के बाद साधक 108 बार मन्त्र से अभिमंत्रित करके ब्राह्मी घी को खाय।
साधक की जिह्वया पर देवी सरस्वती का वास हो जाता है।
मन्त्र--
ॐ ह्रीम ऐम ह्रीम ॐ सरस्वत्यै नमः
गुरुदेव अशोक कुमार चन्द्रा
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Sunday, August 20, 2017

कर्ण पिशाचिनी साधना

कर्णपिशाचिनी साधना--

ॐ ह्रीम कर्ण पिशाचिनी वाग्वादिनी वाग्वादिनी हुम् फट स्वाहा।

विधि-यह साधना और मन्त्र अत्यंत दुर्लभ है।यह 7 दिन की सिद्धि होती है।
यह मन्त्र किसी भी पुस्तक में नही मिलेगा।
यह गुरूमखी मन्त्र है जो गुरु प्रथा से चलता है।
साधक काले वस्त्र,काले आसन पर बैठकर अपने सामने पूजा सामग्री लगाकर मन्त्र सिद्ध करता है। साधना के चौथे दिन से साधक के कानों में आवाज आनी शुरू हो जाती है और 5,6,अंतिम दिन कर्णपिशाचिनी नग्न अवस्था मे साधक के सामने आती है और भयभीत करती है किंतु साधक को डरना नही चाहिये।
जो साधक यह साधना सम्पन्न करना चाहते है वह साधना शुल्क देकर साधना विधान प्राप्त कर सिद्धि करके जन कल्याण कर सकते है।
यह देवी उग्र शक्ति है।सिद्धि विधान साधक की email id या whatsup पर दिया जाएगा।
यह देवी 35 वर्षीय सुंदर स्त्री रूप में सफेद वस्त्र धारण किये होती है।
गुरुदेव अशोक कुमार चन्द्रा हरिद्वार उत्तराखण्ड भारत
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Saturday, August 19, 2017

शिव कृत्या सिद्धि

शिव कृत्या साधना---

ॐ  क्लीम क्लीम शत्रुणाम मोहये उच्चाटये मारये वचन सिद्धि मम आज्ञा पालय पालय कृत्याम सिद्धि फट ।

विधि- यह साधना अत्यंत दुर्लभ है।इसका सिद्धि विधान अमावस्या या मंगलवार या होली या दीपावली से शुरू किया जाता है।काले वस्त्र,काला आसन ,शिव पूजन आदि सम्पन्न करके सिद्ध की जाती है।
इस सिद्धि में साधक के सामने 3 देवी कृत्याय प्रकट होती है,एक मारण कृत्या,दूसरी मोहन कृत्या, तीसरी उच्चाटन कृत्या।।
इस मंत्र को सिद्ध करने के बाद साधक घर बैठे हजारो मील दूर के कार्य को भी मन की गति से सम्पन्न कर लेता है।सभी तरह के उपद्रव आत्माओ जनित,सभी रोग,बंधन आदि को समाप्त कर देता है।
जो साधक इस साधना को सम्पन्न करना चाहते है,नीचे दिए लिंक पर क्लिक करके साधना शुल्क जमा करके, पूर्ण साधना सिद्धि विधान अपने email id या whatsup नंबर पर प्राप्त कर सकते है।
गुरुदेव अशोक कुमार चन्द्रा हरिद्वार उत्तराखण्ड भारत
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Sunday, July 30, 2017

ग्रहण साधना

ग्रहण काल मे जो साधक लौंग वशीकरण साधना सिद्ध करना चाहते है एक दिन की ,कर सकते हैं।

Saturday, July 29, 2017

कलुआ मसान सिद्धि

कलुआ मसान (कालिया मसान,कालूवीर,काला वीर,काला कलवा) तंत्र मंत्र सिद्धि विधि----
यह साधना रात्रिकालीन 12 बजे से श्मशान में शुरू की जाती है।

साधक डरपोक नही होना चाहिये।भीरु कायर भी नही होना चाहिये।
किसी भयानक चेहरे अथवा किसी भयानक आवाज को सुनकर डर कर भागना नही चाहिए।
सामग्री--साधक को यह सभी सामग्री बाजार से लेनी चाहिये,,
एक मुर्गी का देशी अंडा
एक दारू देशी की बोतल
5 नींबू
50 ग्राम काले तिल
50 ग्राम राई 
250 ग्राम सरसो का तेल 
5 लौंग
1.25मीटर लाल कपड़ा
दिया
रुई की बाती 
माचिस
चमेली या मोगरे का 50 ग्राम इतर (अत्तर, इत्र, अतर)
शमशान में गुरु को साथ ले जाये।।
जिनके गुरु नही है वो न करे।
यह सिद्धि शनिवार ,अमावस्या को सिद्ध की जाती है।
साधक चिता के चरणों मे बैठकर मध्य में कपड़ा विछाकर सभी सामग्री लगाय,,
फिर 101 बार महाकाली -महाकाली का नाम लेकर प्रत्येक नाम पर अंडे पर एक एक फूंक मारता जाए।इसके बाद अंडा (देशी) दोनों हाथ से उठाकर चिता के सिर पर रख दे और फिर मदिरा की धार दे। तब साधक को भयंकर आँधी जैसा लगेगा और चिता के सिर के तरफ एक बबूला दिखेगा साधक को उसमे 5 लौंग फेंकनी चाहिये,फिर काले तिल।।
तब जमीन उखडेगी और साधक को कलुआ मसान के दर्शन होंगे तब साधक मसान को इत्र चढ़ाए।नमस्कार करे और वचन ले।
तब वचन होने के बाद उससे उसकी कोई अस्थि मांगे जिससे आप उसको बुला सको,,तब आपको उसके हाँ कहते ही बबंडर में प्रवेश करना है तो कलुआ मसान भूमि में वापस चला जायेगा और जमीन पर जो अस्थि आपने मांगी होगी वह रह जायेगी,उस अस्थि को एकदम नही उठाना,उसको श्मशान के किसी भी बन्धन मन्त्र से बांध कर उठाना है,फिर सभी सामग्री चिता को अर्पण करके अस्थि को अपने साथ लेकर घर आ जाय।
गुरु अशोक कुमार चन्द्रा हरिद्वार
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Wednesday, July 26, 2017

तांत्रिक क्रियाओं से बचे

वर्तमान तांत्रिक क्रियाओं,भूत प्रेत बाँधा, इतर योनियों से बचाव हेतु कार्य ----
जिन परिवारों में तांत्रिक क्रियाएं  उनके शत्रु करवाते रहते है,जिन लोगो को बीमारी तो है किंतु डॉक्टरी रिपोर्ट नार्मल आती है ,,दवाई खाने के बाद भी समस्या ज्यों की त्यों बनी रहती है।।
आत्माओ से पीडित लोग जो जगह जगह घूम आये किन्तु ठीक नही हुए,,जो बालाजी आदि फेमस जगह जा चुके है किंतु जिन्न, प्रेत(कुंडापंथी) उनका पीछा नही छोड़ रहे है,
किसी तांत्रिककर्म से किसी ने किसी को मारण कर दिया है वह कोमा में पहुच गया हो अथवा उसकी साँस चल रही हो ,उनको बचाया जा सकता है।उनके ऊपर की चीजें को वापस करके अथवा परिस्थिति अनुसार उनका मारण करके उनको पीड़ित से अलग किया जा सकता है। जिन लोगो को धोखे से कुछ खिला दिया हो,उनको भी ठीक किया जाता है।
जिन लोगो के आत्मा पीड़ित लोग बालाजी में है अथवा जिनको जंजीरो में बांधकर रखा जाता है उनको ठीक किया जाता है।
दिव्य शक्तियों के माध्यम से देश विदेश में भी कार्य सम्भव है,,
पुराने घर ,हवेलियों,कोठियों आदि में वास करने वाली शैतानी आत्माओ को भी मन्त्र शक्ति के बल पर दूर किया जाता है।।
गुरु अशोक कुमार चन्द्रा
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Thursday, July 13, 2017

हलदिया मसान सिद्धि

मसान सिद्धि (हलदिया) साधना प्रथम--यह साधना रात्रिकालीन 12 बजे से कृष्णपक्ष की अमावस्या या मंगली,शनि अमावस्या को सिद्ध की जाती है।
यह सिद्धि श्मशान भूमि में बैठकर सिद्ध की जाती है।
यह सिद्धि एक रात की होती है जिसके अन्तर्गत 3 घण्टे का समय  लगता है।
मसान सिद्धि होने के बाद साधक सभी कर्म कर सकता है।
यहाँ साधको की जानकारी हेतु हलदिया मसान सिद्धि का वर्णन कर रहा हूँ जो कलयुग में सिद्ध है और योग्य पात्र को सिद्ध भी करायी जाती है।
सिद्धि की जरूरत वाली सामग्री--
आटे का चौमुखा दिया,इसमे रुई की चार बत्ती अलग अलग बनानी है ,कुछ मूर्ख साधक अल्प ज्ञान के कारण 2 बत्ती को बनाकर उनको क्रॉस में रखकर 4 बत्ती बना देते है,ऐसा नही करना है।
दिए में कड़वा तेल अर्थात सरसो का तेल भर दे या चमेली के तेल भी प्रयोग कर सकते है।।
लोबान की अगरबत्ती जलाये, या पीसे हुये लोबान की धूनी रमाय किसी कुंड में या मिट्टी के बर्तन में।
अब ऐसे चिता की जगह तलाश करे जो दिन में जलाई गई हो,उसका सिर और पैरो का ध्यान रखे।
साधक नहा धोकर श्मशान को प्रणाम करके मन को एकाग्रचित्त करके चिता के पैरों की तरफ सफेद वस्त्र धारण करके कुशासन रखकर उस पर बैठ जाये और चिता के मुख की तरफ दूसरा कुशा सन रखकर बीच मे दिया चौमुखा जलाए। उसके पास तांबे के लोटे में जल रखे,चमेली के फूल या मोगरे के फूल रखे,चमेली या मोगरे का इत्र रखे।
इसके पास एक शराब की बोतल,लौंग, कपूर,कचरी, असगंध,छाड़ छबीली सामग्री भी रखे।
माथे पर हनुमान जी का तिलक लगाएं
सबसे पहले उत्तर दिशा की और मुख करके शरीर पवित्रीकरण, सामग्री पवित्रीकरण करे,उसके बाद वास्तु दोष पूजन करे।दिया,धूप शुरू में ही जला देना है।
अगर चिता की कोई अस्थि हो तो उसके सामने रखे।
मिट्टी के कसोरे में मदिरा भर दे।
फिर गुरुमन्त्र एक माला करे।आंखे बंद करके,फिर भगवान शिव का मन्त्र 1 माला करे।अपना सुरक्षा चक्र खींचे,आसन कीलन मन्त्र बोले,शरीर सुरक्षा मन्त्र बोले।संकल्प ले सिद्धि करके जन कल्याण करेंगे।
फिर मन्त्र जाप बन्द आँखो से शुरू कर दे।एक माला पूरी होने पर तुरुन्त दोनों हाथो से चिता मुख के ऊपर या हड्डी पर एक घूंट दारू गिराय, फूल गिराए, इतर का छीटा भी दे,यह कार्य आंखे खोलकर करना होगा और मन्त्र जाप भी चलता रहेगा,उसके बाद आंखे बंद करके मन्त्र जाप करते रहे।
यह क्रिया आपकी चलती रहेगा हर माला पर।
जब मन्त्र जाप शुरू करेंगे तो श्मसान की सभी भटकती आत्माए आपको दिखाई देंगी,कुछ आत्माए आपसे मालूम करेंगी क्यो आय हो क्या चाहिये,उनको मानसिक रूप से कहना सिद्धि प्राप्त कर मनुष्यों की भलाई करूँगा,,इसी बीच आपको अनेक कंकाल आदि दिखेंगे,किन्तु डरे नही धैर्य रखें मन्त्र जाप करते रहे,और एक बात नोट करें कि पूरे मन्त्र जाप में एक लंबा चौड़ा आदमी आपको दिखाई देगा हाथ मे लकड़ी होगी,और एक मोटा से व्यक्ति।।
जब मन्त्र सिद्ध होगा तब मसान में बंद आँखो में आपको एक प्रकाश पुंज सूर्य की तरह प्रतीत होगा और वहां से आवाज आएगी जाओ इनके साथ,तब हलदिया मसान जाग जाएगा और आपके सामने खड़ा हो जाएगा,उस समय साधक को निर्भय होकर उससे बात करनी चाहिये और वचन लेने चाहिये।
सभी सामग्री चिता को अर्पण करके साधक घर आ जाये।
इस तरह हलदिया मसान सिद्ध हो जाता है।
लेकिन यह सिद्धि उनको ही प्राप्त होगी जो मन के साफ है और किसी का बुरा नही चाहते,
कपटी लालची साधको को सिद्धियां नही मिलती ।
हलदिया मसान से षट कर्म कराने का विधान--जब भी किसी पुरुष अथवा स्त्री का वशीकरण,मोहन,उच्चाटन,झगड़ा,स्तम्भन करना होता है तो बन्द कमरे में मन्त्र जाप करेंगे तो मसान प्रकट होगा और आपसे आपका कार्य मालूम करेगा,उसको आप जितने कार्य है सब बता दो,वह हर कार्य का कुछ भोग लेता है जैसे किसी का वशीकरण करना है तो मदिरा एक कुल्हड़,2 अंडे,2 सिगरेट आदि।
यह सभी सामग्री साधक श्मसान में निर्भय होकर किसी भी जलती चिता पर अर्पण कर सकता है,यह भोग मसान ग्रहण करके आपका कार्य करता है।
मारण नही करना चाहिये साधक को कभी भी किसी का।
कुछ मूर्ख साधक श्मसान में ऐसे ही जाकर मसान जगा देते है,जिससे मसान जाग तो जाता है किंतु चिल्लाहट ,चीखे सुनाई पड़ती हैं,, इसमे साधक की जान को खतरा हो जाता है,उसको कंट्रोल करना भारी पड़ जाता है।
डरपोक साधक यह साधना न करे किसी लालच के वशीभूत होकर।
योग्य गुरु के निर्देशन में ही करे।
यह हलदिया मसान साधना है।
दुरुपयोग न हो साधना का इसलिये मन्त्र विधान नही दिया गया।
गुरु अशोक कुमार चन्द्रा
हरिद्वार ,उत्तराखण्ड
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