यह साधना 21 दिन की है।
22वे दिन साधक या साधिका को हवन करना होता है।
साधक को साधना कक्ष में गुलाबी रंग का कलर करना चाहिये।
साधक को यह साधना रात्रि 11 बजे से आरम्भ करनी चाहिये।
साधक को माथे पर चन्दन का सुगन्धित तिलक लाल ,गुलाबी वस्त्र,गुलाबी आसन, बाजोट पर गुलाबी कपड़ा प्रयोग करना चाहिये।
यह साधना पूर्ण परीक्षित और वर्तमान में सिद्ध प्रयोग है।
इस साधना में साधक को प्रारम्भ में स्नान करके पश्चिम दिशा की ओर मुख करके 21 माला मन्त्र जाप करना होता है।
जाप की माला लाल मूंगे की होनी चाहिये नही तो रुद्राक्ष की माला से भी इस अप्सरा को सिद्ध किया जा सकता है।
यह साधना किसी भी होली दीपावली,नवरात्रों,ग्रहण काल,शिवरात्रि अथवा शुक्रवार से प्रारम्भ की जा सकती है।
गुलाबी वस्त्र पहनकर माथे पर लाल चंदन का तिलक लगाकर ,गुलाबी आसन पर बैठकर अपने सामने बाजोट अर्थात लकड़ी की चौकी पर गुलाबी वस्त्र डालकर उसके ऊपर एक काँसे की थाली में लाल गुलाब की पंखुड़ियां डाले।
अप्सरा रम्भा की फ़ोटो फ्रेम सहित रखे।फल फूल मिठाई चढ़ाए।अप्सरा को तिलक लगाएं।
प्रथम दिन से लेकर 21वे दिन तक एक माला अप्सरा के फोटो पर चढाए या टांग दे।
इस साधना में भयानक अनुभव नही होते है किंतु कभी कभी कुछ आत्माए साधक को परेशान करती है।21 वे दिन साधक एक माला साथ मे रखे।
जब अप्सरा से वचन हो जाये तो उसे माला पहना दे।एक बात साधको को बता दूं कि यह माला मानसिक रूप से पहनाई जाती है।
साधक को भोजन केवल खीर का एक टाइम दोपहर को करना चाहिये।इसके अलावा कुछ नही खाना होता है।
मन्त्र जाप के समय साधक को अपनी बन्द आँखो में रम्भा अप्सरा की फोटो का प्रतिबिम्ब रखे।मन शांत रखे।
मन्त्र जाप के समय कमरे की सुगन्ध तेजी से बढ़ेगी,पायलों की आवाज, घुँघरू की आवाजें सुनाई पड़ती है।
कभी कभी तीव्रता से सफेद प्रकाश आता है पूरा कमरा प्रकाश वान हो जाता है।
साधना के बीच मे अप्सरा दर्शन भी देती है,मन्द मन्द मुस्कान के साथ, प्रसन्न मुद्रा में नृत्य करती हुई,अधोवस्त्र धारण किये हुए।
अंतिम दिन जब साधक अप्सरा मन्त्र जाप करता है तो अप्सरा साधक से बात करती है तब साधक अप्सरा से वचन लेकर उसे अपनी प्रेमिका के रूप में बाँध देता है।
अप्सरा से सम्भोग का वचन न ले नही तो हानिकारक सिद्ध हो सकता है साधक के लिये।
पत्नी रूप में भी इसको सिद्ध कर सकते है।
रम्भा
अप्सरा सिद्ध साधक के शरीर से हमेशा सुगन्ध आती रहती है मानो उसने कोई इत्र लगा रखा हो।
साधक या साधिका के शरीर मे बहुत तेज आता है,नवयौवन आता रहता है,बुढ़ापा पास नही आता है।
ऐसे साधक के पास आकर्षण शक्ति आ जाती है।जिसको एक बार निगाह मिलाकर देख ले वह प्राणी वशीभूत हो जाता है।
इस साधना की विशेषता यह है इस सिद्ध मन्त्र से मिठाई पढ़ कर किसी को दी जाय तो वह वश में हो जाता है।
जब भी साधक बन्द आँखो से अप्सरा को बुलाता है तो अप्सरा साधक को अपने साथ प्रेमक्रीड़ा मे ले जाती है और वह दुनिया इस देह की दुनिया से 10000 गुना ज्यादा सुंदर होती है।
साधना में पवित्रीकरण,वास्तुदोष पूजन,सुरक्षा मन्त्र ,संकल्प,गुरुमन्त्र,शिव मन्त्र,गणेश मन्त्र का ध्यान कर अप्सरा साधना शुरू करे।
,,मन्त्र-
ॐ क्ष म र म रम्भा अप्सराये नमः।
यह साधना दीक्षित साधक ही सिद्ध करे, तभी फलीभूत होगी।यह साधना बहुत तीव्र और सरल है।पल भर में साधन मात्र से सिद्धि देने वाली है।
गुरु अशोक कुमार चन्द्रा
हरिद्वार उत्तराखण्ड
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