Tuesday, September 18, 2018
नवरात्रि सिद्धियाँ अक्टूबर 2018
Tuesday, September 11, 2018
नवरात्रि साधना माता श्रुतदेवी सिद्धि
Monday, August 6, 2018
Past-present-future sadhna
Monday, July 30, 2018
पत्रिका सदस्य एकवर्षीय
Thursday, July 19, 2018
विरहना पीर साधना
Friday, July 13, 2018
चंद्रग्रहण 27 जुलाई 2018 सिद्धियाँ
Tuesday, July 10, 2018
बजरंगबली बल साधना
Monday, July 9, 2018
श्यामकोर मोहिनी साधना
Sunday, June 17, 2018
मृत आत्माओं की साधना
यह साधना 3 दिन की होती है।
इसमे साधक को कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को श्मशान जाकर साधना सिद्ध करनी होती है और अमावस्या को पूर्ण सिद्धि प्राप्त हो जाती है।
इस साधना में साधक एक आत्मा को सिद्ध करता है।
आत्मा किसी भी योनि में हो सकती है जैसे प्रेत ,भूत,चुडेल,डायन आदि।
रात को 12 बजे श्मशान में नहा धोकर जाये।
किसी चिता की तलाश कर जो जली हो।
अगर एक्सीडेंट की जली चिता मिल जाय तो बहुत अच्छा होता है।
साधक माथे पर सिंदूर का तिलक लगाए।
चिता के चारो तरफ 5 परिक्रमा करें, उसके बाद चिता को प्रणाम करके दोनों हाथ जोड़कर बोले-★【"हे आलौकिक शक्ति तुम मेरे वश में हो 】★ इतना कहकर साधक चिता की एक अधजली एक अंगुल की लकड़ी उठा ले और उसे उत्तर दिशा में भगवान शिव का नाम लेकर 2 फ़ीट गहरे गड्ढे में दबा दे।
इस क्रिया के बाद साधक वापस घर आ जाय।
अगले दिन पुनः साधक रात्रि 12 बजे जाए,लकड़ी को खोदकर निकाले ।
पंचोपचार पूजन करके वापस बंद कर दे।
तीसरे दिन अमावस्या को जाकर साधक लकड़ी ले आये।
यह क्रिया भी अर्धरात्रि को करनी चाहिए।
3 दिन की क्रिया में यदि श्मशान में कोई आवाज,दृश्य आदि की अनुभूति हो तो साधक डरे नही।
लकड़ी को साधक अपने बंद कमरे में रखे,उसके साथ प्रेत आत्मा भी आ जाती है जो साधक को दिखाई देती है।
जब सिद्धि का प्रयोग सिद्ध करना हो साधक को तब लकड़ी को आसन के नीचे रखकर उस आत्मा का आह्वान करना चाहिए तब साधक को बंद आँखो में आज्ञा चक्र में एक प्रेत दिखाई देगा जिसके माध्यम से साधक अपने सभी कार्य सिद्ध कर सकता है।मृत आत्मा से साधक बात मानसिक रूप से करता है ।
यह सिद्धि वशीकरण का एक उग्र अस्त्र है।जिस किसी पर प्रयोग करे साधक के वशीभूत हो जाता है।यह आत्मा साधक की प्रत्येक आज्ञा का पालन करती है।अच्छे बुरे दोनों कार्य करती है।डरपोक ,भीरू ,कायर ,लालची लोग साधना के पात्र नही है।इस साधना में मन्त्र की आवश्यकता नही होतीहै।
तंत्र मात्र से आत्मा सिध्दि प्राप्त होती है।यह साधना जानकारी हेतु दी गयी है।
बिना गुरु यह सिद्धि न करे।
गुरुदेव अशोक कुमार चन्द्रा
हरिद्वार उत्तराखण्ड
हेल्पलाइन-00917669101100
email id-vishnuavtar8@gmail.com
Friday, May 18, 2018
MATA KAMAKHYA
MATA LAXMI
MAHAKAALI MATA
Sunday, May 6, 2018
SADHNA AND SIDDHI FROM INDIAN TANTRA MANTRA VASHIKARAN
Thursday, April 26, 2018
महालक्ष्मी साधना
Tuesday, April 10, 2018
यक्ष साधना
Monday, March 12, 2018
Friday, February 23, 2018
51 सिद्धियां
Friday, February 9, 2018
आक वीर सिद्धि
चमत्कारी 21 सिद्धियां सीखे
Saturday, February 3, 2018
डाकिनी देवी ग्रहणकालीन सिद्धि
Monday, December 11, 2017
धन लाभ साधना
नींद में चलना बीमारी से मुक्ति साधना
Sunday, December 10, 2017
शोकापीर मन्त्र साधना
Saturday, December 2, 2017
लाल परी साधना
Saturday, November 11, 2017
प्राचीन रम्भा अप्सरा सिद्धि
यह साधना 21 दिन की है।
22वे दिन साधक या साधिका को हवन करना होता है।
साधक को साधना कक्ष में गुलाबी रंग का कलर करना चाहिये।
साधक को यह साधना रात्रि 11 बजे से आरम्भ करनी चाहिये।
साधक को माथे पर चन्दन का सुगन्धित तिलक लाल ,गुलाबी वस्त्र,गुलाबी आसन, बाजोट पर गुलाबी कपड़ा प्रयोग करना चाहिये।
यह साधना पूर्ण परीक्षित और वर्तमान में सिद्ध प्रयोग है।
इस साधना में साधक को प्रारम्भ में स्नान करके पश्चिम दिशा की ओर मुख करके 21 माला मन्त्र जाप करना होता है।
जाप की माला लाल मूंगे की होनी चाहिये नही तो रुद्राक्ष की माला से भी इस अप्सरा को सिद्ध किया जा सकता है।
यह साधना किसी भी होली दीपावली,नवरात्रों,ग्रहण काल,शिवरात्रि अथवा शुक्रवार से प्रारम्भ की जा सकती है।
गुलाबी वस्त्र पहनकर माथे पर लाल चंदन का तिलक लगाकर ,गुलाबी आसन पर बैठकर अपने सामने बाजोट अर्थात लकड़ी की चौकी पर गुलाबी वस्त्र डालकर उसके ऊपर एक काँसे की थाली में लाल गुलाब की पंखुड़ियां डाले।
अप्सरा रम्भा की फ़ोटो फ्रेम सहित रखे।फल फूल मिठाई चढ़ाए।अप्सरा को तिलक लगाएं।
प्रथम दिन से लेकर 21वे दिन तक एक माला अप्सरा के फोटो पर चढाए या टांग दे।
इस साधना में भयानक अनुभव नही होते है किंतु कभी कभी कुछ आत्माए साधक को परेशान करती है।21 वे दिन साधक एक माला साथ मे रखे।
जब अप्सरा से वचन हो जाये तो उसे माला पहना दे।एक बात साधको को बता दूं कि यह माला मानसिक रूप से पहनाई जाती है।
साधक को भोजन केवल खीर का एक टाइम दोपहर को करना चाहिये।इसके अलावा कुछ नही खाना होता है।
मन्त्र जाप के समय साधक को अपनी बन्द आँखो में रम्भा अप्सरा की फोटो का प्रतिबिम्ब रखे।मन शांत रखे।
मन्त्र जाप के समय कमरे की सुगन्ध तेजी से बढ़ेगी,पायलों की आवाज, घुँघरू की आवाजें सुनाई पड़ती है।
कभी कभी तीव्रता से सफेद प्रकाश आता है पूरा कमरा प्रकाश वान हो जाता है।
साधना के बीच मे अप्सरा दर्शन भी देती है,मन्द मन्द मुस्कान के साथ, प्रसन्न मुद्रा में नृत्य करती हुई,अधोवस्त्र धारण किये हुए।
अंतिम दिन जब साधक अप्सरा मन्त्र जाप करता है तो अप्सरा साधक से बात करती है तब साधक अप्सरा से वचन लेकर उसे अपनी प्रेमिका के रूप में बाँध देता है।
अप्सरा से सम्भोग का वचन न ले नही तो हानिकारक सिद्ध हो सकता है साधक के लिये।
पत्नी रूप में भी इसको सिद्ध कर सकते है।
रम्भा
अप्सरा सिद्ध साधक के शरीर से हमेशा सुगन्ध आती रहती है मानो उसने कोई इत्र लगा रखा हो।
साधक या साधिका के शरीर मे बहुत तेज आता है,नवयौवन आता रहता है,बुढ़ापा पास नही आता है।
ऐसे साधक के पास आकर्षण शक्ति आ जाती है।जिसको एक बार निगाह मिलाकर देख ले वह प्राणी वशीभूत हो जाता है।
इस साधना की विशेषता यह है इस सिद्ध मन्त्र से मिठाई पढ़ कर किसी को दी जाय तो वह वश में हो जाता है।
जब भी साधक बन्द आँखो से अप्सरा को बुलाता है तो अप्सरा साधक को अपने साथ प्रेमक्रीड़ा मे ले जाती है और वह दुनिया इस देह की दुनिया से 10000 गुना ज्यादा सुंदर होती है।
साधना में पवित्रीकरण,वास्तुदोष पूजन,सुरक्षा मन्त्र ,संकल्प,गुरुमन्त्र,शिव मन्त्र,गणेश मन्त्र का ध्यान कर अप्सरा साधना शुरू करे।
,,मन्त्र-
ॐ क्ष म र म रम्भा अप्सराये नमः।
यह साधना दीक्षित साधक ही सिद्ध करे, तभी फलीभूत होगी।यह साधना बहुत तीव्र और सरल है।पल भर में साधन मात्र से सिद्धि देने वाली है।
गुरु अशोक कुमार चन्द्रा
हरिद्वार उत्तराखण्ड
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Friday, October 27, 2017
काली कपालिनी साधना
काली कपालिनी साधना
@💀☠@
यह साधना 21 दिन की होती है।
कपालिनी साधक को कभी भी आकर वचन दे सकती है।
साधक को हमेशा सावधान रहना चाहिये मन्त्र जाप के समय। जैसे ही कपालिनी की आवाज साधक को सुनाई दे ,तुरंत साधक उससे वचन ले ले।
पूरे साधना काल मे कपालिनी साधक के आस पास घूमती है अदृश्य रूप में और उसके सहायक कपाल और कपाली भी।।
काली कपालिनी का रूप बहुत महा उग्र होता है।
इस साधना को केवल पत्थर दिल साधक ही सम्पन्न कर सकते है।शेर दिल साधक भी श्मसान छोड़कर भाग सकता है।
कपालिनी वचन के अनुसार सभी कार्य करती है।वर्तमान में यह साधना सिद्ध है और अन्य साधको को भी सिद्ध करायी जाएगी।
वर्तमान में यह साधना हमारे एक शिष्य श्मसान में सम्पन्न कर रहे थे तब मन्त्र जाप के समय जो फ़ोटो उनके हमने खींचे ,उसमे काली कपालिनी भी कैमरे में कैद हो गयी ।इस फोटो की सबसे बड़ी बात यह है कि यह कपालिनी सूर्य प्रकाश में फ़ोटो में गायब सी रहती है और रात्रि में फ़ोटो में दिखाई देती है। डरपोक साधक इस फोटो को न देखे।
यह साधना श्मशान में रात को 12 बजे मंगलवार से शुरू की जाती है।
इस साधना में साधक अपने सामने लाल वस्त्र पर तलवार या छोटा छुरा रख सकता है।
तेल का चिराग जलाये।
एक मिट्टी के प्याले में मदिरा और दूसरे में माँस रखे।मोगरा,गुलाब,चमेली की धूप जलाये।तलवार का पूजन करे ,अपने माथे और तलवार पर सिंदूर का तिलक लगाएं।तलवार पर लाल कनेर के फूल चढाए।
2 बूंदी के लड्डू,थोड़ा माँस ,थोड़ी मदिरा भी चढ़ाए।
21माला 21 दिन करे।
लालवस्त्र साधक पहने।
अपना चारो तरफ से त्रिशूल से सुरक्षा रेखा खींच ले।
मन्त्र जाप शुरू करे।
गुरु साधक को साधना में बैठाकर 25 मीटर की दूरी पर बैठे।
मन्त्र जाप करते हुए साधक के सामने पहले दिन 2 प्रेत आत्माए आती है और साधक पर हमला करती है।पूरे जपकाल में यही रहता है।
दूसरे दिन साधक के सामने श्मसान की स्त्री आत्माए आती है और साधक को डराती है ,धमकाती है।
तीसरे दिन साधक के सामने साँप आता है और सीधा सामग्री में से होकर साधक की टांगो में घुस जाता है,यह एक भ्रम होता है बन्द आँखो में परीक्षा का किन्तु साधक डरे नही।
4 वे दिन प्रेत ,अनेक आत्माए आती है और साधक को परेशान करती है।
इसी बीच साधक को अपने सामने की जमीन हिलती डुलती नजर आती है अर्थात कोई जमीन को ऊपर उठा रहा हो ।
5 वे दिन साधक के सामने जमीन उखाड़नी शुरू कर देती है कपालिनी। क्योंकि यह श्मसान भूमि को फाड़कर बाहर निकलती है।
6 वे दिन साधक को ऐसा लगता है जैसे साधक का माँस कोई कुत्ता आकर खा गया हो किन्तु डरे नही यह भ्रम होता है।
7 वे दिन सभी प्रेतों का हंगामा श्मसान में होता है और इस दिन कपालिनी साधक को श्मसान भूमि को उखाड़कर जमीन से बाहर गर्दन निकाल कर देखती है ।
8 वे दिन ,9वे,10 वे,11 वे ,12वे,13वे,14वे,15वे,16वे,17वे,18वे,19वे,20वे दिन श्मसान में सभी तरह के उपद्रव होते है।कपालिनी साधक के चारो तरफ बहुत तीव्र हवा के झोंके की तरह घूमती है और अपना भोग गृहण करती है।अंतिम दिन कपालिनी काली जाग जाती है और श्मसान की भूमि उखड़नी शुरू ही जाती है,जब यह सामने आती है उससे पहले भयंकर रूप में दुर्गा देवी,काली देवी का अनेक भुजाओं के साथ दर्शन देती है ,साधक को भयभीत करती है,यदि साधक इनसे नही डरा तो अंत मे एक हाथ मे त्रिशूल डमरू लिये हुई,नाक चपटी 2 दांत निकले हुय बाहर को,मुहँ से रक्त बहता हुआ,ऐसे साधक को दर्शन देकर वचन करती है,और सिद्ध होती है।जब यह साधक के कार्य करती है तो एक फुटबॉल की तरह खोपड़ी रूप में करती है।यह साधक के सभी कार्य करती है ।
साधको को एक बात और यहाँ बता देता हूँ यह काली कपालिनी देवी की सिद्धि है न कि किसी कपाल या कपाली की।।
फ़ोटो में साधक काली कपालिनी का चेहरा देख सकते है।
यह ब्रह्मांड के किसी भी जगह की खबर साधक को बता देती है।
गुरुदेव अशोक कुमार चन्द्रा हरिद्वार उत्तराखण्ड भारत
हेल्पलाइन 00917669101100
00918868035065
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शैतान वशीकरण साधना-यह साधना बहुत ही प्राचीन विद्या है, इस साधना के अंतर्गत साधक या साधिका को एक शक्तिशाली शैतानी जिन्नात सिद्ध होता है। इसक...