@श्मशान भैरवी - वापसी@आटे का पुतला,मुर्गे की बलि,सब्जी की बलि,नारियल की बलि से मारण प्रयोग की वापसी (पलटवार) करने का माँ विंध्यवासिनी तंत्र,मन्त्र,शक्ति विधान@@
अगर आपके ऊपर किसी तांत्रिक ने मारणप्रयोग कर दिया है आपके शत्रुओं के कहने पर और जब आपको लगे की आप कोमा में जाने लगे अथवा आपके अंदर कोई प्रेत,मसान आदि कोई भी अदृश्य शक्ति हो जो आपको परेशान कर रही हो कई सालो से तब यह प्रयोग करे इस प्रयोग से आप अपने प्राण भी बचाएंगे,डॉक्टरों का खर्चा और जिन्होंने यह तांत्रिक प्रयोग किया है उनका ही उल्टा मारण प्रयोग हो जाता है।
सबसे पहले माँ विंध्यवासिनी मंदिर में रोगी का हाथ लगवाकर 16 श्रंगार,फल, फूल,मिठाई,चावल ,कुमकुम,अगरवत्ती,घी का दिया करे और सवा मीटर पीला कपडा,पानी का नारियल चढाये।
उसके बाद शाम को घर आकर
सबसे पहले रोगी के कमरे में माँ विंध्यवासिनी का पूजन अगरबत्ती,पीली मिठाई, लाल गुलाब के फूल,कुमकुम चावल,हल्दी ,देशी घी के दिये से करे।
उसके बाद
सबसे पहले टोकरी में काला कपडा सवा मीटर बिछाये, उसके ऊपर सात तरह के अनाज की एक रोटी रखे।उसकेउपर मिटटी का चौढे मुह का बर्तन रखे,उस बर्तन में 100 ग्राम नमकीन, चिप्स का पैकेट खोलकर डाल दे फिर उसमे एक अंडा रखे।फिर आटे का पुतला बनाकर उसमे 21 पिन लगाय,पुतले का पेट फाड़कर उसमे थोडा नमक ,मीट मसाला मिलाकर डाले और पेट बंद कर दे।अब 250 ग्राम दही को कच्चे चावल में मिलाकर टोकरी में कपडे पर डाले।
अब 5 हरे नींबू ले और 3 तार के टुकड़े प्रत्येक नींबू में डाले।जब 5 नींबू तैयार हो जाय तब 1 नींबू ले दाहिने हाथ में और रोगी के सिर से क्लॉक वाइज दिशा में 21 बार घुमाय और इसको दही चावल के मिश्रण में डाल दे,
2,3,4,5वे नींबू को भी ऐसा ही करे।
इसके बाद 21 पीले रंग के नींबू ले और एक नीम्बू को रोगी के सिर से 3 बार घुमाय और सिर के ऊपर ही चाक़ू से आधा चीरकर उसमे कुमकुम हल्दी का टीका लगाय और दही चावल के मिश्रण में फ़ेंक दे
2 नींबू में ऐसे ही करे किन्तु टीका काजल का लगाय।
3 में चूने का टीका
4 कुमकुम हल्दी
5 काजल
6 चूना
7 कुमकुम हल्दी
8 काजल
9 चूना
10 कुमकुम हल्दी
11 काजल
12 चूना
13 कुमकुम हल्दी
14 काजल
15 चूना
16 कुमकुम हल्दी
17 काजल
18 चूना
19 कुमकुम हल्दी
20 काजल
21 चूना
इस तरह 21 नींबू का उतारा कर टोकरी में डाले।
इसके बाद पुतले के मुँह में मदिरा की धार डाले और मिटटी के बर्तन से निकालकर रोगी के ऊपर 21 बारघुमाय और यह कल्पना करे की यह पुतला अब जीवित हो जायेगा और इसके बाद पुतले को मिटटी के बर्तन में रख दे।
अब एक नारियल ले उसमे 2 इंच के ताँबे के तार को ,,एक रूपए के सिक्के को 3 बार हथोड़े से पीटे जिसकी आवाज रोगी को भी सुनाई दे इसके बाद 2 इंच तार के साथ इसको नारियल की जटा को चीरकर उसमे फंसा दे और बायें हाथ में एक ही टहनी में निकले 5 आम के पत्ते लेकर उस पर दाहिने हाथ से इस तैयार नारियल को रखकर खड़े होकर रोगी के सामने ले जाकर यह बोले
,,,तू जो भी शक्ति है ,जहाँ से आई है वहीँ जाकर बैठ जा और तुझे तेरा खाना श्मशान में मिल जायेगा और जिसने तुझे भेजा है उसको मत बताना और फिर वापस नही आना,,,इतना कहकर नारियल को टोकरी में रख दे ,,इसको उतारना नही है।इसको हल्दी कुमकुम का टीका लगाये ।
फिर दूसरा नारियल ले उसकी एक आँख फोड़कर थोड़े से काले तिल रोगी के ऊपर से 7 बार उतारकर आँख से नारियल में डाल दे फिर काले साबुत उड़द लेकर 7 बार रोगी से उतारे और नारियल की आँख से उसमे डाल दे फिर उस आँख को
रुई से बंद करके रोगी के ऊपर से 7 बार घुमाय और पहले नारियल के पास रख दे टोकरी में।इसको भी हल्दी कुमकुम का टीका लगाये।
इसके बाद कर्ता काशीफल के 2 टुकड़े करे उनके अंदर वाले दोनों भागो में हल्दी कुमकुम का टीका लगाय और पहले टुकड़े को 7 बार घुमाय ,टोकरी में डाल दे, दूसरे को 7 बार घुमाय और टोकरी में डाल दे।
इसके बाद कड़वा करेला ले इसको 2 भागो में काटकर अंदर के दोनों भागो में हल्दी कुमकुम का टीका लगाय और प्रत्येक टुकड़े को काशीफल की तरह 7 बार उतारे और टोकरी में डाल दे।
अब कच्चा पपीता ले उसको भी पहले की तरह करे लेकिन इसके टुकड़े को केवल 3 3 बार उतारना है।
इसके बाद अब टोकरी के बीच में खड़ी बत्ती का तेल का दिया जलाय।
टोकरी के दोनों किनारो पर अंदर की तरफ गहराई में 3 कपूर रखे उसके ऊपर हल्दी कुमकुम डाले,,दूसरे सिरे पर भी ऐसे ही करे ।
इनके नीचे मिटटी का दिया रख ले नही तो कपडा जल जाएगा।
अब अंतिम उतारा होगा।।
इसमें दिया जलाय,,दोनों सिरो के कपूर जलाय और टोकरी को उठाकर रोगी के ऊपर से 21 बार उतारे ।
अब कपूर के बुझने पर और तेल का दिया बुझाय और इस टोकरी को श्मशान ले जाये ।
वहां तेल का दिया जलाय पुनः और काले मुर्गे की बलि हवा में उठाकर मिट्टी के बर्तन के ऊपर करे जिससे रक्त की बूंदे सीधी पुतले के मुँह में गिरे।फिर मुर्गे के सिर को मिट्टी के बर्तन में डाल दे और शेष अलग भाग टोकरी में रख दे जब कर्ता को लगे के वह निष्क्रिय हो गया है नही तो सरकटा मुर्गा हवा में उड़ जायेगा और नही मिल पायेगा।
बलि के लिये नये चाक़ू का प्रयोग करे। उसके बाद चाक़ू से उस पुतले को टुकड़े टुकड़े काट दो अर्थात खण्ड खण्ड कर दो और यह बोले की तुम्हारा भोग तुम्हे मिल गया है अब अपने स्थान पर बैठ जाओ और दुबारा मत आना नही तो इसी तरह कटेगा।
इस क्रिया को करने से जो भी श्मसान की शक्ति रोगी पर होती है उसकी आत्मा को चोट पहुचती है और रोगी के पास नही जाती किन्तु जिसनेइ यह शक्ति छोड़ी होती है और जितने भी इसमें शामिल होते है सबको बीमार कर उनका मारण करती है चाहे कोई किसी भी धर्म का तांत्रिक क्यों न हो,
इस क्रिया से माता विंध्यवासिनी रोगी की रक्षा करती है और भविष्य में वह आत्मा कभी भी रोगी के पास नही आ सकती।।
उस रात रोगी के शरीर की जैसे जान निकल जाती है ऐसा होता है।
कभी कभी रोगी उतारे के समय आत्मा की आवाज बोलता है किन्तु डरे नही वहां माता होती जिससे वह आत्मा कुछ नही कर पायेगी।
इस क्रिया से श्मशान भैरवी,किसी भी तरह का मसान,प्रेत आदि को वापस उसके स्थान पर बैठा दिया जाता है और जिसने भेजा है उसका मारण हो जाता है।रोगी की रक्षा तीनो माता काली,लक्ष्मी,सरस्वती रक्षा करती है।
इसके बाद रोगी कोमा की स्थिति से बाहर आ जाता है और 3 महीनो के अंदर पूर्ण स्वस्थ हो जाता है।
यह कर्ता माता विंध्यवासिनी साधक हो तो उत्तम है नही तो काली साधक या पुजारी भी यह साधन कर सकते है।
यह प्रयोग तभी करे जब डॉक्टर भी मना कर दे।
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गुरु अशोक कुमार चन्द्रा
हरिद्वार उत्तराखण्ड
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