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Sunday, May 12, 2024
Sunday, January 21, 2024
ALL BLACK MAGIC SOLUTION
1- BLACK MAGIC FOOD SOLUTION
2- BLACK MAGIC WATER SOLUTION
3- BLACK MAGIC SWEETS SOLUTION
4- BLACK MAGIC DRINK,ALCOHAL SOLUTION
5- BLACK MAGIC NONVEG SOLUTION
6- BLACK MAGIC CIGRET SOLUTION
7- BLACK MAGIC SMOKE SOLUTION
8- BLACK MAGIC PERFUME,CENT ETC SOLUTION
9- BLACK MAGIC FOOTPRINTS SOLUTION
10- BLACK MAGIC CLOTHES SOLUTION
11- BLACK MAGIC HAIR SOLUTION
12- BLACK MAGIC NAIL SOLUTION
13- BLACK MAGIC URINE SOLUTION
14- BLACK MAGIC TOILET 🚽 SOLUTION
15- BLACK MAGIC COLOR SOLUTION
16- BLACK MAGIC ASE SOLUTION
17- BLACK MAGIC PHOTO SOLUTION
18- BLACK MAGIC DOLL SOLUTION
19- BLACK MAGIC HANDKERCHIEF SOLUTION
20- BLACK MAGIC MONEY SOLUTION
21- BLACK MAGIC HOME SOLUTION
22- BLACK MAGIC VEHICLE SOLUTION
23- BLACK MAGIC TRAVELLING SOLUTION
24- BLACK MAGIC WATCH SOLUTION
25- BLACK MAGIC BEDROOM SOLUTION
26- BLACK MAGIC DREAM SOLUTION
27- BLACK MAGIC 👁️ EYE SOLUTION
28- BLACK MAGIC ALL CHAKRAS SOLUTION
29- BLACK MAGIC GHOST SOLUTION
30- BLACK MAGIC EVIL SPIRITS SOLUTION
31- BLACK MAGIC DNA 🧬 CODING SOLUTION
32- BLACK MAGIC HEART 💞 BEAT PROBLEM SOLUTION
33- BLACK MAGIC BLOOD PRESSURE SOLUTION
34- BLACK MAGIC ENEMIES SOLUTION
35- BLACK MAGIC JOB SOLUTION
36- BLACK MAGIC BRAIN 🧠 PROBLEM SOLUTION
37- BLACK MAGIC LUNGS 🫁 PROBLEM SOLUTION
38- BLACK MAGIC ALL 🩻 BONES REMOVING NEGATIVE ENERGY SOLUTION
39- BLACK MAGIC ALL BLOOD REMOVING NEGATIVE ENERGY SOLUTION
40- BLACK MAGIC SEX IN DREAM SOLUTION
41- BLACK MAGIC SKIN EACHING PROBLEM SOLUTION
42- BLACK MAGIC STOMACH PROBLEM SOLUTION
43- BLACK MAGIC KABRISTAN SOLUTION
44- BLACK MAGIC GRAVIYARD SOLUTION
45- BLACK MAGIC SHAMSHAAN GHAAT SOLUTION
46- BLACK MAGIC GIRLFRIEND PROBLEM SOLUTION
47- BLACK MAGIC BOY FRIEND PROBLEM SOLUTION
48- BLACK MAGIC WIFE LOVE PROBLEM SOLUTION
49- BLACK MAGIC HUSBAND LOVE PROBLEM SOLUTION
50- BLACK MAGIC SOLUTION OF PAST BORN PROBLEM IN PRESENT BORN
51- BLACK MAGIC FROM RIVER SOLUTION
52- BLACK MAGIC FROM UNLIMITED WATER FLOW FLOOD IN DREAM SOLUTION
53- BLACK MAGIC OF INDIAN SOLUTION
54- BLACK MAGIC OF EGYPT SOLUTION
55- BLACK MAGIC OF NORTH AMERICA SOLOTION
56- BLACK MAGIC OF SOUTH AMERICA SOLUTION
57- BLACK MAGIC OF AFRICA SOLUTION
58- BLACK MAGIC OF EUROPE PROBLEM SOLUTION
59- BLACK MAGIC OF ASIA PROBLEM SOLUTION
60- BLACK MAGIC OF GREENLAND PROBLEM SOLUTION
61- BLACK MAGIC OF AUSTRALIA PROBLEM SOLUTION
62- BLACK MAGIC OF ANTARCTICA PROBLEM SOLUTION
63- BLACK MAGIC OF UNKNOWN ENERGY PROBLEM SOLUTION
64- BLACK MAGIC OF ILLUMINATI PROBLEM SOLUTION
65- BLACK MAGIC OF VOO DO PROBLEM SOLUTION
66- BLACK MAGIC NIGHT PROBLEM SOLUTION
67- BLACK MAGIC DAY PROBLEM SOLUTION
68- BLACK MAGIC NIGHT DAY PROBLEM SOLUTION
69- BLACK MAGIC EVENING PROBLEM SOLUTION
70- BLACK MAGIC BATHING PROBLEM SOLUTION
71- BLACK MAGIC EATING FOOD PROBLEM SOLUTION
72- BLACK MAGIC BREATHING PROBLEM SOLUTION
73- BLACK MAGIC WALKING PROBLEM SOLUTION
74- BLACK MAGIC PERALYSIS PROBLEM SOLUTION
75- BLACK MAGIC CORONA VIRUS PROBLEM SOLUTION
76- BLACK MAGIC HAUNTED FLATS PROBLEM SOLUTION
77- BLACK MAGIC HAUNTED BUILDING PROBLEM SOLUTION
78- BLACK MAGIC HAUNTED HOUSE PROBLEM SOLUTION
79- BLACK MAGIC HAUNTED GHOST,EVILS PLACE PROBLEM SOLUTION
80- BLACK MAGIC RACE COARSE NUMBER PROBLEM SOLUTION
81- BLACK MAGIC LOTTARY NUMBER PROBLEM SOLUTION
82- BLACK MAGIC JACKPOT NUMBER PROBLEM SOLUTION
83- BLACK MAGIC LEARNING CLASS 1 MONTH
84- BLACK MAGIC LEARNING CLASS 2 MONTH
85- BLACK MAGIC LEARNING CLASS 3 MONTH
86- BLACK MAGIC LEARNING CLASS 6 MONTH
87- BLACK MAGIC MEDICAL REPORT NORMAL BUT FEEL PROBLEM CONTINUE IN BODY ,SOLUTION
88- BLACK MAGIC ALL CHAKRAS CLEANING FROM NEGATIVE ENERGY PROBLEM SOLUTION
89- BLACK MAGIC MALE TO CONTROL HIS ALL VIEWS
90- BLACK MAGIC FEMALE TO CONTROL ALL HER VIEWS
91- BLACK MAGIC TO COME BACK OLD LOVE
92- BLACK MAGIC TREATMENTS FOR ANIMALS TO GET GOOD HEALTH
93- BLACK MAGIC SUGAR PROBLEM SOLUTION
94- BLACK MAGIC CENSAR PROBLEM SOLUTION
95- BLACK MAGIC IN STOMACK PROBLEM SOLUTIOM
96- BLACK MAGICS SUPER HEALINGS
97- BLACK MAGIC EGG CREATOR WORM TO CONTROL GIRLS AND BOYS LOVE
98- BLACK MAGIC FOR SEXUAL RELATIONSHIP
99- BLACK MAGIC FOR RETURN YOUR LOVE
100- BLACK MAGIC FAMILY PROBLEMS SOLUTION
102- BLACK MAGIC SEX PROBLEM SOLUTION
103- BLACK MAGIC HUNGRY BLOCK PROBLEM SOLUTION
104- BLACK MAGIC RECOVERY FROM COMA SOLUTION
105- BLACK MAGIC PROBLEM SOLUTION
106- BLACK MAGIC MISBEHAVE EVERYONE FOR US PROBLEM SOLUTION
107- BLACK MAGIC ALL BODY PAIN SOLUTION
108- BLACK MAGIC STOP VOICE IN DREAM NO MOVEMENT OF BODY PROBLEMS SOLUTION
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Monday, January 2, 2023
आंजनेयास्त्र साधना
यह एक प्रबल अस्त्र है, इसके माध्यम से किसी भी ग्राम, किसी भी शहर किसी भी राज्य, किसी भी देश अथवा किसी भी महाद्वीप में निवास करने वाले प्राणी मात्र को हिंसक प्रवृत्ति में परिवर्तित किया जा सकता है जिसके परिणाम स्वरूप वह स्थान आपसी कलह के कारण तबाह हो जाते हैं। इसका प्रयोग शत्रु देशों के विनाश में बहुत लाभकारी होता है, इस अस्त्र की लंबाई मांत्रिक प्रयोगों में बारह हाथ बताई गई है।
इस अस्त्र को प्रयोग करने के लिए मंत्र के ऋषि कालरूद्र है और देवता श्री हनुमान जी हैं।
यह पूर्ण रूप से गायत्री छंद है, शत्रु पक्ष पर जब इसका प्रयोग किया जाता है तो यह अस्त्र शत्रु के शरीर का भेदन करता है और धीरे-धीरे सूक्ष्म रूप में आकार लेने लगता है और लगभग 6 अंगुल की आकृति में शरीर से निकलकर पुनः देवता हनुमान जी के हाथों में पहुंच जाता है और अदृश्य हो जाता है यह पूर्ण प्रक्रिया इस अस्त्र को चलाने की होती है।
अंजनी अस्त्र को सिद्ध करने की साधना लगभग 2 महीने की होती है, साधना काल में मंत्र जाप और हवन दोनों होता है, सिद्ध होने के पश्चात इस अस्त्र का प्रयोग साधक अपनी शक्ति का परीक्षण करने के लिए कर सकता है जिस स्थान पर यह प्रयोग किया जाता है, वह स्थान सुनसान हो जाता है, निर्जन हो जाता है, वीराना हो जाता है, वहां की आबादी लगभग 6 माह में आपसी कलह के कारण नष्ट हो जाती है।
इस अस्त्र का प्रयोग उच्चाटन के लिए भी किया जाता है और आपसी कलह उत्पन्न करने के लिए भी का किया जाता है और शत्रु के समुदाय में आपसी कलह,शत्रुता उत्पन्न करने के लिए भी किया जाता है।
तंत्र शास्त्र में इसको अनेक तरीके से प्रयोग किए जाने की विधियों का वर्णन मिलता है।
यह साधना ग्रहण काल की मध्य रात्रि से की जाती है, इस साधना में दिशा उत्तर होती है, साधना का समय मध्य रात्रि होता है।
इस साधना में हनुमान जी का पूजन होता है और इसके साथ ही माता अंजनी का पूजन भी किया जाता है और इसके साथ ही वायु देव का पूजन भी किया जाता है क्योंकि इस अस्त्र का प्रभाव वायु देव के द्वारा ही निर्धारित किए गए स्थान अथवा लक्ष्य के अंदर वायु मार्ग से अस्त्र की ऊर्जा को प्रवाहित हनुमान जी की शक्ति के द्वारा किया जाता है और जब तक यह अस्त्र अपना लक्ष्य पूर्ण नहीं कर लेता है तब तक वायु के माध्यम से यह ऊर्जा उस स्थान पर विचरण करती है।
इस साधना में पंचोपचार पूजन किया जाता है, शरीर शुद्धीकरण सामग्री शुद्धिकरण, वास्तु दोष पूजन, गुरु पूजन साधना संकल्प लेकर ही साधना का श्रीगणेश किया जाता है और साधना के अंतिम दिन तक साधक को ब्रह्मचर्य से रहना होता है और पूर्ण साधना सिद्ध होने के पश्चात साधक अस्त्र प्रयोग करने योग्य हो जाता है, साधना में प्रतिदिन फल- फूलों की माला मिठाई सुगंधित धूपबत्ती इत्र का उपयोग किया जाता है।
,मंत्र =ॐ ह्रीम क्लीं ऐं सोउम् ग्लौम शोष्य यम ग्रास स्फुर प्रस्फुर सर्वनाश्य स्वाहा स्वाहा।
यह साधना 6 माह में पूर्ण सिद्ध होती है,साधना को एकांत में सिद्ध किया जाता है।।यहां सिर्फ आंजनेयास्त्र की जानकारी दी गई है कि यह अस्त्र का प्रयोग कैसे किया जाता है।।
तांत्रिक अशोक कुमार चंद्रा
हरिद्वार उत्तराखंड भारत
किसी भी समस्या के समाधान के लिए ऑनलाइन माध्यम से संपर्क कर सकते है।।
हेल्पलाइन 00917669101100
00919997107192
00918868035065
Wednesday, January 5, 2022
SORCERESS HOW TO TALK
जादूगरनी साधना -
यह साधना अपने आप में एक बहुत शक्तिशाली साधना है
यह साधना अधिकतर विदेशों में प्रयोग की जाती है ।
हमारे देश भारत में इसको बहुत ही कम लोग जानते हैं ।
विदेशी तंत्रों में अधिकतर जादूगरनियां हुआ करती हैं और उनके साथ जादूगर भी होते हैं जिसे जोकर भी कहा जाता है।
विदेशों में इनको सिद्ध करने के अलग-अलग मंत्र होते हैं और यह हर कार्य को सिद्ध करके देते हैं जितना तीव्रता के साथ काम करना होता है उतनी तीव्रता के साथ इनको इनका भोग दिया जाता है और कार्य तुरंत होता है ।यह भोग श्मशान घाट में कब्रिस्तान में या ग्रेव्यार्ड में दिया जाता है ।
शमशान से जादूगरनी सिद्ध करनी है तो कर सकते हैं
कब्रिस्तान से जादूगरनी सिद्ध करनी है तो कर सकते हैं और ग्रेव्यार्ड से जादूगरनी सिद्ध करनी है तो कर सकते हैं जादूगरनी का स्वरूप मंत्र के अनुसार हिंदू मुस्लिम ईसाई धर्म में अलग अलग होता है जादूगरनी एक शक्तिशाली आत्मा होती है जो प्रबल वशीकरण सम्मोहन और हर कार्य अपने साधक की इच्छा अनुसार उसके अनुकूल कर देती है किंतु यह कार्य तभी करती है जब चारों तरफ से कोई रास्ता नहीं बचता है और बिल्कुल आखिरी समय में यह जादूगरनी काम करती हैं। असंभव कार्य को संभव करना जादूगरनी के बाएं हाथ का खेल है और जादूगरनी को सिद्ध करने वाले साधक चाहे तो इसको अपने घर में रहकर भी सिद्ध कर सकते हैं और चाहे तो घर से बाहर शमशान कब्रिस्तान या ग्रेव्यार्ड में जाकर सिद्ध कर सकते हैं साधना में ब्रह्मचर्य का पालन करना जरूरी नहीं होता इस साधना में सभी तरीके से साधक को अपवित्र रूप में रहकर सिद्धि करनी होती है
यहां पर आपको काले इलम की जादूगरनी का सिद्धि विधान बताया जाएगा इसको बंगाल की जादूगरनी भी कहा जाता है।
हमारे भारतीय तंत्र में जादू करने की जो आत्मा होती है इनको तामसिक चंडी के रूप में प्रस्तुत किया गया है जो किसी भी कार्य को पलक झपकते सिद्ध कर देती हैं।
जादूगरनी का स्वरूप एक बूढ़ी स्त्री की तरह होता है जो कमर झुकाकर चलती है और इसके दाहिने हाथ में एक त्रिशूल होता है छोटा सा।
इस जादूगरनी के साथ खूब सारी आत्माएं होती हैं जो अच्छे कार्य और बुरे कार्य दोनों करते हैं कुल मिलाकर कहा जाए तो इस जादूगरनी के साथ एक बहुत बड़ा अखाड़ा होता है जिसमें सभी तरह की प्रेत पिशाच आदि आत्माएं शामिल होती हैं जो साधक सिद्ध कर लेता है उस साधक के आगे भविष्य में कभी भी कोई ऐसा कार्य आ जाता है जो जायज है और असंभव भी है तब साधक अपने गंतव्य स्थान पर सांयकाल पहुंचकर वहां जादूगरनी का भोग लगा कर प्रार्थना करता है कि इस कार्य को करना है और कौन सी ऐसी शक्तिशाली आत्मा है देवी अखाड़े में है जो इसको कर सकती है ।
कृपया आए और अपना भोग बताएं और इस कार्य को करके अपना भोग ले जाए फिर उस शमशान से उस कब्रिस्तान से उस ग्रेव्यार्ड से शक्तिशाली आत्मा प्रकट होती है और साधक को दर्शन देकर उस कार्य को करके दिखाती है और करने से पहले अपना भोग साधक को बताती है उसको भोग में क्या चाहिए।
साधक उस बात पर सहमत हो जाता है और कार्य सिद्ध होने के बाद उस कार्य को करने का वचन देता है ।
साधक का कार्य तुरंत हो जाता है कार्य चाहे देश का हो या विदेश का सिद्ध होता है।
दूसरी तरफ इस जादूगरनी को सिद्ध करते समय साधक को 11 दिन का समय लगता है इन 11 दिन में साधक को मंत्र जाप करते टाइम खड़े रहना होता है ।
साधक की आंखें बंद होनी चाहिए साधक को डरना नहीं चाहिए क्योंकि सिद्धि के समय श्मशान में सबसे पहले चुड़ेले आकर साधक के आसपास घूमती हैं कुछ शादीशुदा दुल्हन के जोड़े में होती हैं कुछ ग्रामीण स्त्रियों के लिबास में होती हैं कभी-कभी शमशान से मगरमच्छ दिखाई देते हैं कभी-कभी नर पिशाच उड़ते हुए दिखाई देते हैं कभी-कभी सांप आते हैं कभी-कभी खूब सारे पक्षी उड़ते हुए आते हैं कभी-कभी बिच्छू आते हैं कभी-कभी मधुमक्खियां आती हैं इसी तरह से अजीबोगरीब तरह के प्राणी छिपकली या कीड़े मकोड़े दुनिया भर के झाड़ियां सभी आती है और साधक के शरीर में प्रवेश करती जाती हैं ।
इन चीजों से साधक को डरना नहीं चाहिए और बिना सुरक्षा चक्र के यह सभी चीजों को अपने शरीर में प्रवेश कराते रहना चाहिए।
साधना के दौरान साधक के पास खूब सारी डाइनो का, चुड़ैलों का दर्शन होता है और साधक को चाहिए कि उनसे मानसिक रूप से बात ना करें अपना मंत्र जाप करता रहे और साधना के आखिरी दिन में जो शक्ति सामने आती है उस से वचन ले ले इसमें दो कंडीशन होती हैं एक कंडीशन में जादूगरनी नहीं आती है या तो साधक से स्वयं विवाह करती है दूसरी कंडीशन ये होती है अपने अखाड़े की सबसे सुंदर चुड़ैल को, डायन को साधक के साथ विवाह करा देती है और हमेशा साधक की सुरक्षा करती है पूरे का पूरा अखाड़ा जादूगरनी का साधक के आंतो से जुड़ा होता है।
इन सभी शक्तियों का वास साधक के पेट में होता है और साधक के पेट में अजीबोगरीब आवाज आने लगती हैं ।
सिद्धि के टाइम साधक के बाए हाथ में एक जादूगरनी कुछ उर्दू में भाषा में लिखा हुआ एक किताब देती है जिससे साधक के अंदर शक्ति प्रवेश कर जाती है और यह घटना लगभग 5वे दिन होती है और 11वे दिन साधक के वचन हो जाते हैं जिसमें त्रिशूल लिए हुए एक बूढ़ी स्त्री सामने आती है जिसे जादूगरनी भी कहा जाता है इसके द्वारा साधक के वचन होते हैं और इसके साथ पूरा का पूरा अखाड़ा होता है। इस के अखाड़े में कितनी संख्या में आत्माएं होती है कुछ नहीं कहा जा सकता उनकी कोई गिनती नहीं होती है ।
साधक को घबराना नहीं चाहिए और सभी आत्माओं से साक्षात्कार करना चाहिए और इस कार्य में महारत हासिल करना चाहिए।
किसी भी शुक्रवार से साधना को शुरू किया जा सकता है किसी भी ग्रहण काल से शुरू किया जा सकता है या किसी भी अमावस्या से शुरू किया जा सकता है साधना शुरू करने के बाद इसे बीच में छोड़कर नहीं जाना चाहिए अन्यथा साधक को घातक हानि भी हो सकती है।
इस साधना में रुद्राक्ष की एक माला अनिवार्य है साधक के वस्त्र लाल रंग के हो तो काफी अच्छा है अन्यथा किसी भी तरह के वस्त्रों में साधना को कर सकते हैं दूसरी तरफ जादूगरनी के भोग में कुछ विशेष प्रकार के फूल कुछ विशेष प्रकार की सुगंध कुछ विशेष प्रकार के पदार्थ खाने वाले रखे जाते हैं इसमें पेय पदार्थ भी रखे जाते हैं इस को सिद्ध करने पर साधक साधक के चेहरे का रंग थोड़ा कालापन लिए हो जाता है जैसा मंत्र में कहा गया है उसी तरह से रंग हो जाता है चेहरे का यह सबसे बड़ा प्रतीक है कि आप ने जादूगरनी को सिद्ध कर लिया है इसके बाद जब भी साधक इस क्रिया को छोड़ना चाहे उसको अलग किया जा सकता है और साधक अपना रंग पहले जैसा चेहरे का प्राप्त कर सकता है यह एक तरह का जादू ही होता है इस सिद्धि को करने पर साधक का रंग बदल जाता है चेहरे का अतः जिनका रंग पहले से काला है या सावला है वह इसको कर सकते हैं उन पर इतना इसका प्रभाव नहीं दिखेगा किंतु जिन का रंग गोरा है साफ है वह इसको ना करें तो ही अच्छा है अन्यथा उनका रंग सांवला पड़ जाएगा कलर चेहरे का बदल जाएगा यह एक विशेषता है इस साधना की अब जादूगरनी की उत्पत्ति कैसे होती है इसको आप यहां बताया जाएगा जब कोई स्त्री शादीशुदा मर जाती है विवाह होने के 6 माह के अंदर तो इस तरह उसकी आत्मा जादूगरनी के रूप में बदल जाती है जो पूर्ण रूप से शक्तिशाली आत्मा होती है और उसके वश में लगभग लगभग पूरा शमशान होता है कब्रिस्तान होता है ग्रेव्यार्ड होता है।
साधना का मंत्र नीचे दिया जा रहा है और यह साधना का वर्णन सिर्फ जानकारी हेतु दिया गया है यह जादूगरनी प्रत्येक कार्य को सिद्ध करने में वशीकरण करने में विद्वेषण करने में बीमारी देने में प्रबल है।
मंत्र चंडी चंडी महापुर चंडी आठवां पहर फिरने नू खंडी, मैं हूं कौम बंगाला इलम का पर काला ।
जिसके पीछे लग जाए वह काम मेरे हाथ आए शब्द सांचा पिंड कांचा दिखाएं चंडी अपने गुरु के इलम का तमाशा।
इसको सम्मोहिनी जादूगरनी भी कहा जा सकता है यह सभी कार्य जब साधक सिद्ध करता है तो बंद आंखों में आज्ञा चक्र के माध्यम से साधक के साथ सभी घटनाएं घटित होती हैं और मानसिक रूप से साधक को आत्माओं से साक्षात्कार होता है जादूगरनी से साक्षात्कार होता है। इस मंत्र के द्वारा किसी को भी मिठाई मांस मदिरा मंत्र से अभिमंत्रित करके खिलाई जा सकती है और मनचाहा कार्य सिद्ध करवाया जा सकता है यह साधना पूर्ण सिद्ध और परीक्षित है।
कृपया यह साधना सोच विचार कर ही करें यदि आप यह साधना करते हैं और आपको कोई भी अनुभव नहीं होता है तो भी आपको यह मंत्र सिद्ध होता है क्योंकि आपका जो चेहरा का रंग है वह धीरे-धीरे काला पड़ जाएगा किंतु आप का यदि साक्षात्कार नहीं हुआ तो कहीं ना कहीं कुछ ना कुछ कमी रह जाती है इसलिए इस मंत्र का बिना किसी उद्देश्य के उपयोग ना करें और बिना गुरु के यह साधना ना करें।
गुरुदेव अशोक कुमार चंद्रा
Helpline 00917669101100
00918868035065
00919997107192
Monday, January 3, 2022
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Tuesday, September 21, 2021
BLACK MAGIC TREATMENT
अफ्रीका की काली शक्तियां, यूरोप की काली शक्तियां ,
एशिया की काली शक्तियां, उत्तरी अमेरिका दक्षिण अमेरिका की काली शक्तियां ऑस्ट्रेलिया की काली शक्तियां अधिकतर इन जगहों पर जो सबसे ज्यादा तंत्र प्रयोग होता है उसमें ब्लैक मैजिक सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता है ब्लैक मैजिक का संबंध विशेषकर अफगानिस्तान पाकिस्तान अफ़्रीका कनाडा अमेरिका इंडिया ऑस्ट्रेलिया में अधिक होता है ।
जिन शक्तियों के माध्यम से स्त्री पुरुषों को परेशान कराया जाता है उनको बीमार किया जाता है उनके पेट फुलाये जाते हैं, विशेष प्रकार के इस काले जादू में जिन्नातो के कबीले मुख्य रूप से होते हैं अधिकतर तंत्र प्रयोग में काले जादू में 80% जिन्नओ के कबीले होते हैं जो मानव जाति को नुकसान पहुंचाते हैं इन को सिद्ध करने वाले तांत्रिक मनचाहा काम करते हैं और मनचाहा पैसा लेते हैं।
आज जिन्न साधनाओं का यहां पर वर्णन किया जा रहा है जिन्न को सिद्ध करके प्रत्यक्ष परिणाम भी देखे गए हैं उनको यहां बताया जा रहा है उनके विषय में उनके नामों के बारे में और उनको किस तरह से कार्य करवाया जाता है यही बताया गया है इनको सिद्ध करना सरल होता है लेकिन जो डरपोक नास्तिक लोग होते हैं उनको इस से दूर रहना चाहिए।
अफ्रीका यूरोप यह दो महाद्वीप ऐसे हैं जहां पर सबसे ज्यादा इन शक्तियों का प्रयोग किया जाता है जिन्नातो के लश्कर भेजे जाते हैं और टारगेट व्यक्ति या स्त्री को दंडित किया जाता है।
विदेश में रहने वाले विदेशी लोग हमसे संपर्क कर सकते हैं और ठीक हो सकते हैं अगर वह काले जादू के प्रभाव में हैं और दुनिया के किसी भी कोने में उनको इलाज नहीं मिल पाया है उनका इलाज हमारे द्वारा किया जाएगा।हमारे यहां ठीक होने के
जो विदेशी लोग इस तरह की साधना सीखना चाहते हैं जिन्नो के लश्कर सिद्ध करना,
कबिलों को सिद्ध करना ,
सिफली इल्म को सिद्ध करना उनको ऑनलाइन माध्यम से सिखाया जा सकता है।
यहां नीचे कुछ जिन्नो के नाम, परियों के नाम, मुवक्किल के नाम दिए गए हैं और उनके कुछ कार्यों का संक्षेप में वर्णन किया गया है --
1- ओनलमती साधना -यह एक शक्तिशाली जिन्न है, जो सिद्ध होने पर साधक के सभी कार्यकर्ता है यहां तक की खाने पीने की चीजें भी हाजिर करता है।
2-ओनुल मईन साधना- यह भी एक शक्तिशाली जिन्न है जो सिद्ध होने पर साधक के कार्य सिद्ध करता है।
3-शमतून शैतानी गुलाम साधना -यह अफ्रीका का सबसे शक्तिशाली शैतानी गुलाम है यह काले जादू में प्रयोग किया जाता है इसके सिद्ध होने पर किसी भी व्यक्ति के शरीर में किसी भी तरह की बीमारी पैदा करवाई जा सकती है।
4-मलिका हिमामत बिंत मलिक दाग़र साधना - इस को सिद्ध करने पर यह सपने के माध्यम से साधक से संपर्क करती है और पत्नी के रूप में रहती है यह जिन्नो के कबीले की मलिका होती है।
5-मलिका इसतखदाम बनातुल खन्नास साधना -यह खन्नास नामक जाति के जिन्न की बेटियां होती है। सभी साधक से शादियां करना चाहती हैं किंतु सादर को किसी एक से विवाह करना चाहिए जो सिद्ध होने पर साधक के समस्त कार्यों को पूर्ण करती है।
6-तसखीर जारियते जाफरान साधना -यह जिन्नातों की एक जाति होती है जिसमें खूबसूरत जिन्नी होती हैं। साधक को सिद्ध होने के बाद पत्नी रूप में रहकर साधक के सभी काम सिद्ध करती हैं। साधक को चाहिए की इस कबीले कि कई जिन्नियो में से किसी एक से निकाह करें।
7-तसखीर मलिका ऐना साधना -इस क्रिया में मलिका ऐना नाम की जिन्नी साधक के सपने में आकर उसे वचन करती है और निकाह करती है ।
यदि साधक चाहे तो निकाल नहीं भी कर सकता।
8-इस त खदाम मरजाना बिंतुल अमीर खन्दश साधना -इस को सिद्ध करने पर यह खादिमा साधक को एक अंगूठी देती है और उसकी बेगम बनकर रहती है जो भी काम साधक बोलता है उसको तुरंत सिद्ध कर देती है।
9-इसतखदाम हितुसुल अफ्रीयत साधना-यह शक्तिशाली जिन्न होता है इस को सिद्ध करने के बाद साधक बड़े से बड़ा काम करवा सकता है!
10-इसत खदाम मेमुनल तराबी साधना-यह एक शक्तिशाली जिन्न है,जो दुनिया भर के काम सिद्ध करता है।
11-मेमूनल खताब साधना -यह एक शक्तिशाली जिन्न है, जो साधक को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचा सकता है, मिट्टी के टीले को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित कर सकता है , इसके माध्यम से तांत्रिक लोग आत्मा रूपी शक्ति के रूप में किसी भी पुरुष या स्त्री के पास जाकर अपनी मनमर्जी के मुताबिक अच्छा बुरा व्यवहार कर सकते हैं।
12-मेमूनल सहाबी साधना-यह भी एक शक्तिशाली जिन्न है जो सिद्ध होने पर साधक के सभी कार्य संपन्न करता है।
13-लेमून अबू नूख साधना -यह जिन्नातों के लश्कर ओं का मालिक होता है इसके कब्जे में 100 से ज्यादा जिन्नातों के लश्कर होते हैं, यह सभी लश्करो के जिन्नात जंगली पशुओं के रूप में रहते हैं और इसके अधीन होते हैं इस को सिद्ध करने के बाद साधक हजारों जिन्नातो का मालिक हो जाता है।
14- खादिम असवद साधना-यह एक शक्तिशाली जिन्न है, यह स्त्रियों का वशीकरण करने में प्रयोग किया जाता है। लोगों में लड़ाई कराई जा सकती है इसके द्वारा, और भी अलग-अलग तरह के प्रेम संबंधी कार्यों में कार्य सिद्ध कराए जाते है।
15- अबू याकूब का ब्यान साधना -यह भी एक शक्तिशाली जिन्न है , जब यह सिद्ध होता है तो एक खच्चरी पर बैठकर आता है । सिद्ध होने पर साधक अच्छे बुरे सभी कार्य इसके द्वारा करवा सकता है।
16- खादिमुल अजीब साधना -एक शक्तिशाली जिन्नात है यह मेंढक की शक्ल में सिद्ध होता है। सिद्ध होने पर साधक इसके द्वारा सभी गंदे काम करवा सकता है ।
यह जिन्न हमेशा गंदे काम करता है और नेकी का एक भी काम नहीं करता।
17-अबू नूह साधना -यह एक शक्तिशाली सफेद रंग का जिन्नात होता है इस को सिद्ध करने पर यह साधक के सामने तलवार एक हाथ में लेकर हाजिर होता है।
गोरे रंग की स्त्रियों को साधक की ओर रागीब (संभोग के लिए आकर्षित करना) करता है और साधक का मनचाहा काम सिद्ध करवाता है।
18-काजी उल जिन्नात की तस्खीर साधना -यह जिन्ना तो का काजी होता है। इस को सिद्ध करने पर यह साधक के सभी कार्य पूर्ण करता है।
19- खादिम ब शक्ले सग साधना -यह जिन्नात बहुत ज्यादा बीमारियां पैदा करने के काम में आता है इस को सिद्ध करने के बाद साधक किसी भी स्त्री या पुरुष के शरीर में बीमारियां पैदा करवा सकता है जैसे खून निकलना, पेट फूलना गला फूलना, शरीर के सभी अंगों में दर्द होना, शुगर का बढ़ जाना, किडनी फेल होना,
दिल में दर्द होना,
चेहरे को बदसूरत करना चेहरे पर रीछ के जैसे दाढ़ी मूछ उगाना (स्त्री पुरुषों दोनों के)।
20-खिदमत बरकानुल अफ्रियत गुलाम साधना -यह अफ़्रीका के काले जादू का बेताज बादशाह गुलाम है जब साधक इसको सिद्ध करता है तो यह एक बार एक सांप के रूप में आता है उसके बाद यह पूर्ण रूप से काले रंग का गुलाम होता है इसके द्वारा सभी तरह के कार्य सिद्ध कराए जाते हैं।
21-इस्तेहजार केह लता बिंत बुरकान साधना -यह बरकानूल अफ्रीयत की बेटी का नाम है जो सिद्ध होने पर साधक के सभी कार्य पूर्ण करती है इसके बालों का रंग सुनहरा होता है।निकाह करके साथ रहती है।
22-तसखीर मलिक अहमर साधना -यह एक शक्तिशाली जिन्नात है यह लाल रंग के घोड़े पर अपने लश्कर के साथ आता है। यह साधक के सभी काम करता है ।
अच्छे बुरे दोनों काम शामिल होते हैं।
23-तस्खीर मलिक अबीज साधना -इस साधना में साधक के सामने एक लश्कर आता है। लश्कर का सिपाहसालार साधक के सभी काम करता है।
24-मरातुल अबीज़ साधना -यह एक सिफली इल्म का मवक्किल है, इस को सिद्ध करने के बाद साधक सभी कार्य करवा सकता है।
25-शमसुल करा मीद बिंते मलिक अबीज साधना -यह मलूक ए सब की बेटियों में से एक जिनी औरत है जो सिद्ध होने पर साधक की बीवी बनकर रहती है और साधक के सभी काम करती है।
26-मलिका गंदूर साधना -यह मलिका गंदूर जब साधक सिद्ध करता है तो यह चांद से निकलकर बाहर आती है और साधक के साथ प्रेमिका के रूप में रहती है और साधक के सभी कार्य सिद्ध करती है। साधक चाहे तो इसको अपनी पत्नी के रूप में भी रख सकता है । यह भी एक तरह की जिन्नी औरत होती है।
27-अबू अब्दुल्लाह साधना -यह भी एक शक्तिशाली जिन्न है जो सिद्ध होने पर साधक के सभी कार्य संपन्न करता है।
28- तसखीर ए हाजिरी लूना चमारी साधना -यह वशीकरण की देवी है जो साधक को सिद्ध होने पर किसी भी तरह के स्त्री-पुरुष को वश में कर सकती है।
29- गुलाबो देवी साधना -यह एक जिन्नी औरत होती है जिसका नाम गुलाब देवी होता है इस को सिद्ध करने पर साधक कोई भी काम वशीकरण के करवा सकते हैं।
30-तख्त हजरत सुलेमान अले हिस्सलाम साधना -यह साधना दरिया के किनारे की जाती है जहां पर मंत्र का जिन्नात हाजिर होता है और साधक के सभी कार्य करता है।
31-तसखीर ए जमीला परी साधना -यह परी परियों की शहजादी है सिद्ध होने पर साधक के सभी काम करती है साधक के साथ विवाह करती है और साधक की गुलाम बनकर रहती है
32- तसखीर ए लक्ष्मी देवी साधना -यह देवी साधक के सामने सोलह श्रृंगार में आकर सिद्ध होती हैं।
सिद्धि करने वाले साधक के यहां कभी भी धन की कमी नहीं होती।
33- तसखीर ए हाजिरी हनुमान साधना -इस साधना में साधक को हनुमान वीर सिद्ध होते हैं, जिसके द्वारा साधक अपने सभी काम करवाते हैं।
34-तसखीर ए नाहर सिंह वीर साधना -इस वीर को सिद्ध करने पर यह साधक के लिए वशीकरण के सभी काम करते हैं इनका विशेष काम स्त्रियों को वश में करना होता है।
35- तसखीर ए मंगला चमारी साधना -यह साधना बड़ी तीव्र है इसके द्वारा साधक किसी को भी सजा दे सकता है ।
अपना मनचाहा काम सिद्ध करवा सकता है।
36- मसानी सिफली साधना -यह साधना श्मशान में की जाती है इसके द्वारा मसानी सिद्ध होती है जो शमशान की सबसे शक्तिशाली रूहों में से एक है।
37-नरसिंह सिफ़ली साधना -इस को सिद्ध करने के बाद साधक अपना मनचाहा कार्य करवा सकता है।
38-गोरी सिफली साधना -यह साधना सिद्ध होने पर मंत्र की देवी साधक के सभी काम सिद्ध करती हैं।
39-कपालती देवी सिफली साधना -यह साधना कब्रिस्तान में की जाती है। इसको चीज दिखाई दे पैसा दे अपने समस्त काम सिद्ध करवा सकता है
40-देवी सिफली साधना -यह साधना काले कुत्ते की खाल पर बैठकर की जाती है , इसके सिद्ध होने पर साधक बड़े सा बड़ा काम कर सकता है।
41- काली देवी सिफली साधना -यह साधना श्मशान में सिद्ध की जाती है, इस को सिद्ध करने के पश्चात साधक अच्छे बुरे सभी तरह के कर्म कर सकता है।
42-धूदहा सिफली इलम साधना -यह साधना बड़ी विचित्र होती है , इस इलम को सिद्ध करने के बाद साधक को आधा गधा आधा इंसान के जैसे शरीर वाला शक्तिशाली जिन्नात सिद्ध होता है। इसके द्वारा साधक अपना मनचाहा काम सिद्ध करवा सकते हैं।
43-हाजिरी भैरों साधना -इसमें भैरव बाबा को सिद्ध करके साधक अपना मनचाहा काम करवा सकता है।
44- शह जादा जल जल मेस सिफ्ली इल्म साधना -यह साधना बड़ी विचित्र होती है इसके माध्यम से बड़े से बड़ा कार्य संपन्न कराया जाता है इसमें एक शक्तिशाली जिन्नात हाजिर होता है।
45- तसखीरे चण्डी सिफली साधना -यह साधना बहुत प्रबल होती है इसमें वशीकरण मोहिनी चंडी देवी को सिद्ध किया जाता है जिनके माध्यम से बड़े से बड़ा वशीकरण कार्य भी कराया जा सकता है।
46-तसखीरे झली सिफली साधना -यह सिफली इल्म की ही एक बदरूह होती है जिस को सिद्ध करने के बाद सभी तरह के गंदे काम करवाए जाते हैं ।
47-दौली शहजादी साधना -यह जिन्नातों के कबीले की शहजादी होती है इस को सिद्ध करने पर यह साधक के साथ विवाह करके रहती है और साधक के सभी काम पूरे करती है।
48-तसखीरे चौराहिया मसान साधना -यह मसान चौराहे पर जाकर सिद्ध किया जाता है इस को सिद्ध करने पर यह साधक के सभी अच्छे बुरे काम करता है।
49-अमल संदूनी सिफली साधना -यह जिन्नातों की एक जाती है जिसमें खूबसूरत जिन्निया होती हैं इन को सिद्ध करने पर यह बीवी के रूप में रहती हैं और साधक के हर कार्य को पूरा करती हैं।
50-तसखीरे इबलीस साधना -यह एक शैतानी आत्मा है इस को सिद्ध करने पर यह सभी गंदे काम करती है।
51- मलिक तुल जमाल साधना -यह मल्लिका 700 बादशाहो पर हुकूमत करती है और भी एक बादशाह 700 कबीलो का राजा होता है। यह सिद्ध करने पर साधक को पत्नी रूप में आती है साधक के अधीन जिन्नात ओके सैकड़ों कबीले होते हैं जिससे साधक जैसा मनचाहा काम ले सकता है।
52-तसखीरे जिन्नात साधना -इस साधना में एक जिन्नात और एक जिन्नात नी हाजिर होती है यह दोनों बिना सिर के होते हैं। इनको सिद्ध करने के बाद साधक सभी कार्य करवा सकते हैं।
53-शाही जिन्नात साधना -इस को सिद्ध करने पर साधक को एक शाही जिन्नात प्राप्त होता है जिसके द्वारा साधक मनचाहे काम करवा सकता है।
54-बादशाह जिन्नात की तस्खीर साधना -इस साधना में साधक को जिन्नात का बादशाह और उसका पूरा लश्कर सिद्ध होता है जिसके माध्यम से साधक कोई भी काम करवा सकता है।
55-तसखीर मोअक्किल साधना -इस साधना में एक मुवक्किल सिद्ध होता है जिसके द्वारा साधक कार्य सिद्ध करवाते हैं।
56-खिदमतुल्लाजिन्न साधना -इसमें साधु को एक जिन्न प्राप्त होता है जिसके द्वारा साधक अच्छे बुरे सभी कर्म करवा सकता है।
57-हाजिरात मलिका परिस्तान साधना -इस साधना में साधक परिस्तान की मल्लिका को सिद्ध करता है जिसके द्वारा लाजवंती के पौधे के माध्यम से हाजी राज करके किसी भी समस्या का समाधान प्राप्त किया जा सकता है।
58-बादशाह अमल हाजिरात साधना -इस साधना में जिन्नो का बादशाह सिद्ध होता है जो हाजी रात करके समस्या का समाधान करता है।
59-हाजिरात सुरह कोसर साधना -यह भी एक तरह का जिन्न् होता है जिसके माध्यम से 24:00 करके कार्य करवाए जा सकते हैं।
60-तसखीर शैतान साधना -यह साधना कब्रिस्तान में की जाती है तब कब्रिस्तान का शैतान हाजिर होता है उसको सिद्ध करके वचन लेकर साधक मनचाहे काम करवा सकता है।
61-हाजिरात शैतानी साधना -इसमें भी एक शैतानी आत्मा से होती है जिसके माध्यम से हाजी रात करके अच्छे बुरे सभी कामों का पता निकाला जा सकता है।
62- खिदमत शैतानी बेटियों की साधना -शैतान की बेटियों को सिद्ध करने के लिए साधक को बंद कमरा आवश्यक है सिद्ध होने पर किसी एक से निकाह कबूल करना चाहिए यह साधक के सभी काम करती हैं।
63-हाजिरात कमर साधना -इस साधना में चांद को पानी में उतार कर उस पर हाजरात करके अपने मनचाहे काम पूरे कराए जाते हैं।
64-बौना साधना -यह बोना तस्खीर का सिफली इल्म है इसके माध्यम से मनचाहे काम करवाए जा सकते हैं।
65- तसखीर देवी साधना -इस देवी को सिद्ध करने पर यह देवी वशीकरण के सभी काम करती है, इसको सिफली मोहिनी इलम के नाम से भी जाना जाता है।
66-कूड़ा कलंदर सिफली इलम साधना -यह एक बहुत गंदी ब द रूह है जो स्त्री पुरुष के शरीर में गंदगी पैदा कर देती हैं जैसे पेशाब की बदबू आना, पसीने की बदबू आना आदि आदि।
67-सिफली इलम मोहिनी साधना -यह मोहिनी भी वशीकरण का काम करती है और मनचाहे स्त्री को खींच कर लाती है।
68-तसखीर लच्छिया इलम साधना -यह भी एक शक्तिशाली आत्मा है जिसको सिद्ध कर दिया कर मनचाहा काम करवाया जाता है।
69-तसखीर देवी साधना -यह साधना भी बहुत अजीबोगरीब है जिसके माध्यम से स्त्री वशीकरण के कार्य सिद्ध करवाए जाते हैं।
70- वशीकरण सिफली इलम वशीकरण सिफली इल्म के द्वारा किसी भी स्त्री पुरुष पर वशीकरण छोड़ा जाता है और कार्य सिद्ध होता है।
71-वशीकरण सिफली कीड़ा साधना -वशीकरण सिफली इल्म कीड़ा साधना में सबसे पहले ताजे मांस को इलम पढ़कर अभिमंत्रित किया जाता है उसके बाद उसको सडाया जाता है उसमें कीड़े पैदा होते हैं सबसे आखरी में जो कीड़ा बचता है उसको धूप में सुखाया जाता है और उसको पाउडर बनाकर मनचाहे स्त्री या पुरुष को खिलाया जाता है और कार्य पूर्ण रूप से सिद्ध होता है।
72-वशीकरण सिफली बाल साधना -इस साधना में स्त्री और पुरुष के बालों से वशीकरण किया जाता है और सिफली क्रिया होती है। कार्य सिद्ध होता है।
73-वशीकरण सिफली गुड़िया साधना -इस साधना में एक गुड़िया बनाई जाती है उस के माध्यम से सिफली इलम किया जाता है।।।
गुरुदेव अशोक कुमार चंद्रा
हरिद्वार उत्तराखंड भारत
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Thursday, August 19, 2021
फकीरी विद्या
फकीर विद्या साधना यह साधना बहुत प्रबल है इसे किसी भी धर्म के व्यक्ति कर सकते हैं
जो हमेशा दूसरों का भला चाहते हैं। इस विद्या में बाबा दर्शन देते हैं जो बड़े से
बड़ा कार्य तंत्र से संबंधित ठीक कर सकते हैं यह उस मनुष्य के ऊपर निर्भर होता है
जो तंत्र से पीड़ित होता है यदि उसका स्वभाव अच्छा है तो तुरंत ठीक हो जाएगा और यदि
दुष्ट दूसरों का बुरा चाहने वाला तो ठीक नही होगा। इस विद्या के माध्यम से बड़ी से
बड़ी शक्ति को मोमबत्ती की लो के द्वारा उपस्थित किया जाता है । मोमबत्ती की लो को
कोई भी बच्चा या पुरुष स्त्री कर सकते हैं। सर्वप्रथम मोमबत्ती की लौ पर फकीर बाबा
उपस्थित होते हैं। उसके बाद साधक के द्वारा मोमबत्ती की लौ में पीड़ित व्यक्ति के
विषय में जानकारी ली जाती है जिसमें साधक को आवाज आती है यह आवाज मानसिक रूप से
होती है और उसकी बीमारी का पूरा आंखों देखा हाल का वर्णन किया जाता है इसके बाद
शक्ति के द्वारा पीड़ित व्यक्ति के ऊपर कार्य किया जाता है उसके अंदर जो भी तंत्र
होता है टोना टोटका होता है तांत्रिक प्रयोग होता है उसको खत्म किया जाता है पीड़ित
व्यक्ति को उसी समय फर्क लगता है और पहले से अच्छा महसूस करने लगता है उसके अंदर
जितनी भी तांत्रिक तंत्र किए गए हैं उन सब को नष्ट किया जाता है और धीरे-धीरे
पीड़ित ठीक होने लगता है पुराने से पुराना तंत्र भी इस माध्यम से दूर किया जाता है
इसमें यदि शक्ति किसी पीड़ित व्यक्ति के तंत्र को नहीं काट पाती है तो इसका अर्थ यह
होता है कि पीड़ित व्यक्ति के ऊपर बाबा से ज्यादा शक्तिशाली आत्मा है उस स्थिति में
उसको पकड़ने के लिए मोमबत्ती की लो में दूसरी महाशक्ति का आवाहन करना होता है जैसे
माता महाकाली माता श्मशान काली माता वैष्णो देवी माता विंध्यवासिनी माता चंडी देवी
इत्यादि इसके बाद बड़ी शक्ति हाजिर होकर पीड़ित व्यक्ति के तंत्र को दूर करती है
पीड़ित व्यक्ति के ऊपर बड़े से बड़ा जिन्नाथो का कबीला ही क्यों ना पल भर में उन को
पकड़कर कैद कर दिया जाता है या मृत्यु कर दी जाती है इस तरह रोगी ठीक हो जाता है इस
हाजिरी में 10 महाविद्याओं को उपस्थित किया जा सकता है 52 भैरव 64 योगिनी को
उपस्थित किया जा सकता है जितना साधक सोच सकता है उतनी शक्तियों को हाजिर किया जा
सकता है और उन के माध्यम से कार्य करवाए जा सकते हैं यह एक गुप्त प्रक्रिया है इसके
माध्यम से बड़े से बड़ा तंत्र ठीक किया जा सकता है। कुछ कारणों में साधक के सामने
शक्ति लो पर उपस्थित नहीं होती है तो किसी बच्चे को माध्यम बनाकर उसके द्वारा भी यह
कार्य कराया जा सकता है कार्य होने के बाद शक्ति का जो भोग होता है उसको वह दे दिया
जाता है हर शक्ति का अलग भोग दिया जाता है । सभी तरह के तांत्रिक प्रयोगों को इस
हाजरात साधना के माध्यम से पल भर में दूर किया जा सकता है और तांत्रिकों को दंडित
किया जाता है और करवाने वालों को भी।। इस साधना के माध्यम से एक तो साधक के शरीर पर
जोर नहीं पड़ता है और शक्ति उपस्थित होकर अपने आप बुरी आत्माओं को पूरे तंत्र को
नष्ट कर देती है। जो तंत्र से पीड़ित हैं देश या विदेश में उनको भी ठीक किया जाता
है और जिनके तंत्र पुराने हो चुके हैं उनको भी ठीक किया जाता है। गुरु अशोक कुमार
चंद्रा हेल्पलाइन 00917669101100 00918868035065 00919997107192
vishnuavtar8@gmail.com
Sunday, November 8, 2020
देवी माता महालक्ष्मी धनचक्र विद्या
धन वर्षा महालक्ष्मी धन चक्र साधना यह साधना अत्यंत दुर्लभ और प्राचीन विद्या है
।इसके माध्यम से साधक अपने आने वाले भविष्य में हमेशा धन से परिपूर्ण रहता है। उसको
कभी भी भविष्य में धन की हानि होने की संभावना लगभग शून्य होती है। शत्रु भी उसको
धन हानि पहुंचाना चाहे तो भी नहीं पहुंचा सकते । इसमें दो मार्ग होते हैं प्रथम
मार्ग में साधना सिद्ध की जा सकती है जिसमें लगभग 6 महीने का समय होता है और 6
महीने मैं सिद्ध होने के बाद साधक के चारों ओर एक प्रकार से धन चक्र बन जाता है जो
समाज में रह रहे साधक को कहीं ना कहीं से धन उपलब्ध कराता रहता है साधक को किसी भी
माध्यम से कुछ ना कुछ धन उपलब्ध होता रहता है। साधना का दूसरा मार्ग यह होता है जब
साधक लगभग साधना के 1 वर्ष पूर्ण हो जाता है तब साधक के अंदर यह शक्ति उत्पन्न हो
जाती है कि वह अपनी शक्ति को दूसरे व्यक्ति को भी उपलब्ध करा सकता है अर्थात देवी
माता महालक्ष्मी को धनहीन व्यक्ति के ऊपर सहस्त्र धार चक्र में स्थापित कर सकता है
स्थापित करने के बाद उस व्यक्ति का स्तर आर्थिक स्थिति धन से संबंधित समस्याएं सब
बदलती जाती हैं व्यक्ति को धन का अभाव धीरे-धीरे कम लगने लगता है और धन की उपलब्धता
होने लगती है जिस कार्य को भी करने की सोचते हैं या कोई कार्य किया जाता है ,उसमें
धन प्राप्ति के शत-प्रतिशत योग बनते हैं । देवी महालक्ष्मी शक्ति स्थापना 1 वर्ष के
लिए साधक में विराजमान की जाती है इसके लिए शुभ मुहूर्त जैसे कोई त्यौहार ग्रहण
नवरात्रि शुभ तिथि होते हैं। इसमें जिस किसी व्यक्ति को यह शक्ति प्राप्त करनी होती
है उसके दो मार्ग होते हैं एक अपने आप ६ माह की साधना से सिद्ध करें. यदि वर्तमान
में साधक के पास समय नहीं है 6 माह तो साधक सिद्ध साधक से ऊर्जा स्थानांतरण भी करवा
सकते हैं यहां पर दीपावली के शुभ अवसर पर जो यह शक्ति स्थानांतरण रूप में चाहते हैं
उनको प्रदान की जा सकती है एक बार देवी माता महालक्ष्मी साधक के सहस्त्रधारा चक्र
में विराजमान हो गई तो साधक को भविष्य में धन का कोई कमी नहीं रहेगा। मन एकदम साधक
का शांत रहेगा। धन की कोई चिंता नहीं होगी ।धन योग अपने आप बनते जाते हैं। साधक के
चारों तरफ से पॉजिटिव ऊर्जा का प्रवाह होने लगता है जो भी व्यक्ति साधक के संपर्क
में आता है उससे साधक को कुछ ना कुछ लाभ अवश्य प्राप्त होता है। जिन साधक के ऊपर
पहले से कोई तांत्रिक बंधन है कोई नेगेटिव शक्ति साधक के सहस्त्रधारा चक्र में
विराजमान है ऐसे साधकों को ऊर्जा स्थानांतरण एक बार में नहीं किया जाएगा पहले उनका
नेगेटिव एनर्जी हटाया जाएगा उसके बाद शक्ति की स्थापना सहस्त्र धार चक्र में की
जाती है। जब साधक के सहस्त्रार चक्र में देवी माता विराजमान हो जाती है तब साधक के
चारों तरफ धन आकर्षित चक्र बन जाता है जो सभी दिशाओं से धन योग बनाता है यह धनचक्र
हमेशा साधक के साथ रहता है ,कभी भी सा धक को धन हानि नहीं होने देता। शक्ति
ट्रांसफर शुल्क// 501// गुरुदेव अशोक कुमार चंद्रा हरिद्वार उत्तराखंड भारत
00917669101100 00918868035065 00919997107192
Friday, July 3, 2020
CORONA VIRUS ONLINE TREATMENT
CORONA VIRUS HISTORY,HEALING AND TREATMENT-
यह वायरस नंबर 666 है,जो शैतानी शक्तियों का प्रतिनिधित्व करता है।इसको देवी देवताओं की दिव्य ऊर्जा शक्ति से पूर्णतः समाप्त किया जाता है।
जिन लोगो के पास वचन सिद्धि बीमारी से सम्बन्धित होती है,वो ही इसको ठीक कर सकते है।
करोना वायरस मुख्य रूप से गले में चिपक जाता है ,फिर फेफड़ों में, wbc,rbc,plateslets ,ऑक्सीजन बॉडी में कम होने लगती है,जिस कारण रोगी के दम घुटने से मृत्यु हो जाती है।इस शैतानी वायरस से प्राचीन काल में बड़ी बड़ी सभ्यता समाप्त कर दी गई थी।
वर्तमान में भी यही क्रम शुरू हो रहा है। इसकी रोकथाम दिव्य सिद्धि के माध्यम से या उपचार से सम्भव है।यह वायरस अंतरिक्ष के एक विशेष एलियन जाति के द्वारा फैलाया फैलाया गया था। यह वायरस मिस्त्र देश में उपस्थित था वहां से इस वायरस को छोड़ा गया था इससे पीड़ित व्यक्ति दुबई का था जब मिस्त्र के किसी प्रोफेसर डॉक्टर को उस वायरस के विषय में जानकारी दी गई और उस डॉक्टर ने उस वायरस का अध्ययन किया तो उसको कोरोनावायरस नाम से संबोधित किया गया।उसका इलाज काफी लंबे समय तक किया गया वहां पर इस वायरस की पहचान हुई थी उसके बाद इस वायरस का सैंपल नीदरलैंड लैब में भेजा गया कुछ समझ में जब नहीं आया तो कनाडा लैब में भेजा गया वहां पर चाइनीस साइंटिस्ट भी काम कर रहे थे उन्होंने इसका परीक्षण किया और चोरी करके इस वायरस को चाइना ले आए और इस वायरस को और अच्छे तरीके से डीएनए परिवर्तन करके विकसित कर दिया किंतु दुर्भाग्यवश यह कोरोनावायरस किसी आकस्मिक घटना के कारण लीक हो गया और पूरी दुनिया में फैल गया जिस तरह पूरी मानव जाति को समाप्त करने के लिए एक बोतल टूलेेरियम वायरस काफी है उसी तरह यह वायरस भी काफी घातक है। दूसरी तरफ एक और नई चीज सामने आई है यूएफओ इन के माध्यम से भी इस वायरस को बढ़ावा दिया गया है।
अमेरिका,चीन, रूस, फ्रांस,ब्रिटेन इन 5देशों को मुख्य रूप से निशाना बनाया गया है।यह वायरस यू एफ ओ के माध्यम से वायुमंडल में छोड़ा गया है।
मिस्त्र के पिरामिड के भूमिगत शैतानी शक्तियों का यह मुख्य अस्त्र है कोरोनावायरस।
इसके अलावा मिस्त्र के ही क्षेत्र से टिड्डियों का आक्रमण पूरे विश्व में इसके बाद मिस्त्र के ही क्षेत्र से धूल भरी आंधी का आक्रमण पूरे विश्व में
कोरोनावायरस का आक्रमण मिस्र देश के ही क्षेत्र से पूरे विश्व में फैल गया है।
कोरोनावायरस दिव्य शक्तियों के माध्यम से 11 से 21 मिनट में पीड़ित व्यक्ति के शरीर से बाहर निकल जाता है यह वायरस पीड़ित व्यक्ति के गले फेफड़ों में परत जमा कर चिपका रहता है वॉइस थेरेपी के माध्यम से तीन मुख्य शक्तियां शिव शक्ति हनुमान शक्ति देवी विंध्यवासिनी शक्ति को मिलाकर इस वायरस को गले फेफड़ों के अंदर नष्ट करके मुंह के माध्यम से बाहर निकाला जाता है इसमें पीड़ित व्यक्ति के मुंह से कोरोनावायरस हीलिंग के टाइम 11 से 21 मिनट के अंदर सारा का सारा जमा हुआ बलगम मुंह से बाहर निकल जाता है।
जब यह बलगम थूक के माध्यम से बाहर निकलता है तो रोगी को सांस लेने में जो प्रॉब्लम होती थी वह धीरे-धीरे खत्म होने लगती है और रोगी पूर्ण रूप से सांस लेना शुरू कर देता है फिर उसके सांस लेने में कोई बांधा नहीं आती और रोगी कोरोनावायरस से हमेशा के लिए मुक्त हो जाता है। यह कोरोनावायरस हीलिंग ट्रीटमेंट कहलाता है प्राचीन काल में इसी ट्रीटमेंट के माध्यम से वायरस से पीड़ित लोगों को ठीक किया जाता था और वर्तमान में भी इसी के माध्यम से ठीक किया जाता है इस क्रिया को जब शुरू करते हैं तो सबसे पहले जो रोगी कोरोनावायरस से पीड़ित होता है वॉइस थेरेपी के माध्यम से साधक के थर्ड आई पर कोरोनावायरस फैलाने वाला शैतानी चेहरा सामने आता है इसके दो लंबे सींग होते हैं और इसका चेहरा बकरे या भैंसे के जैसा होता है इससे ज्ञात होता है की आज्ञा चक्र के माध्यम से जो फेस दिखाई देता है वह शैतानी है। इसका अंक 666 होता है कोरोना अंकों का टोटल योग 6 और अल्फाबेट के अलग-अलग अंगों का टोटल योग 66 होता है इस प्रकार यह 666 बनता है और अगर इसको उल्टा कर दिया जाए तो 999 अर्थात मॉन्स्टर बनता है यह तीन स्क्रैच होते हैं जो ऊपर से नीचे की ओर होते हैं यह ट्रिपल नाइन होता है इस प्रकार यह कोरोनावायरस पूर्ण तय मानव जाति का दुश्मन होता है और शैतानी शक्तियों के द्वारा भेजा गया उनका मुख्य अस्त्र होता है। आज कोरोनावायरस से पूरा विश्व त्राहि-त्राहि कर रहा है अस्पतालों में मरीजों को भर्ती करने की जगह भी उपलब्ध नहीं हो पा रही है।
पूरे विश्व के लिए यह एक विकट समस्या है किंतु देवी देवताओं की शक्ति के आगे यह समस्या शून्य है।
वॉइस थेरेपी के माध्यम से कैसा भी कोरोनावायरस से पीड़ित रोगी हो 11 से 21 मिनट में ठीक प्रकार से सांस लेने लगता है उसको ऑक्सीजन पर निर्भर नहीं रहना पड़ता अपने खुद के शरीर से ऑक्सीजन को ग्रहण करता है और कोरोनावायरस हमेशा के लिए उसके शरीर से नष्ट हो जाता है।
कोरोनावायरस थेरेपी देश और विदेश में काम करती है कैसा भी पीड़ित व्यक्ति हो कोरोनावायरस से उसको ठीक करती है और भविष्य में कभी भी उसको कोरोनावायरस नहीं होता हो सकता है क्योंकि उसके शरीर में दिव्य ऊर्जा वास कर जाती है जिस कारण कोरोनावायरस द्वारा उसको नुकसान नहीं हो सकता किंतु जो साधारण उपचार से ठीक होते हैं उनको हमेशा खतरा बना रहता है कि कहीं उनको दोबारा कोरोनावायरस ना हो जाए।
अमेरिका ब्रिटेन रसिया फ्रांस कनाडा जर्मनी इटली स्पेन ऑस्ट्रेलिया आदि देशों के विदेशी नागरिक भी फोन के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं और कोरोनावायरस से मुक्त हो सकते हैं यह कार्य तभी करें जब आपको लगे कि आप डॉक्टर ट्रीटमेंट से ठीक नहीं हो सकते और मृत्यु आपके सामने हैं या आपको हॉस्पिटल में बेड नहीं मिल पा रहा है और आपको घर पर ही बीमारी में मरने के लिए छोड़ दिया गया है या किसी भी दवाई का असर नहीं हो पा रहा है तभी आप इस कोरोना वॉइस थेरेपी फोन पर संपर्क करें।
कोरोना वॉइस हीलिंग थेरेपी से पूर्ण रूप से रोगी 4 दिन में ठीक हो जाता है उसके फेफड़े गले के अंदर से सभी इनफेक्टेड कोरोना लिक्विड बलगम बाहर निकल जाता है और रोगी पूर्ण स्वस्थ हो जाता है।
सभी कार्य ऑनलाइन वॉयस थेरेपी के माध्यम से किए जाएंगे फोन कॉल के जरिए विदेशी लोग संपर्क कर सकते हैं जिनको कोरोनावायरस हो चुका है और डॉक्टर ट्रीटमेंट से सही नहीं हो पा रहे हैं।
अगर विश्व के किसी भी देश की सरकार अपने देश से पूर्णतया corona वायरस का समाप्त करना चाहती है तो हमसे हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क कर सकती है ,उस देश के वातावरण में फैले कोरोनावायरस को शिव विष ग्रहण शक्ति की सिद्धि से समाप्त करके हमेशा के लिए कोरोनावायरस का प्रकोप खत्म कर दिया जाएगा,उस देश के सभी लोग अपने आप स्वस्थ हो जाएंगे और भविष्य में कभी भी इस बीमारी से पीड़ित नहीं होंगे।अगर किसी भी देश की सरकार अपनी जनता को बचाना चाहती है तो हमसे संपर्क कर सकती है। शक्ति के प्रभाव से 11 दिन में कोरोनावायरस केस उस देश में कम होने लगेंगे और
कुछ ही दिनों में लगभग शून्य हो जाएंगे।।
(All services are paid).
गुरु अशोक कुमार चंद्रा
हरिद्वार उत्तराखंड इंडिया
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Thursday, July 2, 2020
डाकिनी देवी ट्रांसफर साधना
डाकिनी ट्रांसफर साधना-
इस विद्या में डाकिनी को साधक के शरीर में प्रवेश कराया जाता है जिसके माध्यम से डाकिनी साधक की सभी इच्छाएं पूर्ण करती है। साधक के चारों तरफ पॉजिटिव ऊर्जा का प्रवाह होने लगता है ।
साधक के सभी कार्य धीरे-धीरे उन्नति की ओर होते हैं।
डाकिनी ट्रांसफर में 10 से 11 मिनट का समय लगता है , जिनके पास दिव्य दृष्टि होती है वे दिव्य दृष्टि के माध्यम से डाकिनी से वार्ता कर सकते हैं ।
जिनके पास दिव्य दृष्टि नहीं होती वे अलौकिक रूप से अनुभव कर सकते हैं ।
डाकिनी देवी को हमेशा अमावस्या को सूर्यास्त के बाद ट्रांसफर किया जाता है। जो साधक या साधिका देवी डाकिनी को अपने शरीर में प्रवेश करवाते हैं उनके लिए अमावस्या की रात्रि को दाहिने पांव पर खड़ा होना होता है उसके बाद सामने पूजा की थाली में देसी घी का दीया जलाना होता है ,
चमेली की धूप बत्ती जलानी होती है ,
सफेद बर्फी के पांच पीस रखने होते हैं।
एक प्याले में मदिरा विलायती , एक पान का पत्ता उसके ऊपर दो लौंग,एक सुपारी साबुत रखनी होती है ।
उसके बाद चमेली के तेल की शीशी का थोड़ा सा तेल दीये में और थाली में लगाना होता है।
मोगरा इत्र की शीशी रखनी होती है सिंदूर की एक ढे री बनानी होती है ।
माथे पर सिंदूर का तिलक लगाना होता है ।
अगर दाहिने पांव पर खड़ा ना हो या जा सके तो साधक या साधिका स्टूल या कुर्सी पर बैठकर भी दाहिने पैर को जमीन पर रख सकते हैं।
डाकिनी ट्रांसफर होने में 10 से 11 मिनट के समय अंतराल में साधक के शरीर में अजीब से परिवर्तन होते हैं उससे साधक को घबराना नहीं चाहिए यह परिवर्तन डाकिनी देवी की जो ऊर्जा है,साधक या साधिका के शरीर में प्रवेश करती है ।
साधक के शरीर में धीरे धीरे वाइब्रेशन ,कंपन आदि लक्षण सामने आते हैं ।
यदि साधक के शरीर में पहले से कोई नेगेटिव एनर्जी है तो उसको भी बाहर निकाला जाता है इसके बाद साधक अपने सभी तरह के कार्य पूर्ण कर सकता है इसके बाद साधक को प्रत्येक अमावस्या को डाकिनी देवी का पूजन इसी तरह से करना होता है जब भी उसको कोई कार्य करवाना है पूजन करके साधक को एक गुप्त मंत्र दिया जाता है जो डाकिनी देवी का पूर्ण मंत्र होता है।
उस मंत्र का साधक एक माला जाप करता है और जो भी कार्य होते हैं उसके लिए प्रार्थना करता है।
यह वशीकरण की उग्र शक्ति है इन के माध्यम से प्रबल वशीकरण किया जाता है। देवी अपने साधक को हमेशा दिव्य दृष्टि यदि साधक के पास है तो अनेक प्रकार की भयानक स्त्रियों के रूप में दर्शन देती हैं यहां देवी का रूप स्थिर नहीं होता कभी दुल्हन बनकर कवि भयानक चुड़ैल के रूप में कभी डरावनी शक्ल लेकर कभी बूढ़ी औरत बन कर आदि आदि रूपों में साधक को दिव्य दृष्टि में दिखाई देती है इसके बाद इन सभी में एक विशेषता होती है देवी डाकिनी जितने भी रूपों में आती है उन सब में उसकी आंखें सफेद पत्थर की तरह चमकदार होती हैं उसी से साधक पहचान कर लेता है की यही देवी डाकिनी है। जिनके पास दिव्य दृष्टि नहीं है उनको देवी सपने के माध्यम से दिखाई देती है ,पूजा कमरे में किसी के आने ,चलने फिरने का आभास होता है।
साधक के आज्ञा चक्र को विकसित करने में इस ऊर्जा का बहुत महत्वपूर्ण हाथ होता है।
भविष्य की जितनी भी साधना में साधक पूजा पाठ करता है उसमें साधक को उन्नति प्राप्त होती है सफलता हासिल होती है।
देवी डा किनी अच्छे और बुरे दोनों कर्म करने में समर्थ होती है।
डाकिनी transfer online माध्यम से ही किया जाता है।
देवी डाकिनी दीक्षा -2100
एकांत जगह होनी चाहिए।
सिद्ध साधक के सभी कार्यों के रिज़ल्ट हमेशा पॉजिटिव आते है देवी डा किनी की कृपा से।।
गुरुदेव अशोक कुमार चंद्रा
हरिद्वार उत्तराखंड भारत
हेल्पलाइन 00917669101100
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Thursday, February 6, 2020
अमृत कुंडलिनी शक्तिपात साधना
शक्तिपात दीक्षा (अमृत कुंडलिनी )साधना=
इस शक्ति के माध्यम से मनुष्य के शरीर के सभी चक्रों में अपार ऊर्जा का संचार होता है
सबसे पहले मूलाधार चक्र से अमृत को उठाकर सहस्त्र धार चक्र की ओर ले जाया जाता है इसके बाद अमृत अर्थात वीर्य सहस्रार चक्र में पहुंचकर अमृत रूपी रसायन में बदल जाता है
इसके बाद अमृत रूपी रसायन इडा पिंगला सुषुम्ना नाड़ी में प्रवाहित होता है इन तीनों नाडि यो से 12 नाडियो में प्रवाहित होता है इसके बाद 108 नाड़ियों में अमृत रूपी रसायन प्रवाहित होता है!
108 नाड़ीयो में प्रवाहित होने के बाद इसको 72000 नाड़ीयो में पहुंचाया जाता है
इसी तरह मूलाधार से विशुद्ध चक्र में प्रवाहित किया जाता है
इसी तरह मूलाधार से अनाहत चक्र हृदय चक्र में प्रवाहित किया जाता है इसी तरह मूलाधार से मणिपुर चक्र में प्रवाहित किया जाता है इसी तरह मूलाधार से स्वाधिष्ठान चक्र में प्रवाहित किया जाता है इन सभी चक्रों का संबंध इडा पिंगला सुषुम्ना नाड़ी ओं से होता है सभी चक्रों द्वारा अमृत स्त्राव 72000 नाडियो के माध्यम से संपूर्ण शरीर में पहुंच जाता है इसके द्वारा शरीर में उत्पन्न सभी बीमारियां समाप्त हो जाती हैं चेहरे पर सुंदरता आ जाती है चेहरा एक तेज में हो जाता है साधक के शरीर के सभी अंगों में नए सेल्स का जन्म होता है इससे साधक की आयु बढ़ जाती है सामान्य मनुष्य में नए सेल्स का जन्म नहीं होता है उसकी एक समय सीमा होती है लगभग 100 वर्ष की आयु में शरीर निर्जर हो जाता है शरीर में अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते हैं जब सही से कार्य नहीं करते हैं अंग!
जिनको चक्रसिद्ध होते हैं वह अपनी आयु को जितना चाहे उतना बड़ा सकते हैं प्रत्येक चक्र का संबंध शरीर के विशेष अंगों से होता है इस क्रिया को शक्तिपात के द्वारा भी सिद्ध कराया जाता है जब सभी चक्रों में पूर्ण रुप से अमृत गतिमान हो जाता है तब साधक में सूर्य के समान तेज आ जाता है साधक के शरीर में कभी भी कोई बीमारी नहीं होती चाहे कितना ही भयंकर कोई जीव हो वायरस हो साधक के शरीर को बीमारी नहीं पहुंचा सकता
इस क्रिया के परिणाम स्वरूप साधक को कोई भी विशेष साधना मंत्र साधना करने की आवश्यकता नहीं होती है जिससे अपने शरीर की चमक को बढ़ाएं शक्तिपात क्रिया से साधक की आंतरिक उर्जा बढ़ जाती है और मात्र 5 मिनट के पूजा करने से साधक अपने शरीर के सभी चक्रों में इस अमृत को चढ़ाने में सक्षम होता है साधक मानसिक कल्पना के आधार पर यह क्रिया करता है जब शक्तिपात कर दिया जाता है तो धीरे-धीरे यह क्रिया साधक के सभी चक्रों में रीढ की हड्डी के माध्यम से अपने आप होने लगती है जब भी साधक चाहेगा !
इसी अमृत से भ्रूण का निर्माण होता है जो लगभग मनुष्य जन्म में 100 वर्ष जीता है सभी चक्र अमृत रूपी स्त्राव करते हैं और साधक इस क्रिया के माध्यम से हजारों वर्ष तक जीवित रहता है इस क्रिया से साधक में एक असीम शक्ति उत्पन्न हो जाती है आकर्षण शक्ति बढ़ जाती है
शक्तिपात क्रिया से साधक के सभी चक्रों में गति उत्पन्न हो जाती है और साधक अमृत को सभी चक्रों के माध्यम से पूरे शरीर में 72000 नाडियो के द्वारा संपूर्ण शरीर में फैला देता है.
अमृत स्त्राव शक्तिपात से सबसे बड़ा फायदा यह होता है किस साधक का अमृत कुंड मूलाधार में हमेशा सूखा रहता है, साधक अपना अमृत मूलाधार के माध्यम से सभी चक्रों में प्रवाहित करता रहता है इसलिए साधक को कभी भी कामवासना नहीं सता सकती!
मूलाधार से सहस्रार तक
मूलाधार से आज्ञा चक्र तक
मूलाधार से विशुद्ध चक्र तक
मूलाधार से अनाहत चक्र तक
मूलाधार से मणिपुर चक्र तक
मूलाधार से स्वाधिष्ठान चक्र तक
मूलाधार एक मोटर पंप का कार्य करता है
मूलाधार से अमृत रूपी
रसायन को सभी चक्रों में छोड़ा जाता है
सभी चक्रों के कार्य अलग-अलग होते हैं!
सहस्त्रधारा अमृत स्त्राव दीक्षा शक्तिपात=501
आज्ञा चक्र अमृत स्त्राव दीक्षा शक्तिपात=501
विशुद्ध चक्र अमृत स्त्राव दीक्षा शक्तिपात=501
अनाहत चक्र हृदय चक्र अमृत स्त्राव दीक्षा शक्तिपात=501
मणिपुर चक्र अमृत स्त्राव दीक्षा शक्तिपात=501
स्वाधिष्ठान चक्र अमृत स्त्राव दीक्षा शक्तिपात=501
सहस्त्र धार चक्र कुंडलिनी दीक्षा शक्तिपात=501
आज्ञा चक्र कुंडलिनी दीक्षा शक्तिपात=501
विशुद्ध चक्र कुंडलिनी दीक्षा शक्तिपात=501
अनाहत चक्र (हृदय चक्र) कुंडलिनी दीक्षा शक्ति पात=501
मणिपुर चक्र कुंडलिनी दीक्षा शक्तिपात=501
स्वाधिष्ठान चक्र कुंडलिनी दीक्षा शक्तिपात=501
यह शक्तिपात किसी भी स्त्री-पुरुष पर हो सकता है किसी भी जीव जंतु पर हो सकता है कम आयु के बच्चों पर भी हो सकता है इसमें बच्चे ऐसे होने चाहिए जिनको कुछ समस्या हो जैसे कोई बीमारी है या रोग है.
जो हमेशा परोपकारी हैं सज्जन व्यक्ति हैं दूसरों का भला चाहते हैं ऐसे व्यक्तियों पर शक्तिपात तुरंत प्रभावी होता है.
सभी शक्तिपात केवल मंगलवार को ही किए जाएंगे.
सूर्यास्त के बाद यह शक्तिपात कार्य किया जाता है.
विदेशों में रहने वाले व्यक्ति भी फोन कॉल्स के माध्यम से शक्तिपात दीक्षा ले सकते हैं.
शक्तिपात के लिए विदेशों के व्यक्ति संपर्क कर सकते हैं.
गुरुदेव अशोक कुमार चंद्रा
हरिद्वार उत्तराखंड भारत
हेल्पलाइन-
00917669101100
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Saturday, January 11, 2020
त्रिजटा सिद्धि
त्रिजटा अघोरनी सिद्धि
यह साधना 21 दिनों की होती है।
साधक को साधना काल में सफेद वस्त्र धारण करने चाहिए।
सफेद आसन प्रयोग करना चाहिए।
अपने सामने कांसे की थाली में भगवान शिव का फोटो स्थापित करें।
फोटो पर गेंदे के फूलों की माला स्थापित करे।
चन्दन का इत्र ,चमेली का इत्र,उद का इत्र चढ़ाय।
लाल सिंदूर का तिलक साधक स्वयं और शिवजी को लगाए।
शुद्ध देशी घी का दीया जलाय जो कम से कम 3घंटे जल सके।
यह साधना शनिश्चरी अमावस्या से शुरू करे।
रात्रि 10बजे से बन्द कमरे में करे।चमेली,मोगरा,चन्दन ,गुलाब का धूप जलाए।
कमरे में फर्श और दीवारों पर सुगन्धित सेंट चमेली,मोगरा,गुलाब का छिड़काव करें।
थाली में सफेद मिठाई,बताशे,फल रखे।
सिन्दूर और चावल रखे।
मंत्र जाप के समय साधक को बन्द आंखों से थर्ड आई अर्थात् आज्ञा चक्र पर श्मशान की आत्माएं दिखनी शुरू हो जाती है।आवाजे आनी शुरू हो जाती है।कमरे के अंदर मुर्दे के जलने की बदबू आने लगती है।
आज्ञा चक्र के माध्यम से साधक त्रिजटा अघोरनी से वार्ता और वचन करता है।
मंत्र जप में रुद्राक्ष की माला या काली हकीक माला उत्तम है।
पवित्रीकरण,वास्तुदोष पूजन,गुरुपूजन,संकल्प लेकर साधना शुरू करे।
सिद्ध होने के बाद साधक कोई भी षटकर्म करने में समर्थ हो जाता है।यह साधना प्रतिदिन 3 घंटे करनी होती है।
मंत्र अत्यंत तीव्र और खतरनाक प्रभाव पूर्ण है,
समयानुसार
योग्य साधक को ही सिद्ध कराया जाएगा।
गुरुदेव अशोक कुमार चंद्रा
हरिद्वार उत्तराखंड भारत
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Friday, October 18, 2019
ब्रह्मचक्र सुरक्षा कवच 2019
ब्रह्मचक्र -
दीपावली 2019 ,27,28 अक्टूबर के इस पर्व पर लगभग 1008 ब्रह्मचक्र को तैयार किया जायेगा।
इस सुरक्षा चक्र में काली देवी लक्ष्मी देवी सरस्वती देवी,त्रिदेव शक्ति ब्रह्मा विष्णु महेश को मन्त्र अनुष्ठान के माध्यम से चक्र में सभी शक्तियो को प्रवेश कराकर सिद्ध ब्रह्मचक्र का निर्माण किया जाता है।
इस चक्र में भूत दाना,प्रेतदाना,चुडेल दाना ,आदि शक्तियो से सिद्ध किया जाता है।
सिद्ध होने के बाद चक्र जाग्रत अवस्था में आ जाता है जिसे गले में काले धागे में धारण किया जाता है।
ब्रह्मचक्र धारणकर्ता की पर्याप्त सुरक्षा होती है।उसको कोई भी वाह्य शक्ति नुकसान नही कर सकती है।
भूत,प्रेत,भटकती आत्माए,इतर योनियाँ,काला जादू,तांत्रिक मुठकरनी, चौकी, लाट, जिन,जिब्राएल,परी दोष,गढ़ंत दोष,पिशाच,ब्रह्मराक्षस,डाकिनी,शाकिनी,ओपरे,नजर आदि हवाएँ इस चक्र से ट कराकर वापस चली जाती है और धारणकर्ता से दूर हो जाती है।
जिन साधको को मन्त्र जाप के समय सुरक्षा का भय बना रहता है ,इसको धारण कर सकते है , किन्तु सिद्धि के समय उनको आवाजे सुनाई दे सकती है या कोई दृश्य दिख सकता है किन्तु डरे नही ,वह आपसे दूर होगी ।
जिन लोगो को शारीरिक बीमारी जो रहस्यमय तरीके की होती है जिनको डॉक्टर भी नही बता पाते और ठीक नही कर सकते ,ऐसे लोग भी इसको धारण कर सकते है और जो भी शक्ति उनके शरीर को बीमार कर रही है ,वह इस चक्र के धारण कर्ता को छोड़कर भाग जाती है।इससे उनके शरीर की रहस्यमय बीमारी ठीक हो जाती है।
इन आत्माओ जनित बीमारी में मुख्य रूप से रात को नींद न आना ,अचानक नींद टूट जाना,शरीर में दर्द रहना,काम में मन न लगना, घर में ही रहना,बुखार लगातार रहना,भूख न लगना या लगातार खूब सारा खाना खा लेना ,अकेले में अपने आप से बात करना आदि प्रमुख है।
इसको धारण करके साधक साधना में पूर्ण सफल होते है और तांत्रिक बन्धनों से मुक्त होते है।
साधक की पर्याप्त सुरक्षा होती है।
जो लोग घर में अकेले रहते है या उनको आत्माओ से डर लगता है इसको धारण कर सकते है।
रात को कमरे में किसी अदृश्य शक्ति का आभास होना,पैरों की आहट सुनाई देना,आवाज सुनकर नींद टूटना,सोते समय मुँह से आवाज़ न निकलना,खूब चिल्लाना पर कोई फर्क न पड़े,अदृश्य शक्ति का हमला ,सोते समय दम घुटना आदि।
ब्रह्म चक्र इस बार रोगी 2 तरह से धारण करेंगे एक गले में और एक पेट पर ।। इस तरह अगर कुछ रोगी को खिला भी रखा होगा तो उसका प्रभाव भी समाप्त हो जाएगा। यह ब्रह्म चक्र सभी तरह से बचाव करता है।
जो लोग तांत्रिक क्रिया से पीड़ित है,इसको धारण कर तंत्र बांधा से मुक्ति पा जाते है।स्वस्थ रहते है।
जो पीड़ित है तांत्रिक क्रिया से वो हमसे सम्पर्क कर इसको प्राप्त कर सकते है।
गुरु अशोक कुमार चन्द्रा
हरिद्वार उत्तराखंड भारत
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Sunday, August 25, 2019
रोगों से मुक्ति मंत्र साधना
By mynewdivinepowersAugust 25, 2019cancer etc.treatment by mantra Shakti, त्रिजटा अघोरणी साधना2 comments
(शरीर क्रिया मन्त्र पराविज्ञान)लाइलाज रोगों से मुक्ति-
इस मंत्र विद्या के माध्यम से किसी भी रोग का निदान संभव है।
रक्त से सम्बंधित रोग ,माँसपेशियों से जुड़े रोग,अस्थियों से जुड़े रोग,किडनी से जुड़े रोग,ह्रदय से जुड़े रोग,नाड़ियों से जुड़े रोग,लिवर से जुड़े रोग,मस्तिष्क से जुड़े रोग,नसों का ब्लॉकेज
खोलना ,पुराने दर्द,किसी भी तरह के ज्वर को ठीक करना अर्थात समस्त साध्य और असाध्य बीमारियों को ठीक किया जाता है।
देवी या देवता के वचन के अनुसार साधक किसी भी मनुष्य की बीमारियों को अपने शरीर मे लेता है और रोगी कुछ ही मिनटों में ठीक हो जाता है।साधक की बीमारी को मन्त्र के देव या देवता गृहण कर लेते है हैं।।जिसमे साधक को 5 मिनट का कष्ट होता है जैसे किसी को गले का कैंसर है तो साधक मन्त्र शक्ति से उसके थ्रोट कैंसर को अपने गले मे कल्पना करता है तो देवी या देवता उस बीमारी को साधक के गले मे पहुँचा देते है उस अवस्था मे साधक को 5 मिनट तक गले मे केंसर की पीड़ा होगी और रोगी केंसर मुक्त होगा।।यह शक्ति सभी तरह के कैंसर में कार्य करती है किन्तु जिनका ऑपरेशन हो चुका है उनको देर में आराम होता है।
इस विद्या के सिद्ध को न किसी x- ray मशीन की जरूरत है और न CITY SCAN की मशीन की जरूरत है।
जब भी साधक के सामने या VOICE CALL पर कोई रोगी आता है साधक उसके सभी रोगों को अपने शरीर मे धारण कर पता कर लेता है कि इसको क्या समस्या है।फिर सिद्धि बल से उसको ठीक कर देता है।
कुछ लोगो को बीमारी अचानक हो जाती है जो 24 घण्टे मे भी समाप्त हो जाती है ऐसे लोग पूजा पाठ करने वाले देवी देवताओं पर विश्वास करने वाले होती है
किन्तु कुछ लोगो की बीमारी जल्दी ठीक नही हो पाती इसका कारण उनके बुरे कर्मो का फल होता है,नास्तिकता होता है।हठी स्वभाव का होना होता है।
किन्तु ये लोग भी ठीक हो जाते हैं इनको 3 महीने लग जाते हैं।
हमारे द्वारा वॉइस कॉल के माध्यम से भी ऑनलाइन दे व या देवी शक्ति के प्रयोग से कैंसर (ब्लड,बोन,मासपेशी,स्किन),किडनी प्रॉब्लम,heart प्रॉब्लम,लीवर ,मस्तिष्क ,पुरुष रोग ,लकवाआदि के असाध्य रोगों को ठीक किया जाता है।सभी कार्यो के लिये शुल्क निर्धारित किया गया है।
देव देवी शक्तियों न केवल शक्ति देती है रोगी को बल्कि उनके अंदर पल रहे किसी भी जीवाणु,विषाणु आदि को नष्ट करने की शक्ति भी होती है।इसमें साधक सूक्ष्म रूप से रोगी के शरीर से ऐसे परजीवियों को निकाल कर देव देवी को अर्पण कर देता है।।
सिद्ध साधको में यह अवस्था 5 मिनट से लेकर 1 सेकंड तक हो जाती है।
जबकि देवी देवताओं में रोगों को दूर करने की अवस्था मिली,माइक्रो,नेनो,पिको सेकंड मे होती है।
जैसे तुलसीदास को हनुमान जी ने रोगमुक्त किया ,कृष्ण जी ने दासी को स्पर्श मात्र से नवीन यौवन दिया।
एक बात यह समझने की है कि जब कृष्ण जी किसी वृद्धा को युवती बना सकते है तो साधक भी अपने रूप को नवीन युवा बना सकता है किंतु जिन सुंदर स्त्री पुरुषों से साधक उनकी योवन ऊर्जा का अपने शरीर मे डाल कर अपने जरा ऊर्जा को स्त्री पुरुष के शरीर मे डाल सकता है।।यह महापराविज्ञान कहलाता है।
इस तरह किसी भी रोगी को साधक ठीक कर सकता है किंतु देवी देवता साधक को यह भी बता देते है कि यह बीमारी क्यों है?
किसी शत्रु प्रयोग से या कर्मो के फल या अकारण ।।
गुरु अशोक कुमार चन्द्रा हरिद्वार उत्तराखण्ड भारत
00917669101100
Wednesday, August 14, 2019
मृत आत्माओं का ट्रांसफर श्मशान
By mynewdivinepowersAugust 14, 2019त्रिजटा अघोरणी साधना, मृत आत्माओं का ट्रांसफर श्मशानघाट मेंNo comments
मृत आत्माओं का ट्रांसफर (मन्त्र साधना से)-
यह एक गुप्त प्रक्रिया है।इसके अन्तर्गत श्मसान जागरण किया जाता है।जिस साधक को जो शक्ति प्राप्त करनी होती है,साधक को मन्त्र जाप से उस शक्ति का आवाहन करना होता है तभी साधक को अपने आज्ञा चक्र में प्रेत आत्मा,भूत ,बेताल ,ब्रह्म राक्षस ,डायन,भैरवी,कपालिनी,श्मशान काली,मसानी, कंकाल,चंडाल,मसान,मुंजा, कच्चा कलुआ,जिन्न ,चुड़ैल,शांकिनी,डांकिनी,यक्षणी, मृत आत्मायें आदि दिखाई देती है।
जिनको गौड गिफ्ट होता है वो खुली आँखों से देख सकते है जिनको जन्म से ये गौड गिफ्ट नही होता है वो साधक आज्ञा चक्र के माध्यम से उनको बन्द आंखों से देखते है।
जिस साधक या साधिका को शक्ति चाहिये होती है गुरु के आदेश होने पर साधक उस श्मशान जागरण के अख़ाडे से उसको बुलाता है,उसी समय शक्ति शाली आत्मा साधक या साधिका के सामने उपस्थित होती है तो गुरु उसी समय साधक या साधिका के वचन आत्मा से कराता है और आत्मा भी साधक के हाथ पर हाथ रखकर वचन देती है।
उस वचन के समय ऐसा लगता है जैसे कोई वास्तव में हाथ रखकर बात कर रहा हो।
आत्मा ट्रांसफर की यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद गुरु को श्मशान सुलाना पड़ता है अर्थात शांत करना होता है,उसके बाद साधक या साधिका को गुरु आज्ञा लेकर गुरु के साथ श्मशान से बाहर निकलना चाहिये।
यह प्रक्रिया 10 से 15 मिनट की होती है।डरपोक साधक या साधिका इसको न करे अन्यथा किसी भयानक दृश्य को देखकर मानसिक संतुलन खो सकते है।
यह आत्माओं का ट्रांसफर केवल श्मशान में ही संभव है।
श्मशान के बिना किसी भी कीमत पर आपको कोई आत्मा कोई भी तांत्रिक ट्रांसफर नही कर सकता।
केवल इतना कर सकता है कि आपको बन्द कमरे के बैठाकर उसके दर्शन करा सकता है आज्ञा चक्र में।
कुछ समय के लिये आत्मा आपसे बात करेगी
किन्तु जब आप अपने घर जाएंगे तो आपके बुलाने पर भी नही आएगी इस स्थिति में साधक का समय पैसा खराब हो जाता है। अतः ऐसे जगह से बचे।
जहाँ भी जाये श्मशान में लेकर जाये।वही से आपको वास्तविक आत्मा का ट्रांसफर होता है और जीवन भर या वचनों के अनुसार वह दिव्य और आलौकिक आत्मा आपकी सहायता करेगी।
जब भी आप कहीं भी होंगे आत्मा का आवाहन करेंगे आत्मा आज्ञा चक्र में प्रकट होगी और मानसिक रूप से बात कर आपकी हर बात का उत्तर देगी।
आपकी हर समस्या का समाधान करेगी।
षट्कर्म भी करेगी।
हमारे एक शिष्य के कहने पर मेरे द्वारा इस साधना का वर्णन मैने अपने शब्दों में लिख दिया है।
ट्रांसफर आत्माओं से कार्य- जब भी आपको कोई कार्य करवाना हो तो साधक या साधिका श्मशान में जाकर सिद्ध आत्मा को मदिरा, माँस, कलेजी आदि देते है तब साधक का कार्य तुरंत आसुरी शक्ति करती है।
आत्माओं का ट्रांसफर केवल अमावस्या की आधी रात को 12 बजे से,शनिवार की रात को 9 बजे से,मंगलवार की रात को 8 बजे से श्मशान भूमि में किया जाता है।
जिन साधको को हमारे द्वारा आत्माओ का ट्रांसफर श्मशान में करवाया है उनमें से कुछ साधकों के छोटा सा वीडियो भी अपलोड किया जा रहा है श्मशान का।।
चेतावनी- (कुछ लोग मेरी लिखित साधनाओं को अपने ब्लॉग,फेसबुक ,यु tube चैंनल, ग्रुप में अपने नाम से पब्लिश करते है ऐसे महापुरुषों से निवेदन है कि अपनी मेहनत से कमाई साधना को ही पब्लिश करे।)
हमारे द्वारा आत्माओं का ट्रांसफर वॉइस कॉल या वीडियो कॉल से ऑनलाइन किया जाता है किंतु साधक या साधिका निर्भीक हो और अकेले शमशान में जाकर आत्माओं से बातचीत कर वचन लेके वापस आये।।
इन साधनाओं का दुरुपयोग नही करना चाहिये।
जो साधक कामवासना के वशीभूत पिशाचिनियों,अप्सराओ आदि को सिद्ध करना चाहते है उनको भी श्मशान में बैठकर वचनबद्ध करके अपने साथ साधक ले जा सकता है।साधक के सभी कार्य करेगी पत्नी या प्रेमिका रूप में।
प्रेम प्रसंग साधक का आत्मिक रूप से होगा अर्थात ये आत्मायें साधक की आत्मा को आज्ञा चक्र से बाहर निकालकर प्रेम प्रसंग करती है जिससे साधक को अनन्त आनंद की प्राप्ति होती है किंतु ये साधक के लिये हानिकारक है,एक साधक को हमेशा अच्छे कार्य करने चाहिये न कि कामकला में डूबा रहे।
जब साधक इन आत्माओ से मुक्ति चाहते है या इनको नही रखना चाहते है तो हमारे द्वारा इन आत्माओं को अलग कर दिया जाता है और साधक स्वतंत्र हो जाता है।
आत्मा ट्रांसफर के लिये सामग्री-
सफेद कपड़े 11 मीटर
कुशासन
2
निरमिहि की जड़ 2
(एक साधक के आसन के नीचे दूसरी गले मे)
काले पत्थर 11
चौमुखा दीया
शराब की बोतल
दोरंगा सिंदूर
दिशा उत्तर दक्षिण
लोबान पंचमुखी
उपरोक्त सामग्री से मन्त्र उच्चारण करने पर साधक के आत्माओ के अखाड़े से मन वांछित आत्मा वचन सिद्ध होती है।
कुछ साधक प्रेत आत्माओं को अपना शरीर भी सौंप देते है जो अपनी भौतिक इच्छाओ को कई गुना बड़ा कर सकते है जैसे कामवासना,खाना पीना,दौड़ना आदि।।
गुरुदेव अशोक कुमार चंद्रा
हरिद्वार उत्तराखंड
00917669101100
Friday, May 24, 2019
दिव्य दृष्टि साधना-
दिव्य दृष्टि (श्रीहनुमान) साधना-
यह साधना अत्यंत दुर्लभ और प्राचीन है।इस साधना के माध्यम से साधक किसी भी मृत आत्मा,भूत प्रेत आदि इतरयोनियों को आज्ञा चक्र से देख सकता है,अनुभव कर सकता है,उनसे मानसिक रूप से वार्तालाप कर सकता है।
इस साधना का सम्बंध आज्ञा चक्र से होता है।
साधक हनुमानजी की इस दिव्य दृष्टि साधना को सिद्ध करने के बाद आंखे बंद करकेआज्ञा चक्र पर ध्यान केंद्रित करके जब मानसिक रूप से अपने आसपास की आत्माओं को बुलाता है तो यदि आत्मा उस समय वहां उपस्थित होगी तो तुरंत साधक के आज्ञा चक्र में प्रकट होगी ।
सभी साधको को अलग अलग रूपो में आत्मायें दिखाई देती हैं जैसे एक ही आत्मा किसी साधक को काली परछाई के रूप में दिखेगी तो किसी को पूर्ण वस्त्र पहने हुये।
जिन साधको का आज्ञा चक्र विकसित नही होता है और वे खुली आँखों से आत्माओं जैसे अप्सरा,कर्णपिशाचीनी,परी, जिन्न, प्रेत,यक्षिणी आदि को देखने की जिजीविषा रखते है तो ऐसे साधको की स्थिति मृगमरीचिका की तरह होती है,हिरण की कस्तूरी की तरह होती है।
ऐसे साधको को साधना के बड़े बड़े अनुभव होते है किंतु न तो देवी देवता आदि उनको आज्ञा चक्र में दर्शन देते है और न वचन(मानसिक रूपसे ) देते है।
ऐसे साधक जीवन भर कड़ी मेहनत ,साधना में करते है किंतु उनका रिजल्ट शून्य होता है।
उनको केवल साधना या सिद्धि के समय ऐसे अनुभव होते है जैसे अचानक कमरे के सुगंध तेजी से बढ़ गयी हो,किसी के चलने फिरने की आहट महसूस हो रही हो,कोई साधक के पास बैठा हो,स्त्री के पायलों के घुँघरू की आवाज महसूस हो रही हो,आसन में बैठने पर दिशा बदल जाना अर्थात जब साधक आंखे बंद करके जैसे उत्तर दिशा की और मुख करके मन्त्र जाप कर रहा हो तो कुछ समय बाद साधक का मुख पूर्व,पश्चिम या दक्षिण दिशा में हो जाना।
अचानक से दूध के रंग की तरह साधक के चारो तरफ सफेद प्रकाश महसूस होना,किसी अज्ञात ऊर्जा का शरीर मे प्रवेश करना आदि।
यह सभी घटनायें साधक के साथ होती है और साधक को युवावस्था से वृद्धावस्था आ जाती है किंतु एक भी सिद्धि वचनों से सिद्ध नही होती है।सबमे केवल अनुभव होता है।
जिस तरह एक मनुष्य बिना नेत्रज्योति के नेत्रहीन है उसी तरह साधक बिना आज्ञाचक्र जाग्रत किये सभी साधना व्यर्थ है।उसका परिश्रम इस तरह से व्यर्थ होता है जैसे किसी छलनी में पानी भरने का प्रयास।।
जो साधक खुली आँखों से आत्माओं को देखने की इच्छा से साधना करते है वो भी सब सफल नही होते है।
ईश्वर ने सभी प्राणियों में आज्ञाचक्र दिया जिसके माध्यम् से आत्माओ से संपर्क ,बातचीत,साधक की परीक्षा ,वचन सब होते है।खुली आँखों से नही होता है।
जब स्वयं सभी देवी देवता आँखे बंद कर आज्ञा चक्र के माध्यम से किसी दृश्य को ,घटना आदि को जानते है तो फिर ये खुली आँखों से दिखने का अर्थ कहाँ तक सत्य है।
जब साधक के पास दिव्य दृष्टि होती है और साधक को सिद्धि करता है तो साधक की 90% आत्मा मन्त्र के देवी या देवता के होती है और 10% आत्मा साधक के शरीर मे होती है उस स्थिति में साधक की परीक्षा मन्त्र के देवी या देवता लेते है जैसे साधक को कहेंगे इस पहाड़ से कूद जाओ आदि आदि ,यदि साधक सफल रहा तो अंतिम दिन साधक के वचन हो जाते है और साधक जनमानस की समस्या का समाधन अपनी सिद्धि के माध्यम से करता है।
जो साधक खुली आँखों से आत्माओ को देखना चाहते है उनके लिये नीम के पेड़ पर आम लगाना जैसा है।
हमारा उद्देश्य साधको को सही ज्ञान प्राप्त कराना है न कि भीड़ बढ़ाना।
दिव्य दृष्टि साधना किसी भी मंगलवार से शुरू कर सकते है।यह साधना 3 दिवसीय है।
यह साधना बन्द कमरे में कई जाती है।
साधक को माथे पर लाल सिंदूर का तिलक लगाना चाहिए ।लालवस्त्र धारण करने चाहिये।
कुशा का आसन होना चाहिए।
रुद्राक्ष की माला 108 दानो की सिद्ध हुई होनी चाहिये।
साधक अपने सामने लकड़ी की चौकी स्थापित करे,उसके बाद उस पर लाल वस्त्र बिछाय।
जल का ताम्र कलश बायीं तरफ रखे।
हनुमान जी के फोटो को कांसे की थाली में रखे।फूलो की माला,देशी घी का दीया, धूपबत्ती, कपूर,फल,फूल ,मिठाई,कस्तूरी,लौंग,इलायची,सुपारी,पान का बीड़ा (मीठा),चमेली का तेल,सिंदूर चढ़ाय।
पवित्रीकरण,वास्तुदोष पूजन,गुरु मन्त्र,शिव मन्त्र ,संकल्प, सिद्धि मन्त्र जाप करे।जाप के बाद हनुमान चालीसा,आरती,क्षमा याचना करे।बन्द आंखों से जापकरे।जाप पूर्ण होने पर साधक को आज्ञाचक्र में प्रकाश दिखाई देना शुरू हो जाता है।
इससे साधक को दिव्य दृष्टि प्राप्त हो जाती है। मृतात्माओं से संपर्क हो ना शुरू हो जाता है।
मन्त्र-तुलसीदास सदा हरि चेरा,कीजै नाथ ह्रदय में डेरा
पवनतनय संकट हरन
मंगल रूप तेरा
काटो हे भगवान चारो चौरासी का फेरा
जय श्रीराम।।जय श्रीराम
गुरु को कोटि कोटि प्रणाम।।
दीया- सिद्धि के लिये विशेष प्रकार से दीपक का निर्माण किया जाता है।।।
जैसे पीली मिट्टी आदि का प्रयोग किया जाता है।
जो साधक दिव्य दृष्टि साधना सिद्ध करना चाहते है ,वो साधना सिद्ध कर सकते है।
योग्य
साधक दीक्षा ग्रहण कर दिव्य दृष्टि साधना सिद्ध कर भविष्य की अन्य साधनाओ को पूर्ण सिद्ध और वचनसिद्धि कर सकते है।
गुरुदेव अशोक कुमार चंद्रा
हेल्पलाइन।
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हरिद्वार
उत्तराखण्ड
भारत
(दिव्य दृष्टि दीक्षा राशि---3100 ₹)
Saturday, March 9, 2019
पाताल भैरवी सिद्धि
पाताल भैरवी साधना--
यह साधना 40 दिन की होती है।इसको श्मशान की अंतिम चिता के ऊपर बैठकर सिद्ध किया जाता है।
इस साधना को अमावस्या या त्रयोदशी से शुरू करते है।
साधक को सफेद वस्त्र ,दिशा उत्तर,सिद्ध कणिका माला से ,सिंदूर का तिलक लगाना चाहिए।
भोग में सफेद बर्फी,चावल,मदिरा ,आधा किलो माँस बकरे का देना चाहिए।
सिद्धि के समय अनेक उपद्रव होते है। श्मशान की जमीन का अचानक फटना,बड़े बड़े डरावने ब्रह्मराक्षस ,दैत्य,नरमुंड आदि दिखाई देना आदि होते है।
40 वे दिन भूमि फाड़ कर पाताल भैरवी ऊपर आती है।
साधक यदि डरा नही तो वचन देकर षट्कर्म करती है।
यदि साधक भयभीत हो गया तो उस समय साधक पाताल भैरवी का महा भयानक रूप देखकर पागल हो सकता है।
मन्त्र- ॐ पाताल भैरवी त्रिकाल कल्प ॐ तरु तरु स्वाहा ॐ कल्प कल्प स्वाहा।।
Tuesday, February 19, 2019
चमत्कारी 21 नई सिद्धियाँ
वर्ष 2019 में पूर्व 51 साधनाओं के साथ 21 नई साधनाओं का समावेश किया गया है ,जो कलयुग में पूर्ण सिद्ध और फलदाता सिद्धियाँ है।इनका विवरण निम्न है-
1 माता विन्ध्यवासिनी सिद्धि
2 भैरव सिद्धि
3 हनुमान सिद्धि
4 माता रक्ता देवी साधना
5 हनुमान सिद्धि भाग 1
6 हनुमान सिद्धि भाग 2
7 चक्रेगमालिनी सिद्धि
8 शिवजी वरदान सिद्धि
9 आक वीर सिद्धि
10 कामाख्या देवी वचन सिद्धि 11 बावन वीर सिद्धि
12 चौसठ योगिनी सिद्धि
13 मसान सिद्धि
14 श्रीराम सिद्धि
15 कर्णपिशाचिनी सिद्धि
16 महाकाली सिद्धि
17 तारादेवी सिद्धि
18 उग्रतारा देवी सिद्धि
19 रम्भा अप्सरा सिद्धि
20 यक्ष कुमारी सिद्धि
21 शिवकृत्या सिद्धि
22-हमजाद सिद्धि
23-श्मशान काली सिद्धि
24-दक्षिणा काली सिद्धि
25-बगलामुखी सिद्धि
26-धूमावती सिद्धि
27-बेताल सिद्धि
28-2 भूत सिद्धि
29-6 भूत सिद्धि
30-वट वृक्ष भूत सिद्धि
31-वार्ताली देवी सिद्धि
32-पंचांगुली देवी वरदान सिद्धि 33-रंजिनी अप्सरा सिद्धि
34-लाल परी सिद्धि
35-ग्रहण कालीन डाकिनी सिद्धि 36-शांकिनी सिद्धि
37-ब्रह्मराक्षस सिद्धि
38-पिशाच सिद्धि
39-वज्रयोगिनी सिद्धि
40-श्रुतदेवी सिद्धि
41-घण्टाकर्णी देवी सिद्धि
42-कपालिनी सिद्धि
43-मासिक धर्म दोष निवारण स्त्री (अष्टविनायक सिद्धि)दीर्घ साधना
44-गौ जोगिनी सिद्धि
45-सुग्रीव साधना
46-लौंग मोहिनी सिद्धि(इशमाईल जोगी वरदान )
47-वायुगमन सिद्धि
48-(रावण सिद्ध) स्त्री वशीकरण काजल सिद्धि
49-सूर्य देव सिद्धि(श्रीकृष्णा सिद्ध)
50-शव साधना(वीर-साधन)
51- मृत आत्मा आवाहन
52-पाताल भैरवी सिद्धि
53-ऋद्धि-सिद्धि साधना
54-शून्यमार्ग मिठाई प्राप्ति सिद्धि
55-श्राप और वरदान सिद्धि
56-देवी स्वर्णकाली सिद्धि
57-देवी अमर सिद्धिनी सिद्धि
58-श्रीगणेश वरदान सिद्धि
59-देव पार्श्व यक्ष सिद्धि
60-सौंदर्य प्रेमिका (भैरवी )सिद्धि
61-देव क्षेत्रपाल सिद्धि
62-देवी पद्मावती सिद्धि
63-देवी चंद्र(चण्ड) योगिनी
64-देवी स्वप्नेश्वरी सिद्धि
65-देवी गुह्यकाली सिद्धि
66-देवी महाभद्रकाली सिद्धि
67-बबूल भूत सिद्धि
68-बलिष्ठ देव सिद्धि
69-देव भैरव (शाबर)सिद्धि
70-देव (ग्रहणकालीन) भैरव सिद्धि
71-श्मशान भैरव मोहिनी सिद्धि
72-असुर सिद्धि
गुरुदेव अशोक कुमार चन्द्रा
हरिद्वार उत्तराखण्ड भारत
हेल्पलाइन-
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Friday, January 18, 2019
2019 सिद्धि समय
वर्ष 2019 सिद्ध मन्त्र साधना समय--
जनवरी-
21 पूर्णिमा सोमवार
फरवरी- -
4 सोमवार अमावस्या
19 मंगल पूर्णिमा
मार्च---
4 सोमवार शिवरात्रि
6 बुधवार अमावस्या
17 रविवार पुष्य
20,21 बुधवार ,बृहस्पतिवार होली
अप्रैल----
5 शुक्रवार अमावस्या
6 शनिवार चैत्र नवरात्रि
14 रविवार पुष्य
19 शुक्रवार पूर्णिमा हनुमानजयंती
मई-----
4 शनिवार अमावस्या
11 शनिवार पुष्य
15 बुधवार मोहिनी एकादशी
18 शनिवार पूर्णिमा
जून------
3 सोमवार अमावस्या
17 सोमवार पूर्णिमा
जुलाई-------
2 मंगलवार अमावस्या
16 मंगलवार पूर्णिमा ,चंद्रग्रहण,गुरुपूर्णिमा
30 मंगलवार शिवरात्रि
अगस्त--------
1 बृहस्पतिवार अमावस्या
15 बृहस्पतिवार पूर्णिमा रक्षाबंधन
24 शनिवार श्रीकृष्णा जन्माष्टमी
30 शुक्रवार अमावस्या
सितम्बर---------
28 शनिवार अमावस्या
29 रविवार शारदीय नवरात्रि
अक्टूबर----------
13 रविवार पूर्णिमा
27,28 रविवार,सोमवार अमावस्या दीपावली
नवम्बर-----------
12 मंगलवार पूर्णिमा
26 मंगलवार अमावस्या
दिसम्बर------------
12 बृहस्पतिवार पूर्णिमा मृगशिरा
15 रविवार पुष्य
26 बृहस्पतिवार अमावस्या
उपरोक्त समय सभी तरह की मन्त्र सिद्धियों को सिद्ध करने का समय है।साधक सन 2019 में इन सिद्ध योग से सिद्धियाँ प्राप्त कर सकते है।
गुरुदेव अशोक कुमार चन्द्रा हरिद्वार,उत्तराखण्ड
हेल्पलाइन
00917669101100
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Tuesday, November 20, 2018
आत्मा आवाहन देह विद्या
आत्मा आवाहन देह विद्या- इस विद्या में साधक मन्त्र शक्ति के माध्यम से आत्माओ के शिकार स्त्री या पुरुषको अपने सामने बैठाकर प्रेत आत्मा या अन्य आत्माओ को उसके शरीर पर बुलाते है और वार्ता करते है ।
इस अवस्था मे जिस शरीर मे यह आत्मा आती है उसकी आत्मा सुप्त अवस्था में चली जाती है और शरीर मे प्रेत आत्मा जाग्रत अवस्था मे आ जाती है।फिर योग्य साधक उस आत्मा से सब कुछ मालूम करके उस आत्मा को पुनर्जन्म के लिये पृथ्वीलोक से विष्णुलोक भेज सकता है अथवा मन्त्र शक्ति से उस आत्मा को किसी बोतल में कैद कर सकता है अथवा उस आत्मा की कोई इच्छा अधूरी है और जायज है तो उसे पूरी करा सकता है अथवा ऐसी आत्मा जिसकी हत्या हुई हो और वह बदला लेना चाहती हो अपने दुश्मनों से तो उस को खुला छोड़ देते है जिससे वह अपने दुश्मनों से बदला ले सके और फिर उस आत्मा को पुनर्जन्म के लिये देव शक्ति का प्रयोग कर विष्णुलोक भेज सकते है।
इस वीडियो में भी एक ऐसी आत्मा को बुलाया गया है और जो अपने शत्रुओं से बदला लेगी और उसका बदला पूर्ण होने पर उसको मुक्ति दे दी जाएगी।
इसके अतिरिक्त यह भी नोसिखिय साधको को पता चल जाएगा कि शरीर मे आत्मा को बुलाकर कैसे बात की जाती है।
यह साधना कुछ मन्त्र जप से सिद्ध की जाती है।यदि साधक किसी खतरनाक आत्मा को शरीर पर बुलाता है तो उसे हानि भी हो सकती है कभी कभी आत्मा शरीर मे आकर हमला भी कर देती है।।इसका दूसरा माध्यम आज्ञा चक्र है जिसमे साधक मानसिक रूप से आज्ञाचक्र के माध्यम से आत्मा से बात कर सकता है।
इसमे एक लड़की की आत्मा अपने माता पिता से बात कर रही है,अपनी मृत्यु का कारण उन्हें बताया।।
इस विद्या में साधक मन्त्र पूजा का विधान कर साध्य के सिर पर कुछ चावल डालता है जिससे उसके अंदर प्रेतात्मा प्रकट हो जाती है ...गुरुदेव अशोक कुमार चन्द्रा
हरिद्वार उत्तराखण्ड भारत
हेल्पलाइन 00917669101100
Wednesday, October 24, 2018
श्रीगणेश दिव्य साधना
Tuesday, September 18, 2018
नवरात्रि सिद्धियाँ अक्टूबर 2018
नवरात्रि कालीन सिद्धियाँ-
माता विंध्यवासिनी साधना-
दिव्य दृष्टि ,भूत, भविष्य,वर्तमान(त्रिकालदर्शी),षट कर्म।।।
माता अम्बिका देवी साधना-दिव्यदृष्टि,त्रिकालदर्शी
माता तारा देवी साधना-
दिव्यदृष्टि,
वरदान,अस्त्र प्राप्ति,षट्कर्म।।
माता उग्रतारा साधना-
अस्त्र प्राप्ति,वरदान,दिव्यदृष्टि
माता महाकाली साधना-
वरदान,दिव्यदृष्टि,त्रिकालदर्शी, अस्त्र प्राप्ति,षट्कर्म, कुण्डलिनी जागरण।तांत्रिक बांधा निवारण।।
माता घण्टाकर्णी यक्षिणी साधना-
स्वप्नसिद्धि,षट्कर्म, तांत्रिक उपचार।आत्मा विहार।।
माता शिवकृत्या साधना-
त्रि कर्म,तांत्रिक बांधा निवारण।।
हमजाद साधना-
मिट्टी का हमजाद,यंत्र स्थापना,त्रिकालदर्शी।।
कर्ण पिशाचिनी साधना-
त्रिकालदर्शी।।
माता श्रुतदेवी साधना-
आर्थिक लाभ,रोगमुक्ति,शत्रुदमन।।
माता रक्तादेवी साधना-
षट्कर्म।।
वीर सिद्धि-
षट्कर्म।।
गुरुदेव अशोक कुमार चन्द्रा
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Tuesday, September 11, 2018
नवरात्रि साधना माता श्रुतदेवी सिद्धि
नवरात्रि सिद्धि माता श्रुत देवी साधना- यह साधना नवरात्रों में संपन्न की जाती है इस साधना के द्वारा साधक के यहां धन का बाहुल्य हो जाता है ।
इसके बाद साधक के सभी कार्य पूर्ण हो जाते हैं ।साधक के धन आगमन का मार्ग खुलता है ,स्वास्थ्य परिवार का अच्छा और बाहरी शत्रुओं से निजात मिल जाती है ।
यह साधना नवरात्रि के प्रथम रात्रि को 10:00 बजे के बाद शुरू की जाती है और अंतिम नवरात्रि की रात्रि तक यह साधना की जाती है।
मंत्र जाप पूर्ण होने के बाद नवे नवरात्रि में साधना का दशांश हवन किया जाता है अर्थात नवरात्रि में मंत्र जाप के बाद उसी समय दशांश हवन किया जाता है साधक को माता सपने के माध्यम से या आज्ञा चक्र के माध्यम से दर्शन देती हैं और आशीर्वाद प्रदान करती हैं
यह साधना बंद कमरे में की जाती है ।कमरे में नया रंग होना चाहिए यह रंग लाल पीला या गुलाबी हो सकता है या सफेद रंग भी इसमें कर सकते हैं ।कमरे में फर्श होना चाहिए अथवा टाइल्स हो सकती हैं और कमरे में सब जगह परफ्यूम चंदन का ,गुलाब का ,चमेली का, मोगरा का, का छिड़काव करना चाहिए
इस साधना के लिए साधक को बंद कमरे में रात्रि 10:00 बजे प्रवेश करना चाहिए और माता के नौ व्रत धारण करने चाहिए शाम को माता का पूजन करना चाहिए उसके बाद सिद्धि विधान शुरू करना चाहिए।
इस साधना में साधक को नहा धोकर सर्वप्रथम सफेद वस्त्र या लाल वस्त्र धारण करना चाहिए उसके बाद साधक को माथे पर लाल चंदन का तिलक लगाना चाहिए सफेद आसन या लाल आसन पर बैठना चाहिए उसके बाद साधक को रुद्राक्ष की माला जो गोमुखी में रखी होती है मंत्र जाप करना चाहिए माला को पवित्रीकरण करने के लिए साधक को माला को सर्वप्रथम गंगा जल में स्नान कराना चाहिए उसके बाद लाल सिंदूर से माला के सभी धानों पर लगा देना चाहिए ।
उसके बाद माला को भगवान शिव का ध्यान करते हुए गोमुखी में रख दे इस प्रकार से माला का पूर्ण शुद्धिकरण हो जाता है।
साधक को 6 मीटर कपड़े की धोती धारण करनी चाहिए और 2 मीटर कपड़े को चौकी पर बिछाना चाहिए और 2 मीटर का कपड़ा आसन के ऊपर बिछाना चाहिए ।साधक को बाजोट के ऊपर कपड़ा बिछाना चाहिए। कपड़े के ऊपर कांसे की थाली रखनी चाहिए और उसके बराबर में तांबे के कलश में जल भरकर रखना चाहिए और थाली में गुलाब के फूलों की पंखुड़ियां बिखेरनी चाहिए और उन पंक्तियों में माता दुर्गा अथवा माता सरस्वती का फोटो स्थापित करना चाहिए ।
फोटो पर गुलाब के फूलों की माला (लाल गुलाब के फूलों की माला )चढ़ानी चाहिए ।
उसके अतिरिक्त माता के फोटो के आगे देसी घी का दिया जलाना चाहिए ।
माता को भोग में जो नैवेद्य चढ़ाया जाता है उसमें दो फल , दो मावे की मिठाइयां रखनी चाहिए माता को सुगंधित अगरबत्ती धूप बत्ती अर्पण करनी चाहिए ।
अपने वस्त्रों पर और पूजा के बाजोट के वस्त्रों पर चंदन का सुगंधित सेंड छिड़कना चाहिए इसमें आप अन्य सेंट या इत्र या परफ्यूम जैसे मोगरा ,चमेली, गुलाब या चंदन भी ले सकते हैं अगर सभी तरह के सेंट परफ्यूम अथवा इत्र आपके पास है तो साधना में साधक पूर्ण रुप से सफल होता है।
सभी सामग्री लगाने के बाद साधक को उत्तर दिशा की ओर मुख करके सर्वप्रथम अपने शरीर का पवित्रीकरण करना चाहिए। उसके बाद सामग्री का पवित्रीकरण करना चाहिए ।उसके बाद साधक को वास्तु दोष पूजन करना चाहिए ।वास्तु दोष पूजन के बाद साधक को गुरु मंत्र एक माला जाप करना चाहिए उसके बाद साधक को जिस देवी या देवता की सिद्धि कर रहा है उनके मंत्रों का संकल्प लेना चाहिए कि कितने दिनों की सिद्धि करनी है और कितने मंत्र जाप संपूर्ण करने हैं संकल्प में साधक को अपने माता पिता का नाम अपना नाम अपना स्थान जहां पर साधना कर रहा है ,बोलना चाहिए और कौन से दिन से साधना कर रहा है उस दिन का नाम भी बोलना चाहिए।
साधना का उद्देश्य क्या है?
सिद्धि करके साधक क्या करना चाहेगा ?
उसको भी संकल्प में बोलना चाहिए।
उसके बाद अपने इष्ट देवी या देवता का ध्यान करके साधक को सिद्धि मंत्र का जाप शुरू कर देना चाहिए ।
सिद्धि मंत्र का जाप करते समय साधक का ध्यान तीन अवस्थाओं में होना चाहिए जब साधक बंद आंखें करके मंत्र जाप शुरू करता है तो प्रथम ध्यान साधक का मंत्र के उच्चारण और मंत्र की संख्या पर होना चाहिए
दूसरा ध्यान साधक का बंद आंखों में आज्ञा चक्र के बीच रखना होता है जिस पर ज्यादा जोर नहीं देना केवल अंधकार में ही ध्यान से देखना होता है लेकिन जोर ज्यादा नहीं देना अगर दर्द होने लगे आंखों के बीच तो उसका मतलब है की साधक ज्यादा जोर लगाकर मानसिक रूप से आज्ञा चक्र पर प्रभाव डाल रहा है तो वह कार्य गलत हो जाता है और सिद्धि नहीं मिलती ।
साधक को चाहिए कि साधक आज्ञा चक्र के मध्य थोड़ा सा अपना बंद आंखों से अंधकार में ध्यान लगाए किंतु इतना अधिक ध्यान भी ना लगाएं की आज्ञा चक्र अर्थात माथे में दर्द होने लगे।
जैसे हम सामान्य दृष्टि से किसी को देखते हैं इसी तरह से उस अंधकार में ध्यान लगाना होता है। उसके बाद जो साधक का तीसरा ध्यान होता है मन का जिसमे साधक आज्ञा चक्र के अंधकार में जिस देवी या देवता का साधना कर रहा है,उस आज्ञा चक्र मे उनके प्रतिबिंब की कल्पना करनी चाहिए इसके माध्यम से साधक का ध्यान अन्य कहीं पर नहीं होना चाहिए और साधक साधना में पूर्ण सफलता प्राप्त करता है। साधक जब मंत्र जाप करता है उस समय अनेक प्रकार के अनुभव साधक को होते हैं,
मंत्र जॉब के समय जो साधक को अनुभव होते हैं उन अनुभवों में साधक को ऐसा महसूस होता है जैसे कि उसके कमरे में कोई शक्ति का आवागमन हो रहा है या कोई स्त्री साधक के आसपास घूम रही है, स्त्री रूप अर्थात माता का होता है तो उसका साधक को अनुभव होता है ।
यदि साधक के पास दिव्य दृष्टि अर्थात प्रथम साधक के पास पहले से सिद्धियां होती हैं तो साधक प्रथम दिन से ही माता के दर्शन आज्ञा चक्र से कर सकता है और उनको मानसिक रूप से नमस्कार कर सकता है यदि साधक नया है और प्रथम बार साधना कर रहा है और आज्ञा चक्र विकसित नहीं है तब साधक को आभास होगा और साधक को जब आभास होगा तो उस अवस्था में साधक के कमरे में किसी के चलने फिरने की आहट महसूस होगी ऐसा प्रतीत होगा जैसे कोई उसके पास आकर बैठ गया है या कोई आस पास आकर खड़े होकर घूम रहा है इसके अतिरिक्त साधक को अपने कमरे में सुगंध बढ़ती हुई महसूस होगी जैसे की सुगंध महसूस होती है बढ़ जाती है अचानक इसके अतिरिक्त एक चीज विशेष होती है इस साधना में माता श्रुतदेवी साधना में यह विशेष होता है कि साधक को ऐसा भी प्रतीत होता है जैसे कोई छिपकली कमरे की दीवारों पर या या आसपास घूम रही हो साधक जब रात को सो जाता है ,साधना स्थल पर तो स्वप्न में अनेक प्रकार के दृश्य दिखते हैं ,साधक को डराया भी जा सकता है जिससे साधक को डरना नहीं होता और डर के कारण बहुत से साधक साधना नहीं कर पाते और उस कमरे में फिर नहीं सोते यह सभी परीक्षाएं माता के द्वारा साधक की होती हैं यदि साधक भयभीत नहीं हुआ तो माता साधक के सभी कार्य सिद्ध करती है।
मंत्र जहां पूर्ण होने के बाद साधक ,माता को नैवेद्य अर्पण करना चाहिए अर्थात जो थाली में रखा होता है उसको उठाकर माता के चरणों में रख देना होता है यदि मिठाई है तो मिठाई को माता के चरणों में रख दीजिए और यदि फल है तो फल को भी माता के चरणों में अर्पण कर दीजिए और माता से विनती कीजिए कि माता मैं आपकी पूजा साधना कर रहा हूं ,निस्वार्थ कर रहा हूं और यदि साधना में मुझसे कोई त्रुटि हुई हो तो उसके लिए मुझे क्षमा कीजिए जैसे भी मेरे यथासंभव प्रयास से उस तरीके से मैं यह साधना आपकी संपन्न कर रहा हूं उसके
उसके बाद साधक को वही पर सो जाना चाहिए और सोने के बाद साधक को सुबह उठकर सर्वप्रथम माता का दिया जलाना चाहिए और उनका थोड़ा सा ध्यान करने के बाद अपना जो भी नित्य कर्म है वह करना चाहिए और एक से 2 घंटे बाद आकर सुबह को 8:00 या 9:00 बजे के लगभग जो सामग्री माता को नैवेद्य रूप में चढ़ाई गई थी उसको उठाकर गाय को खिला दें अथवा किसी मंदिर में पहुंचा दें माता के, अथवा यदि यह भी साधक नहीं कर सकता तो किसी निर्जन स्थान पर यह सामग्री रख सकता है
साधक को भोजन किस तरह का करना चाहिए ?
इस साधना में साधक को फलाहार करना चाहिए अर्थात साधक को फल मिठाइयों का सेवन करना चाहिए क्योंकि साधक के नवरात्रि में व्रत भी रहेंगे तो इसलिए विशेष यही रहेगा कि जो व्रत का सामग्री होता है उसी का केवल साधक सेवन करें।
साधक की जब 9 दिन की साधना पूर्ण हो जाती है तो इस साधना में अनेक प्रकार के जो अनुभव है साधक को होते रहते हैं और इनसे मिलते जुलते अनुभव मन्त्र जाप के समय होते रहते हैं। यदि साधक डरता नहीं भयभीत नहीं होता है तो साधना को पूर्ण कर लेता है तो उसके बाद साधक को यदि आज्ञा चक्र साधक का विकसित हैं और पहले से साधक के पास दिव्य दृष्टि है तो नौवें दिन नौवें दिन ही माता श्रुतदेवी सफेद वस्त्र धारण किए हुए गले में रुद्राक्ष की माला पहने हुए साधक के सामने प्रकट होती हैं और साधक वर मांगने के लिए कहती हैं अर्थात साधक को जो वचन चाहिए या जो वर चाहिए मांगने के लिए बोलती हैं ,साधक को उस समय तुरंत माता से वचन ले लेना चाहिए तीनों वचनों में
साधक को अपनी आर्थिक स्थिति को ठीक करने बीमारियों से परिवार की रक्षा के लिए और धन धान्य से पूर्ण होने के लिए वचन मांगना चाहिए यह माता जब साधक को वचन देती हैं और आशीर्वाद देती हैं तो एवमस्तु कहती है ।
इसका अर्थ होता है की साधक को पूर्ण रुप से फल की प्राप्ति हो चुकी है।
इसके बाद साधक का कार्य पूर्ण हो जाता है
जिन साधको का आज्ञा चक्र विकसित नही है जो नए साधक है उनको माता सपने में दर्शन देती है।।
मन्त्र-
ॐ नमो भगवती श्रुतदेवी हंसवाहिनी त्रिकालनिमित्त प्रकाशिनि सत भावे सत भाषे असत का प्रहार करें
ॐ नमो श्रुतदेवी स्वाहा।
गुरुदेव अशोक कुमार चंद्रा
हरिद्वार उत्तराखण्ड
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Monday, August 6, 2018
Past-present-future sadhna
शैतान वशीकरण साधना-यह साधना बहुत ही प्राचीन विद्या है, इस साधना के अंतर्गत साधक या साधिका को एक शक्तिशाली शैतानी जिन्नात सिद्ध होता है। इसक...