श्रीगणेश साधना-
यह साधना 9 दिवसीय है।इस साधना में साधक को गणेश जी के दर्शन होते है और वचन होते है।
जिन साधको का आज्ञा चक्र विकसित है उनको श्रीगणेश जी के दर्शन और वचन होते है,जिन साधको का आज्ञा चक्र विकसित नही है ,उनको न तो दर्शन होते है और न ही वचन होते है,ऐसे साधको को केवल थोड़ा बहुत अनुभव होता है जैसे कमरे में किसी के चलने की आवाज ,सुगंध का अचानक बढ़ जाना,किसी के पास बैठने की अनुभूति आदि अनेक तरह से महसूस होता है।
यह साधना गणेश चतुर्थी को शुरू की जाती है।
इस साधना में पहले दिन 100 माला करनी होती है,दूसरे दिन 100 माला हवन करना होता है,तीसरे,चौथे,पाँचवे, छठे,सातवे ,आठवें, नवे दिन मन्त्र जप करना होता है।
यदि साधक 9वे दिन भी मन्त्र पूर्ण कर लेता है तो गणेश जी साधक को दर्शन देकर वरदान देते है ।
जिन साधको का आज्ञा चक्र विकसित नही है उनको पहले आज्ञा चक्र अर्थात दिव्य दृष्टि सिद्धि करनी चाहिये जिससे उनका आज्ञा चक्र खुल जाए और आलौकिक दिव्य आत्माओ को देख सके और दिव्य सिद्धियाँ प्राप्त कर सके।
साधना को एकांत कमरे में किया जाता है।
9 दिन तक साधक को फला हार,दूध का सेवन करना चाहिये।
मन्त्र जाप आंखे बंद करके करना चाहिये।
साधक को भयानक दृश्य आज्ञाचक्र के माध्यम से दिख सकते है किंतु उठकर भागे नही,यह साधक की परीक्षा होती है।
साधना के दिन साधक को नहाधोकर माथे पर लाल चंदन का तिलक लगाय, पीले वस्त्र धारण करे।आसन पर बैठ जाए।
कमरे में चन्दन का इत्र, परफ्यूम,सेंट जमीन और दीवारों पर भी छिड़क दें।
अपने सामने पूजा की चौकी पर वस्त्र बिछाकर जल का कलश रखे और काँसे की थाली में 2 फल, फूल,मिठाई रखे,गणेश जी का खड़ी मुद्रा का फोटो रखे।देशी घी का अखण्ड दिया जलाय।यह दिया सूर्य के प्रकाश में जलाया जाता है।
साधक अपना पवित्रीकरण ,सामग्री पवित्रीकरण,गुरु मंत्र,संकल्प,सुरक्षा ,सिद्धि मन्त्र शुरू करें।
100 माला जप रूद्राक्ष की माला से करे।
मन्त्र जप के बाद साधक गणेश जी की आरती करें और अगले दिन नैवेद्य को मंदिर या गाय को दे दे।
यह क्रिया 9 दिन करे।
इस साधना से साधक को वशीकरण शक्ति भी प्राप्त होती है ।
इस साधना में साधक को गणेश जी प्रतिमा पीली मिट्टी से बनानी चाहिये।
मन्त्र-
एकदंत महा वीर मन्मो पुरुष
सिद्ध यंत्रसर्द्ध कार्याणि त्वम प्रसादत गणेश्वरः
हेल्पलाइन-00917669101100
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