Friday, February 9, 2018
चमत्कारी 21 सिद्धियां सीखे
Saturday, February 3, 2018
डाकिनी देवी ग्रहणकालीन सिद्धि
Monday, December 11, 2017
धन लाभ साधना
नींद में चलना बीमारी से मुक्ति साधना
Sunday, December 10, 2017
शोकापीर मन्त्र साधना
Saturday, December 2, 2017
लाल परी साधना
Saturday, November 11, 2017
प्राचीन रम्भा अप्सरा सिद्धि
यह साधना 21 दिन की है।
22वे दिन साधक या साधिका को हवन करना होता है।
साधक को साधना कक्ष में गुलाबी रंग का कलर करना चाहिये।
साधक को यह साधना रात्रि 11 बजे से आरम्भ करनी चाहिये।
साधक को माथे पर चन्दन का सुगन्धित तिलक लाल ,गुलाबी वस्त्र,गुलाबी आसन, बाजोट पर गुलाबी कपड़ा प्रयोग करना चाहिये।
यह साधना पूर्ण परीक्षित और वर्तमान में सिद्ध प्रयोग है।
इस साधना में साधक को प्रारम्भ में स्नान करके पश्चिम दिशा की ओर मुख करके 21 माला मन्त्र जाप करना होता है।
जाप की माला लाल मूंगे की होनी चाहिये नही तो रुद्राक्ष की माला से भी इस अप्सरा को सिद्ध किया जा सकता है।
यह साधना किसी भी होली दीपावली,नवरात्रों,ग्रहण काल,शिवरात्रि अथवा शुक्रवार से प्रारम्भ की जा सकती है।
गुलाबी वस्त्र पहनकर माथे पर लाल चंदन का तिलक लगाकर ,गुलाबी आसन पर बैठकर अपने सामने बाजोट अर्थात लकड़ी की चौकी पर गुलाबी वस्त्र डालकर उसके ऊपर एक काँसे की थाली में लाल गुलाब की पंखुड़ियां डाले।
अप्सरा रम्भा की फ़ोटो फ्रेम सहित रखे।फल फूल मिठाई चढ़ाए।अप्सरा को तिलक लगाएं।
प्रथम दिन से लेकर 21वे दिन तक एक माला अप्सरा के फोटो पर चढाए या टांग दे।
इस साधना में भयानक अनुभव नही होते है किंतु कभी कभी कुछ आत्माए साधक को परेशान करती है।21 वे दिन साधक एक माला साथ मे रखे।
जब अप्सरा से वचन हो जाये तो उसे माला पहना दे।एक बात साधको को बता दूं कि यह माला मानसिक रूप से पहनाई जाती है।
साधक को भोजन केवल खीर का एक टाइम दोपहर को करना चाहिये।इसके अलावा कुछ नही खाना होता है।
मन्त्र जाप के समय साधक को अपनी बन्द आँखो में रम्भा अप्सरा की फोटो का प्रतिबिम्ब रखे।मन शांत रखे।
मन्त्र जाप के समय कमरे की सुगन्ध तेजी से बढ़ेगी,पायलों की आवाज, घुँघरू की आवाजें सुनाई पड़ती है।
कभी कभी तीव्रता से सफेद प्रकाश आता है पूरा कमरा प्रकाश वान हो जाता है।
साधना के बीच मे अप्सरा दर्शन भी देती है,मन्द मन्द मुस्कान के साथ, प्रसन्न मुद्रा में नृत्य करती हुई,अधोवस्त्र धारण किये हुए।
अंतिम दिन जब साधक अप्सरा मन्त्र जाप करता है तो अप्सरा साधक से बात करती है तब साधक अप्सरा से वचन लेकर उसे अपनी प्रेमिका के रूप में बाँध देता है।
अप्सरा से सम्भोग का वचन न ले नही तो हानिकारक सिद्ध हो सकता है साधक के लिये।
पत्नी रूप में भी इसको सिद्ध कर सकते है।
रम्भा
अप्सरा सिद्ध साधक के शरीर से हमेशा सुगन्ध आती रहती है मानो उसने कोई इत्र लगा रखा हो।
साधक या साधिका के शरीर मे बहुत तेज आता है,नवयौवन आता रहता है,बुढ़ापा पास नही आता है।
ऐसे साधक के पास आकर्षण शक्ति आ जाती है।जिसको एक बार निगाह मिलाकर देख ले वह प्राणी वशीभूत हो जाता है।
इस साधना की विशेषता यह है इस सिद्ध मन्त्र से मिठाई पढ़ कर किसी को दी जाय तो वह वश में हो जाता है।
जब भी साधक बन्द आँखो से अप्सरा को बुलाता है तो अप्सरा साधक को अपने साथ प्रेमक्रीड़ा मे ले जाती है और वह दुनिया इस देह की दुनिया से 10000 गुना ज्यादा सुंदर होती है।
साधना में पवित्रीकरण,वास्तुदोष पूजन,सुरक्षा मन्त्र ,संकल्प,गुरुमन्त्र,शिव मन्त्र,गणेश मन्त्र का ध्यान कर अप्सरा साधना शुरू करे।
,,मन्त्र-
ॐ क्ष म र म रम्भा अप्सराये नमः।
यह साधना दीक्षित साधक ही सिद्ध करे, तभी फलीभूत होगी।यह साधना बहुत तीव्र और सरल है।पल भर में साधन मात्र से सिद्धि देने वाली है।
गुरु अशोक कुमार चन्द्रा
हरिद्वार उत्तराखण्ड
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Friday, October 27, 2017
काली कपालिनी साधना
काली कपालिनी साधना
@💀☠@
यह साधना 21 दिन की होती है।
कपालिनी साधक को कभी भी आकर वचन दे सकती है।
साधक को हमेशा सावधान रहना चाहिये मन्त्र जाप के समय। जैसे ही कपालिनी की आवाज साधक को सुनाई दे ,तुरंत साधक उससे वचन ले ले।
पूरे साधना काल मे कपालिनी साधक के आस पास घूमती है अदृश्य रूप में और उसके सहायक कपाल और कपाली भी।।
काली कपालिनी का रूप बहुत महा उग्र होता है।
इस साधना को केवल पत्थर दिल साधक ही सम्पन्न कर सकते है।शेर दिल साधक भी श्मसान छोड़कर भाग सकता है।
कपालिनी वचन के अनुसार सभी कार्य करती है।वर्तमान में यह साधना सिद्ध है और अन्य साधको को भी सिद्ध करायी जाएगी।
वर्तमान में यह साधना हमारे एक शिष्य श्मसान में सम्पन्न कर रहे थे तब मन्त्र जाप के समय जो फ़ोटो उनके हमने खींचे ,उसमे काली कपालिनी भी कैमरे में कैद हो गयी ।इस फोटो की सबसे बड़ी बात यह है कि यह कपालिनी सूर्य प्रकाश में फ़ोटो में गायब सी रहती है और रात्रि में फ़ोटो में दिखाई देती है। डरपोक साधक इस फोटो को न देखे।
यह साधना श्मशान में रात को 12 बजे मंगलवार से शुरू की जाती है।
इस साधना में साधक अपने सामने लाल वस्त्र पर तलवार या छोटा छुरा रख सकता है।
तेल का चिराग जलाये।
एक मिट्टी के प्याले में मदिरा और दूसरे में माँस रखे।मोगरा,गुलाब,चमेली की धूप जलाये।तलवार का पूजन करे ,अपने माथे और तलवार पर सिंदूर का तिलक लगाएं।तलवार पर लाल कनेर के फूल चढाए।
2 बूंदी के लड्डू,थोड़ा माँस ,थोड़ी मदिरा भी चढ़ाए।
21माला 21 दिन करे।
लालवस्त्र साधक पहने।
अपना चारो तरफ से त्रिशूल से सुरक्षा रेखा खींच ले।
मन्त्र जाप शुरू करे।
गुरु साधक को साधना में बैठाकर 25 मीटर की दूरी पर बैठे।
मन्त्र जाप करते हुए साधक के सामने पहले दिन 2 प्रेत आत्माए आती है और साधक पर हमला करती है।पूरे जपकाल में यही रहता है।
दूसरे दिन साधक के सामने श्मसान की स्त्री आत्माए आती है और साधक को डराती है ,धमकाती है।
तीसरे दिन साधक के सामने साँप आता है और सीधा सामग्री में से होकर साधक की टांगो में घुस जाता है,यह एक भ्रम होता है बन्द आँखो में परीक्षा का किन्तु साधक डरे नही।
4 वे दिन प्रेत ,अनेक आत्माए आती है और साधक को परेशान करती है।
इसी बीच साधक को अपने सामने की जमीन हिलती डुलती नजर आती है अर्थात कोई जमीन को ऊपर उठा रहा हो ।
5 वे दिन साधक के सामने जमीन उखाड़नी शुरू कर देती है कपालिनी। क्योंकि यह श्मसान भूमि को फाड़कर बाहर निकलती है।
6 वे दिन साधक को ऐसा लगता है जैसे साधक का माँस कोई कुत्ता आकर खा गया हो किन्तु डरे नही यह भ्रम होता है।
7 वे दिन सभी प्रेतों का हंगामा श्मसान में होता है और इस दिन कपालिनी साधक को श्मसान भूमि को उखाड़कर जमीन से बाहर गर्दन निकाल कर देखती है ।
8 वे दिन ,9वे,10 वे,11 वे ,12वे,13वे,14वे,15वे,16वे,17वे,18वे,19वे,20वे दिन श्मसान में सभी तरह के उपद्रव होते है।कपालिनी साधक के चारो तरफ बहुत तीव्र हवा के झोंके की तरह घूमती है और अपना भोग गृहण करती है।अंतिम दिन कपालिनी काली जाग जाती है और श्मसान की भूमि उखड़नी शुरू ही जाती है,जब यह सामने आती है उससे पहले भयंकर रूप में दुर्गा देवी,काली देवी का अनेक भुजाओं के साथ दर्शन देती है ,साधक को भयभीत करती है,यदि साधक इनसे नही डरा तो अंत मे एक हाथ मे त्रिशूल डमरू लिये हुई,नाक चपटी 2 दांत निकले हुय बाहर को,मुहँ से रक्त बहता हुआ,ऐसे साधक को दर्शन देकर वचन करती है,और सिद्ध होती है।जब यह साधक के कार्य करती है तो एक फुटबॉल की तरह खोपड़ी रूप में करती है।यह साधक के सभी कार्य करती है ।
साधको को एक बात और यहाँ बता देता हूँ यह काली कपालिनी देवी की सिद्धि है न कि किसी कपाल या कपाली की।।
फ़ोटो में साधक काली कपालिनी का चेहरा देख सकते है।
यह ब्रह्मांड के किसी भी जगह की खबर साधक को बता देती है।
गुरुदेव अशोक कुमार चन्द्रा हरिद्वार उत्तराखण्ड भारत
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Sunday, October 22, 2017
देवी माँ अम्बिका साधना-
अम्बिका देवी साधना-
यह साधना
21 दिन की है।
22वे दिन हवन किया जाता है।
सिद्धि प्राप्त होने
के बाद साधक को दिव्य दृष्टि प्राप्त हो जाती है।
किसी भी प्राणी का भूत भविष्य वर्तमान देख सकता है।
देवी अम्बिका साधक को ध्वनि तरंगों के माध्यम से आवाज देकर वार्ता करती है।
यह साधना सात्विक है।
साधना सामग्री-
चमेली (जूही) के फूल
सफेद वस्त्र
सफेद आसन
तुलसी माला
ताम्र कलश
देवी माँ अम्बिका का फ्रेम फ़ोटो
चमेली की माला
चमेली की धूपबत्ती, अगरबत्ती
देशी घी का दिया
फल
सफेद रंग की मिठाई
साधना सम्पन्न होने पर 22वे दिन हवन किया जाता है जिसमे देशी घी में चमेली के फूलों की आहुति दी जाती है।
अनुष्ठान पूरा होने पर यह साधना सिद्ध हो जाती है और देवी माँ अम्बे साधक के सभी मनोरथ,कामनाये पूर्ण करती है।यह साधन गृहस्थ साधक कर सकते है।यह साधना बन्द कमरे में होती है।
गुरुदेव अशोक कुमार चन्द्रा हरिद्वार उत्तराखण्ड
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Tuesday, September 26, 2017
दीपावली 2017 सिद्धियाँ
@@ 19 अक्टूबर दीपावली 2017 साधना सिद्ध करने हेतु अनेक चमत्कारी सिद्धियां@@
जब साधक साधना सिद्ध करते है किंतु सिद्धि नही मिल पाती तब साधक का आज्ञाचक्र ,ध्यान विकसित नही होता है।दोनों में कोई भी कमी होती है तो सिद्धि नही मिलती और साधना के छोटे मोटे अनुभव ही मिल पाते है जैसे कमरे में किसी की उपस्थिति का आभास होना,किसी का पास बैठना आदि।।
कुछ सिद्धियां गृहस्थ साधको की होती है तो कुछ श्मसान में रहने वालों के लिये।यहाँ कुछ सिद्धियों के बारे में बताया जा रहा है जिनको पिछले 15 सालों से वर्तमान में सिद्ध करके सभी तरह के कार्य करके पीड़ितों की भलाई की जा रही है।सभी साधनाए सिद्ध है और फलीभूत भी होती है।जो निम्न है-
1- माता विंध्यवासिनी साधना 21 दिन 2 घण्टे प्रतिदिन मन्त्र जाप
फल- सिद्धि प्राप्त होने पर भूत भविष्य वर्तमान देखने की शक्ति के साथ साथ आज्ञा चक्र का विकसित होना जिसके माध्यम से साधक बड़ी से बड़ी साधना कर सकता है और बन्द आँखो से आज्ञा चक्र के माध्यम से आगामी शक्ति को देख सकता है ,उनसे वार्ता आदि कर सकता है।
वर्तमान में यह साधना 50 से ज्यादा साधको को सिद्ध करायी जा चुकी है,इनमे मुख्यतः उत्तर प्रदेश,उत्तराखण्ड,महाराष्ट्र,राजस्थान,पंजाब,हिमाचल प्रदेश राज्य है।
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2-तामसिक कर्ण पिशाचिनी साधना-यह साधना 3 दिन की होती है।27 माला रोज होती है।
इस साधना को अपवित्र अवस्था में किया जाता है।अमावस्या से 2 दिन पहले रात्रि में शुरू की जाती है।
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3-)काली कपालिनी श्मशान साधना-यह साधना 7 दिवसीय है,रोज रात्रि 12 बजे से श्मसान में सिद्ध की जाती है।
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4- सात्विक कर्ण पिशाचिनी साधना- यह साधना 7 दिवसीय नवरात्रों में और 21 दिवसीय किसी भी पर्व पर सिद्ध की जा सकती है।यह भी कानो में आवाज देती है।
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5-सुग्रीव साधना-यह साधना भी सिद्ध होने पर साधक की मनोकामनाए पूर्ण करती है।
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6-हनुमान साधना- इस साधना में वचनसिद्धि होती है।हनुमानजी वरदान देते है।21 दिवसीय 3 घण्टे प्रतिदिन
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7-मसान साधना-यह साधना मसान में सिद्ध की जाती है।दीपावली पर इस साधना को सिद्ध किया जा सकता है। 4 घण्टे मन्त्र जाप में मसान सिद्ध हो जाता है।
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8-वीर सिद्धि-एक दिवसीय
इस साधना में वीर एक ही रात में साधक के सामने आकर सिद्ध हो जाता है।साधक के सभी कार्य करता है। दीपावली पर यह सिद्ध की जा सकती है।
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9-यक्षणी सिद्धि-यह साधना 21 दिवसीय है।भूत भविष्य वर्तमान दिखाती है।
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10-हनुमान वचनसिद्धि-यह साधना 40 दिवसीय है।
अंतिम दिन आकाश से सिंहासन उतरता है जिस पर हनुमानजी विराजमान होते है,साधक को वर देते है।
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11-शोहा वीर साधना-यह साधना 21 दिवसीय है।सिद्ध होने पर साधक के सभी कार्य करते है।
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12-कृत्या साधना--यह साधना भी चमत्कारी है इसमें सिद्ध साधक किसी भी शक्ति से लड़ सकता है और उसका विनाश कर सकता है।
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13--भैरव सिद्धि--यह साधना 40 दिवसीय है।वचनसिद्धि है।सभी कार्य होते है।लाटरी ,सट्टे के अंक भी प्राप्त होते है।
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14--देवी चक्रे गमालिनी शिवशक्ति सिद्धि-यह साधना 21 दिवसीय है ,इसमे साधक को भूत भविष्य वर्तमान देखने और देवी से वार्ता करने की शक्ति प्राप्त होती है।
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15-हमजाद साधना-यह साधना 40 दिवसीय है।सिद्ध होने पर वचनोनुसार कार्य हमजाद करता है।
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16--जिन सिद्धि-यह साधना 40 दिवसीय है।सिद्ध होने पर वचनानुसार जिन साधक के कार्य करता है।
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17--बावन वीर सिद्धि-इस सिद्धि में साधक को सभी 52 वीर सिद्ध होते है और वचनोनुसार कार्य करते है।यह 21 दिवसीय साधना है।
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18--महा काली साधना-यह साधन 40 दिवसीय है।
सिद्ध होने पर वचनोनुसार देवी साधक के सभी कार्य अच्छे बुरे करती है।
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19-श्मसान काली साधना-यह साधना 40 दिवसीय है।इस सिद्धि के बाद साधक श्मसान की कोई भी सिद्धि प्रथम बार मे सिद्ध कर लेता है।
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20--तिलोत्तमा अप्सरा सिद्धि-यह साधना 40 दिवसीय है।सिद्ध होने पर अप्सरा साधक का वचनोनुसार कार्य करती है।
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21-हनुमान शक्ति साधना-यह साधना एक दिवसीय है,इसमे साधक उडद के दाने पढकर अपने शत्रुओ का संहार करता है।
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सभी साधनाए कलयुग में सिद्ध है और वर्तमान में भी इन सिद्ध साधनाओ से कार्य किया जा रहा है।
गुरुदेव अशोक कुमार चन्द्रा
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Monday, September 11, 2017
स्वर्ण देहा कर्ण पिशाचिनी साधना
कर्ण पिशाचिनी सूर्योदयास्त साधना-----
यह साधना 21 दिनों की होती है किंतु पूर्ण सिद्धि 41 दिन में प्राप्त होती है ।
इस साधना का समय सूर्योदय के समय 11 माला और सूर्यास्त के समय 11 माला है।
सिद्धि होने पर देवी साधक को कानो में आवाज भी देती है और भूत भविष्य वर्तमान का सही सही पता बता देती है।
साधना सामग्री-
1 लाल वस्त्र या काले वस्त्र
2 आसन लाल या काला
3 रुद्राक्ष माला तांत्रिक क्रिया से शुद्ध की गई।
4 लाल चंदन का तिलक
5कर्णपिशाचिनी का भोग जिस पर आकर्षित होकर देवी साधक को सिद्धि प्रदान करती है।।
6 ग्वार पाठे अर्थात घी कवार अर्थात घृत कुमारी का टुकड़ा
7 तेल का अखण्ड दिया बन्द कमरे में जले
8 फल, फूल चमेली या मोगरा या लाल गुलाब
9 चमेली इत्र, अगरबत्तियां कमरे में छिड़कने के लिये।
जब साधक साधना शुरू करता है तो साधक को मन्त्र जाप के समय अनेक तरह की अनुभूतियां होती है।
जैसे कोई आवाज देती है या सफेद रंग का प्रकाश पूरे कमरे में हो जाता है।
साधक को अनेक स्त्रियों के सपने भी आते है ।
जब साधक विधि विधान से सिद्धि करता है तो भोग को साधक छत पर रख दे ,उसे जल चढ़ाए।
शाम को जब भोजन करे तो भोजन से एक रोटी और कुछ सब्जी जल के साथ छत पर रख दे।
जब देवी को नित्य अपना भोग मिलता है तो देवी साधक को सिध्द होती है और बात होती है वचन होते है।
देवी साधक के कानों में बाते कहती है और दृश्य भी दिखाती है।
पिशाचिनी का भोग विशेष तरह के द्रव्यों को मिलाकर तैयार किया जाता है ,इसमे कुछ पदार्थ,अन्न आदि मिलाय जाते है जिससे आकर्षित होकर पिशाचिनी साधक को सिद्ध हो जाती है।
अगर देवी साधना के समय उग्र है तो घी क्वार अपने एक हाथ मे रखे दूसरे से मन्त्र जाप करे।इससे देवी शांत होती है।मन्त्र जाप के समय आसन के नीचे रखे।
नारियल की स्थापना करे।जब यह देवी साधक के साथ शयन करके जाती है तो उसको कुछ स्वर्ण भी कभी कभी प्राप्त होता है।
इस भोग को ग्रहण किये बिना देवी सिद्धि प्रदान नही करती है।
यह सिद्धि स्वार्थी साधको को सिद्ध नही होती।
इसमे दिशा उत्तर हो।
सिद्ध करते समय साधक का कमरा अपना हो,कोई दूसरा न आये।
मन्त्र--ॐ ह्रीम चह चह
कम्बलके गृहण पिंडम
;
पिशाचिके स्वाहा।
गुरुदेव अशोक कुमार चन्द्रा
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Friday, September 8, 2017
बेताल साधना
बेताल साधना--यह साधना एक दिवसीय है।
यह साधना मसान में सिद्ध होती है।
मसान सुनसान और वीराने में होना चाहिये।
साधक
अमावस्या का चयन करें।
रात्रि 12 बजे यह साधना शुरू की जाती है।
मन्त्र जाप शुरू होते ही मसान जाग्रत होने लगता है,सोये हुए मुर्दे जमीन फाड़ कर बाहर निकलते हुये, हा हा कर मचाते हुये साधक को भयभीत करते है।अनेक यक्ष यक्षिणी के दर्शन भी हो सकते है।साधक मन्त्र जाप करते हुए मन को एकाग्र रखे। साधना स्थल से उठकर साधक को नही भागना चाहिए किसी भयानक दृश्य को देखकर।
गुरु की देखरेख में ही साधना सम्पन्न करे।
सामग्री
कुशासन,रुद्राक्ष माला,सफेद वस्त्र,सिंदूर
जब बेताल प्रकट होकर वार्ता करे तब साधक बेताल से वचन ले और सूर्योदय से पहले घर आ जाये।
मन्त्र--
ॐ तुरुह ॐ गुरूह ॐ हरह ॐ हिलि ह
महा घोर रावे काली बैतालाय हुम फट स्वाहा।
गुरुदेव अशोक कुमार चन्द्रा
हरिद्वार उत्तराखण्ड
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Friday, August 25, 2017
लौंग वशीकरण
Online long vashikaran _ऑनलाइन लौंग वशीकरण---
यह वशीकरण मंत्र से सिद्ध लौंग जो भी प्राणी खाते है,वह पूर्णतया खिलाने वाले स्त्री या पुरुष के वश में हो जाते है।यह प्राणी तन मन धन प्राण से बशीभूत हो जाता है अर्थात मोहित हो जाता है।
यह लौंग विशेष मन्त्र साधना के बल पर सिद्ध कर तैयार की जाती है।
अगर किसी स्त्री का पति किसी दूसरी स्त्री के साथ हो या किसी पुरुष की स्त्री दूसरे पुरुष के साथ हो तो उसको यह लोंग खिलाने पर नाजायज सम्बन्ध टूट जाते है और परिवार में पहले जैसी खुशहाली आ जाती है।
तंत्र मंत्र की दुनिया मे ऐसे सिद्ध लौंग को ''लौंग शाबरी मोहिनी ''कहा जाता है।जिन लोगो की शादी में बांधा होती है अगर वे इस लौंग को खिलाएं तो शादी तय हो जाती है।
पति पत्नी में अगर छोटी छोटी बातों पर अक्सर लड़ाई झगड़े होते है तो इसका प्रयोग करने लड़ाई झगड़े शांत हो जाते है।
यह लोंग वशीकरण सुविधा विदेशों में भी उपलब्ध है।
इस का प्रभाव खाने वाले स्त्री पुरुष पर आजीवन रहता है,इसमे कामाख्या मन्त्र को सम्पुटित करके सिद्ध किया जाता है।
प्रयोगकर्ता इसको ऑनलाइन आर्डर कर सकते है।
गुरु अशोक कुमार चन्द्रा
हरिद्वार उत्तराखंड भारत
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Wednesday, August 23, 2017
भूत सिद्धि
@ भैरव भूत सिद्धि @
यह अत्यंत प्राचीन साधना है।यह एक दिन की साधना है।इस साधना का योग कई सालो में वर्ष में 2 बार बनता है। वर्ष 2017 में यह योग 16 सितंबर शनिवार ,को आ रहा है।जब रवि या शनि में पुष्य नक्षत्र हो तब यह भूत सिद्धि होती है।
यह साधना बन्द कमरे में साधक करता है तो उसके चारो तरफ का वातावरण शांत होना चाहिए।
अगर घर पर सुविधा नही है तो किसी सुनसान खण्डहर या नदी के किनारे कर सकता है।
यह एक शक्तिशाली भैरव भूत अर्थात गण है।सावधान होकर ही इसकी सिद्धि करे।
11 माला मन्त्र जाप करना है।
माला रुद्राक्ष की होनी चाहिए।इसको गोमुखी में रखे।
दाहिने हाथ के अंगूठा और बीच की ऊँगली से मन्त्र जाप करे।यह एक उग्र भूत है।गुरु कृपा और आशीर्वाद से ही इसको प्राप्त किया जाता है।
कुशासन या लाल कम्बल का आसन लगाए और सुखासन में बैठे।
यह सिद्धि पूर्व दिशा में होती है।
सबसे पहले लोबान की धूप जलाये और तेल का चिराग जो कम से कम 8 घण्टे जल सके।उग्र भैरव रूप की मूर्ति स्थापित करे।उस पर तेल कड़वा और सिंदूर चढाये।दाहिनी तरफ जल का पात्र रखे।
माथे पर सिंदूर का तिलक लगाए।
लाल वस्त्र धारण करे।यह तीव्र साबर मन्त्र है।
सबसे पहले पवित्रीकरण,वास्तुदोष पूजन,गुरुपूजन करे ।इसके बाद भैरव पूजन कर भूत सिद्धि का मन्त्र जाप शुरू करे। जब साधक की 11 वी माला शुरू
होती है तो साधक के सामने एक धुँए की आकृति से धीरे धीरे भूत का निर्माण होता है,तब साधक मन्त्र जाप पूरा करके उससे वचन, बिना भयभीत और डर के ले ले।भूत साधक को वचन दे देता है।
जैसे ही भूत साधक को वचन दे दे तो साधक को उसके तुरंत बाद जलपात्र से थोडा सा जल हाथ में लेकर भूत के ऊपर फ़ेंक दे,इस विधि से भूत साधक के पूर्ण रूप से वश में हो जाता है।
जब भी साधक भूत को कोई कार्य देता है उसको भूत तुरंत कर साधक को सुचना देता है।यह भूत वशीकरण,मारण आदि कार्यो को करने में निपुण होता है।
अतः साधक इसका गलत प्रयोग न करे।
यह योग इस वर्ष रविवार और शनिवार को पुष्य नक्षत्र के होने से बन रहा है।
।।।।।मन्त्र।।।।।।
काली काली महाकाली
इंद्र की पुत्री ब्रह्मा की माली
मरे मसानों दे ताली
चाकले खाय,काला काली का जाय
कीले चार खूंट के भूत
कीला हुआ भूत हुआ निराला,पड़े चाकले खाय काला।
मसानिया वीर वज्र की काया,जिह करन नरसिंह धाया
अपनी चौकी बैठाया
शब्द साँचा पिण्ड वाचा
चलो मन्त्र ईश्वरो वाचा
गुरु अशोक कुमार चंद्रा
हरिद्वार उत्तराखण्ड
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